लाट-साहबी चढ़ी है आईएएस-आईपीएस अफसरों पर, संपत्ति का हिसाब नहीं देते

बिटिया खबर
: दो हजार से ज्‍यादा अफसरों ने अपनी सम्‍पत्ति का ब्‍योरा ही नहीं दिया है : जब यह लोग सरकार के ऐसे नियमों की धज्जियां सरेआम उड़ा रहे हों, तो आम आदमी के लिए तय किये गये दायित्‍वों पर कितने सही खरे होते होंगे : बी चंद्रकला के ठिकानों पर छापेमारी से मामला बहस में :
दोलत्‍ती संवाददाता

नई दिल्ली : यह वह जमात है जो अपने आप को लोकसेवक मानने को तैयार नहीं। ऐसे लोग आज भी खुद को किसी बड़े नवाब या लाट-साहब से कम नहीं मानते। वे आम जनता का काम करने के बजाय केवल अपनी ऐयाशी और धन-दौलत जुटाने के इकलौते अभियान में जुटे हैं। हालत यह है कि सरकारें भी इनके सामने घुटने टेक देती हैं। गौरतलब बात यह है कि ऐसे अफसरों में हिन्‍दी-भाषा और विशेषकर यूपी के अफसरों की तादात ज्‍यादा है। ऐसे में आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि जब यह लोग सरकार के ऐसे नियमों की धज्जियां सरेआम उड़ा दे रहे हों, तो आम आदमी के लिए तय किये गये दायित्‍वों पर कितने सही खरे होते होंगे।

जी हां, इनका नाम है आईएएस और आईपीएस अफसर। अब आम जनता को भले ही यह जानकारी नहीं हो कि इनका योगदान आम आदमी के प्रति क्‍या है, लेकिन इतना जरूर है कि यह लोग खुद को कानून का सेवक कहलाने के बावजूद लगातार कानून को धता बताने में जुटे रहते हैं। ताजा मामला है उस कानून का, जिसमें इन लाट-साहबों को अपनी आय का हिसाब देना था और यह भी घोषित करना अनिवार्य किया गया था कि उनके पास सम्‍पत्ति कितनी है। लेकिन इस कानून की खिल्‍ली उड़ाते हुए इन साहबों में से करीब दो हजार से भी ज्‍यादा अफसरों ने अपनी सम्‍पत्ति का हिसाब अब तक नहीं दिया है।

एक खबर है कि देश में अधिकांश आईएएस और आईपीएस अफसर संपत्तियों का खुलासा करने से बच रहे हैं. यह हालत यह है कि यह लोग अपनी संपत्तियों के हिसाब-किताब से जुड़ा अचल सम्‍पत्ति रिटर्न ही नहीं भर रहे। यह आलम तब है, जब अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों के लिए हर साल रिटर्न भरने का सख्त नियम है। मगर यह साहबजादे लोग जमीन, जायदाद और मकान आदि से जुड़े इस अचल संपत्ति रिटर्न को भरने में फेल होने पर विजलेंस क्लीयरेंस और प्रमोशन आदि के लाभ से वंचित करने की चेतावनियों को भी अफसर दरकिनार कर दे रहे।

वर्ष 2018 के लिए इम्मूवेबल प्रॉपर्टीज (अचल संपत्तियों) रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जनवरी है. मगर अब तक साढ़े पांच हजार से ज्यादा आईएएस-आईपीएस अफसरों ने रिटर्न नहीं भरे हैं. जबकि अब सिर्फ दस दिन है. हालांकि, ये अफसर अभी रिटर्न जमा कर खुद को डिफॉल्टर घोषित होने से बचा सकते हैं. मगर दो हजार से ज्यादा आईएएस-आईपीएस तो ऐसे हैं, जिन्होंने 2014 से लेकर 2017 तक के रिटर्न भी नहीं भरे हैं.

एक प्रकार से डीओपीटी के नियमों के अनुसार इन अफसरों पर डिफॉल्टर होने का  ठप्पा लग चुका हैं. यूपी में अवैध खनन के मामले में चर्चित आईएएस अफसर बी चंद्रकला के ठिकानों पर जिस तरह से छापेमारी हुई तो अफसरों की काली कमाई का मामला फिर से बहस में आ गया है.

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