: 7 डॉक्टर के ठिकाने पर 34 करोड़ की अवैध इनकम दबोचा है आयकर विभाग ने : भारी नगदी और जमीन के कई कागजात बरामद : 4 किलो सोना और भारी तादाद में जेवर भी बरामद : कुछ अखबारों ने तो छापा, मगर बाकी ने लुटेरे डॉक्टरों का नाम छिपा लिया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : अच्छा आप ही बताइए कि इसकी क्या वजह हो सकती है कि लखनऊ, कानपुर और नोएडा के सात बड़े डॉक्टरों के खिलाफ इनकम टैक्स अफसरों ने जबरदस्त छापामारी की हो लेकिन कई अखबारों में उन लुटेरे डॉक्टरों का नाम तक छापने में छींकें निकल रही हों। वह भी तब जब छापामारी के बाद इनमें से एक बड़े लुटेरे डॉक्टर ने कुबूल कर लिया हो कि उसके पास 25 करोड़ से ज्यादा की अघोषित मौजूद है। जाहिर है कि इन अखबारों का नजरिया असल खबर के बजाय, अपने निजी रिश्तों से ही निर्धारित होते हैं। एक पत्रकार ने इस बारे में एक कड़ा कटाक्ष किया कि इन अखबार मालिकों से इन बड़े डॉक्टरों का रिश्ता जीजा-साला जैसा दिखाई पड़ता है।
जी हां, दो दिन पहले ही इनकम टैक्स में यूपी के साथ डॉक्टरों पर एक साथ जबरदस्त छापामारी की थी। यह छापामारी में इन डॉक्टरों के कुल 27 ठिकानों पर विभिन्न इलाकों में हुई। अब तक मिली जानकारी के अनुसार इस छापेमारी में तकरीबन 34 करोड़ की बेनामी इनकम बरामद हुई है। अभी कई और लॉकर और जमीन से जुड़े कई मामलों की छानबीन चल रही है। इन छापों में भारी नगदी, 4 किलो सोना और जेवर वगैरह भी बरामद हुआ है।
इन डॉक्टरों में सबसे बड़ा नाम आया है लखनऊ के चरक अस्पताल का, जिस के संचालक हैं डॉ रतन सिंह। दूसरा नाम है डॉक्टर महेश चंद्र शर्मा का जो एसपीएम अस्पताल चलाते हैं। यह अस्पताल कानपुर और लखनऊ में एक साथ चलता है। इसके अलावा दिमाग यानी न्यूरो-फिजीशियन डॉक्टर राजीव मोतियानी का अस्पताल भी इस छापेमारी में पकड़ा गया जहां 58 लाख की नगदी बरामद हुई। न्यू अस्पताल नोएडा के ही एक डॉक्टर गुलाब गुप्ता के यहां भी 20 लाख की नगदी बरामद मिली, जीएस मेडिकल कॉलेज हापुर में डॉक्टर अंकित शर्मा के यहां 38 लाख और 4 किलो सोना, बच्चों के डॉक्टर प्रेम कुमार खन्ना मुरादाबाद के यहां सवा करोड़ से ज्यादा की आमदनी मिली है। मेरठ के न्यूरो फिजिशियन डॉक्टर भूपेंद्र चौधरी के यहां भी आधा दर्जन से ज्यादा करोड़ संपत्ति मिली है।
लेकिन हैरत की बात है की कुछ बड़े अखबारों ने यह खबर तो छापी लेकिन उस में पकड़े गए डॉक्टरों और उनके संस्थानों का नाम ही गायब कर दिया। जाहिर है कि यह हरकत उस प्रत्याशा में हुई होगी, कि यह लोग उन्हें भारी-भरकम विज्ञापन देंगे, या लगातार देते ही रहे होंगे। इतना ही नहीं, एक विज्ञापन एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि जिन अखबारों ने इन डॉक्टरों का खुलासा नाम के साथ किया है, वह पहले से ही किन्हीं अज्ञात कारणों के चलते उन अखबारों में विज्ञापन नहीं देते थे। ऐसे में ऐन वक्त पर इन अखबारों के मालिकों-विज्ञापन प्रबंधकों ने उन पर तपता हुआ चिमटा दाग दिया और उस पर लाल मिर्च का बुकनू भी छिड़क दिया।