: यूपी लोक सेवा आयोग की करतूतों ने देश-प्रदेश के युवाओं को हलकान कर दिया, मगर सरकार आंखें मूंदे बैठी है : योगी जी, जवान खून में कहीं उमंगों के बजाय, नैराश्य न भर जाए : इस बेईमान संस्थान को सुधार की कोशिश कीजिए, युवाओं की अरदास सुनिये :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पता नहीं कि इस कहानी का कोई सिरा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की मौजूद हालात से कहीं जुड़ा हुआ दिखेगा या नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि योगी सरकार के माथे पर अखिलेश यादव ने एक ऐसी बहू थोप दी है, जिसके चलते यूपी लोक सेवा आयोग में हंगामा बरपा गया है। आम प्रतिभागीगण मानने लगे हैं कि इस आयोग के अध्यक्ष के तौर पर इस नई बहू ने आयोग की परीक्षाओं के प्रतिभागियों के नाक में दम कर दिया है। प्रतिभागीगण तो इस पूरा का पूरा आयोग को अनिरुद्ध सिंह के नेतृत्व में किसी क्रूर, मूर्ख और विचित्र कौरव सेना से कम नहीं देखते हैं।
बहरहाल, पूरा किस्सा सुनने से पहले एक कहानी सुन लीजिए:-
पंडित जी ने लड़के और लड़की की जन्मपत्री को कई घंटों तक बांचा और बिचारा। और आखिरकार मारे खुशी के बोल पड़े। बोले:- बधाई हो, बधाई हो जजमान। पूरे के पूरे 36 गुण मिल गए हैं।
यह सुनते ही लड़के वाले उठ के जाने लगे
भौंचक्के लड़कीवालों ने लड़केवालों को रोका, और बोले:- क्यों भइया, क्या हुआ?
लड़के वालों ने झुंझला कर जवाब दिया:- हमारा लड़का तो पूरा चूतिया है…तो अब क्या बहू भी चूतिया ले आएं?
खैर, आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद कई बदलाव का संकेत दिया था जिसमें उन्होंने अपने संकल्पों उद्देश्य का खुलासा किया था। अपने अभियान के तहत उन्होंने कई बोर्डो, परिषदों, प्राधिकरणों, आयोगों, समितियों आदि पर काबिज लोगों को हटाने की कवायद छेड़ी थी, जिन्हें पिछली समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार ने जमाया था। लेकिन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग पर कोई भी गाज नहीं डाली गयी। जबकि प्रतिभागियों की मानें तो अनिरुद्ध सिंह एक लचर-असफल अध्यक्ष, असंवेदनशील प्रशासक और बेहद थके और अकर्मण्य आयोग परीक्षा आयोजक साबित हुए। कई प्रतिभागियों ने प्रमुख न्यूज़ पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम को बताया कि आयोग अध्यक्ष के पूरे कार्यकाल में एक भी सकारात्मक पहल नहीं छेड़ी। भले ही वह पुराने धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार, अनैतिकता और कदाचार करने की कोशिश पर अंकुश लगाने की रही हो या फिर हो चुकी परीक्षाओं की गड़बड़ियों को सुधार कर उनकी उनके परिणामों को घोषित करने की।
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अनिरूद्ध सिंह यादव के पहले अनिल यादव की करतूतें बच्चे बच्चे की जुबान पर पहुंच गई थी, किसी लोकगाथा की तरह। हालत यह हुई थी कि हाईकोर्ट के आदेश पर अनिल यादव को बर्खास्त किया गया। इस पर अखिलेश सरकार ने फिर अपने खासमखास अनिरुद्ध को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया था। मौजूदा आयोग बोर्ड में अखिलेश के भरे हुए लोग मौजूद हैं। और कहने की जरूरत नहीं कि प्रतिभागियों के अनुसार अध्यक्ष के नेतृत्व में या पूरा का पूरा आयोग निहायत शर्मनाक नकारात्मक भाव पैदा करता जा रहा है।
लेकिन इसके बावजूद योगी सरकार ने प्रदेश के लाखों प्रतिभागियों की भावनाओं को समझने, उनकी समस्याओं को समझने, प्रतिभागियों में हर्ष और उल्लास के बीच परीक्षाएं संपन्न कराने की कवायद छेड़ने के बजाय आयोग को पूरी तरह निरंकुश अराजक और बना दिया।
आज यह छात्र न्यायालययों तथा इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक सत्ता के हर ड्योढ़ी-गलियारे पर अपनी व्यथा-गाथा सुनाते घूम घूम रहे हैं। बार-बार पुलिस से उनकी झड़प हो रही है, आक्रोश भयावह है। आयोग की कार्यशैली की असलियत केवल इसी तथ्य से समझी जा सकती है कि यहां की गड़बड़ियों की जांच अब सीबीआई कर रही है कई परीक्षाओं में भारी गड़बड़ियां हुई है। चयन को लेकर भारी रकम उगाही गई और राजनीतिक लाभों के लिए कई लोगों को नौकरी दी गई, हर पद के लिए 25 से 50 तक की उगाही हुई है। लेकिन इन चीजों को सुधारने या पिछली परीक्षाओं पर ऐसी गड़बड़ियां न करने की संभावनाएं खोजने के बजाए योगी सरकार ने योग की तरफ से मुंह मोड़ लिया।