जब आहत मर्दानगी का इलाज था औरतों की नाक काटना

मेरा कोना

यह कहानी है नाक-कटी औरतों के डाक्टर की

: तब रूहेलखंड में बात-बात पर काटी जाती थी महिलाओं की नाक : माथे की खाल खींच कर दिलाया हजारों औरतों की नाक : राष्ट्रपति ने डॉक्टर एससी राय को दिया था पद्मश्री सम्‍मान :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह कहानी है उस दौर की, जब मर्दानगी पर तनिक भी ठेस लगते ही रिवाज के तौर पर पुरूषों की आदत बन गयी थी कि महिलाओं की नाक काट लें। हालांकि एशिया भर में ऐसी हृदयविदारक घटनाएं खूब हुआ करती थीं, लेकिन फिलहाल हम बात कर रहे हैं यूपी के रूहेलखंड की। रूहेलखंड यानी मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली, बदायूं और आसपास ही नहीं, दूर-दूर तक फैला इलाका। लेकिन एक डॅाक्टर ने इस पूरे इलाके से नाक-कटी की वारदातों का समूल नाश-निदान कर डाला था। इस पूरे इलाके में नाक वाले डॉक्टर के तौर पर मशहूर इस सर्जन ने बरेली जिला अस्पताल में अपनी तैनाती के दौरान हजारों की तादात में ऐसी महिलाओं का ऑपरेशन किया, जिनकी नाक को किन्हीं, न किन्हीं कारणों के चलते काट ली जाती थी। इस डॉक्टर ने इन महिलाओं को सम्मान दिलाया, उनकी नाक वापस दिलायी और ऐसी पाशविक परम्परा का नामोनिशान ही खत्म कर डाला।

जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं डॉक्टर सतीश चंद्र राय यानी एससी राय की। इस शख्स ने उस हर क्षेत्र में अपना झंडा गाड़ दिया, जहां भी उसके कदम पड़े। जब डॉक्टर बनने का सपना देखा तो उम्र एक साल कम होने के चलते इंतजार किया, जब महारत हासिल करने का वक्त आया तो तब मौजूद सारी डिग्रियां हासिल कर लीं, जब विशेषज्ञता का इस्तेमाल करने का समय आया तो ऐलोपैथी के बजाय सीधे आयुर्वेद के महान-पुरूष सुश्रुत के अनुसंधानों का सहारा लिया जिसमें राइनो-प्लास्टी का जिक्र है, जब महिलाओं के सम्मान की बात उठी तो हजारों महिलाओं की नाक बना कर उनका मान बढ़ाया, जब इंसानियत का सवाल उठा तो कानपुर में सैकड़ों अंग-भंग सिख-निरंकारियों का दिन-रात इलाज किया, जब नागरिक व्यवस्था का प्रश्न उठा तो लखनऊ के महापौर का जिम्मा उठा लिया। दो-दो बार। और जब सम्मान हासिल करने का मौका मिला तो आम मरीज से लेकर सीधे राष्ट्रपति तक चले गये।

लखनऊ मेडिकल कॉलेज की जो हृदयरोग शाखा है, उसे लारी कार्डियोलॉजी कहा जाता है। लेकिन पहले इसका नाम था लेडी किनियर्ड मिशन हॉस्पिटल, बाद में यही अस्पताल लारी कार्डियोलॉजी बन गया। डॉक्टर राय इसी ले‍डी किनियर्ड मिशन अस्पताल में 12 फरवरी सन-1930 को जन्मे हैं। मां तारा देवी पूरी तरह धार्मिक थीं और हाईस्कूल में लड़कियों में पूरे प्रदेश में अव्वल आयी थीं। पिता बाबू हशमत राय अंग्रेजी के शिक्षक थे, लेकिन बाद में वे लम्बे समय तक अमीनाबाद इंटर कालेज के प्रधानाचार्य भी रहे। पुराने कायस्थ परिवार के डॉ राय अमीनाबाद इंटर कालेज में कक्षा आठ के बाद जुबली इंटर कालेज में पढ़ने लगे। उम्र कम थी, सो एक साल बाद सीपीएमटी की परीक्षा दी और प्रदेश में दूसरे स्थांन पर आये। यह सन-46 की बात है।

सन-52 तक एमबीबीएस और फिर सन-57 तक एमएस की पढ़ाई की। इसके दौरान और उसके बाद भी जनरल सर्जरी, न्यूथरोलॉजी, प्लास्टिक, आर्थो सर्जरी, एनेस्थेसिया वगैरह विशेषज्ञता हासिल की और सन-59 को उन्होंने प्रदेश चिकित्सा विभाग में ज्वाइन किया। पहली पोस्टिंग मिली बरेली में सर्जन के तौर पर। यह पहला मौका था जब पूरे रूहेलखंड इलाके में कोई सर्जन तैनात हुआ।

बरेली की पहले दिन की पोस्टिंग में उन्हें दिल-दहलाने वाले अनुभव हुए। सबसे बड़ा दर्दनाक हादसा तो तब देखा जब एक महिला को अस्पताल में लाया गया जिसकी नाक काट ली गयी थी। डॉक्टर राय बताते हैं कि इस इलाके में ही नहीं, आसपास के इलाकों में सबसे ऐसे हादसे अक्सर होते थे। नेपाल से भी कई मामले आते थे। कारण होता था महिला के चरित्र पर शक, डकैती या फिर दुश्मनी वगैरह। लेकिन इसमें चरित्र से जुडे प्रकरण सर्वाधिक होते थे। दूसरे नम्बर में दुश्मनी होती थी जिसमें अपनी भड़ास निकालने के लिए लोग अपने प्रतिद्वंद्वी परिवार की महिलाओं की नाक काट लेते थे। पुरूषों की भी नाक-कटी के हादसे भी होते थे। सर्जरी की सुविधाएं तो बेहद कम थीं, जबकि नाक काटने की घटनाएं बेहद ज्यादा।

लेकिन इसके बावजूद डॉ राय ने मोर्चा खोल लिया। इसमें मदद की आयुर्वेद के महापुरूष सुश्रुत के सिद्ध-प्रयोगों ने। डॉक्टर राय ने ऐसी महिलाओं की नाक वापस दिलाने के लिए राइनो-प्लांटी का तरीका अपनाया और माथे की खाल को खींच कर नाक बनाया। जाहिर है कि इस प्रयोग ने डॉक्टर राय को शोहरत तो बेहद दी, लेकिन उससे ज्यादा उन्हें आत्म-संतोष और प्रसन्नता। अब डॉ राय दिन-रात अपने काम में जुट गये। इतना ही नहीं, पेशाब की थैली के आपरेशन के भी उन्हें खूब मामले मिले। अंग-भंग के भी खूब मामले थे। तब प्रदेश के बरेली जैसे इलाकों में एनस्थेसिया का डाक्टर कोई होता ही नहीं था, सर्जन से ही यह अपेक्षा की जाती थी। वह चाहे, या न करे। कारण यह खतरनाक काम था, लेकिन डॉ राय ने यह मोर्चा भी सम्भाल लिया। ( जारी )

डॉक्टर एससी राय पर केंद्रित सीरीज स्टोरी हम प्रकाशित करने जा रहे हैं। यह कहानी प्रतिदिन क्रमश: प्रकाशित होगी। इस पूरी कहानी को देखने के लिए कृपया क्लिक करें:- नाक-कटी औरतों का डॉक्टर

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