: “यूपी लोकसेवा आयोग की बेहूदगी पर चार चांद लगा गयी हमारे कुछ साथियों की कानूनी पहल” : आखिर इस कानूनी लड़ाई का औचित्य क्या था : हम धन्नासेठ नहीं, हमारे गरीब अभिभावक अपना पेट काट कर हमें तैयारी के लिए भेजते हैं :
मेरी बिटिया संवाददाता
लखनऊ : युवाओं के भविष्य को बिलकुल मजाक बनाने पर आमादा है यूपी लोकसेवा आयोग का प्रशासन। यह पहली बार हुआ है जब आयोग की इस तरह की बेहूदगियों पर यूपी सरकार भी खामोशी अख्तियार किये बैठी हो। खासतौर पर जब यह स्पष्ट है कि आयोग के अध्यक्ष जिस अखिलेश यादव सरकार द्वारा नियुक्त किये हैं, जिस पर भ्रष्टाचार, जातिवाद और अनैतिकता का आरोप योगी सरकार लगातार लगाती ही जा रही है। बहरहाल, ताजा खबर यह है कि आयोग से प्रताडि़त अभ्यर्थियों की एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनी जाएगी। पता चला है कि इस बारे में याचिका दायर की जा चुकी है।
आयोग की ऐसी करतूतों से प्रतिभागियों में गुस्सा तो है ही, साथ ही साथ उनमें विभिन्न गुट भी उत्पन्न होते जा रहे हैं। सोशल साइटों पर हंगामा हो रहा है। आरोप-प्रत्यारोपण चल रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय में लड़ाई हारने के बाद अब चर्चा शुरू हो गयी कि आखिरकार इस लड़ाई का औचित्य क्या था। यह तो गले में नमाज फंस जाने की कहावत के तौर पर साबित हो रही है। कईयों की एफबी वाल पर तो गालियां चलनी शुरू हो गयी हैं, जिनमें योगी सरकार से लेकर अपने साथी लोगों पर हमला किया जा रह है। आत्महत्या की चेतावनी के साथ ही तोड़फोड़ जैसे हिंसक आंदोलन की भी धमकियां भी शामिल हैं। कई लोगों ने तो इस कानूनी लड़ाई के खर्च का हिसाब मांगा जाना शुरू कर दिया है।
एक प्रतियोगी के अनुसार प्रतियोगी छात्रों पर तुषारापात आयोग के अध्यक्ष के तुग़लकी फरमान द्वारा किये जाने के पश्चात हताश छात्रों की रहनुमाई के नाम पर आगे आने वाले तथाकथित छात्रहित समर्थक रंगे सियारों द्वारा ऐसा गंदा खेल खेला गया जो कि निकृष्टता की पराकाष्ठा है। पहले तो प्रशासन से बात की जा रही है कि प्रशासन सुन नही रह कहकर सरकार के विरुद्ध छात्रों में मन मे विद्वेष पैदा किया गया और उसके पश्चात कोर्ट को आखिरी मार्ग बात कर कोर्ट में लड़ने हेतु मोती रकम चंदे के रूप में वसूल की गई। वो छात्र जो सब्जी भी सबसे सस्ती खरीद के खाते है अर्थाभाव में उन्होंने अपने किन किन आवश्यकताओं को नज़रअंदाज़ करके चंदे का जुगाड़ किया हो वो ईश्वर ही बता सकता है । कोर्ट में लचर पैरवी के कारण फैसला छात्रों के विरुद्ध रहा जिसमे की चंदे की कितनी रकम खर्च हुई और कितनी बची इसका हिसाब देने वाला कोई नही । ये किसके इशारे पर किया गया ये विचारणीय विषय है क्योंकि इससे छात्र दिग्भ्रमित होकर परीक्षा स्थगित करवाने का अन्य कोई मार्ग न अपना सके तथा उनका आक्रोश आयोग विरोधी के साथ साथ सरकार विरोधी भी हो गया ये बातें किसी को तो फायदा पहुंचा रही होंगी ।
उधर प्रतिभागियों के एक गुट के नेता कौशल सिंह ने स्पष्ट किया है कि आज हाईकोर्ट में इसी मामले पर एक याचिका को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ताओ से विस्तृत चर्चा हुई है, जिसमें सभी पहलुओं पर ध्यान भी दिया जा रहा है। कौशन के अनुसार कल शुक्रवार को हाईकोर्ट पर सुनवाई होगी। उन्होंने अपील की है कि शांति के साथ अध्ययन जारी रखिए ! सत्यमेव जयते !
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