क्‍या वाकई सठिया गयी हैं मायावती, बोलीं: बौद्ध धर्म अपनाऊंगी

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: सवाल यह कि ऐसे तेवर से ब्राह्मण वोटों को कैसे जोड़ेगी बसपा : आजमगढ़ की रैली में दलित, आदिवासी और पिछड़ों के प्रति आर्तनाद कर गयीं बसपा की बहन जी : आरएसएस, रोहित वेमुला पर ऊना-कांड पर आग उगलती रहीं बसपा सुप्रीमो :

मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता

आजमगढ़ : बसपा की मुखिया के तेवर आज बहुत कन्‍फ्यूज कर गये। दलितों को भी, आदिवासियों को भी, पिछड़ों को भी, और खास कर ब्राह्मणों को लेकर भी। गजब संशय वाला रायता फैला गयीं बहुजन समाज पार्टी की बहन जी मायावती। माना कि दलित, पिछड़े, आदिवासी वोट वगैरह उनके पर्स में उनके पक्ष में कुलबुलाते ही रहते हैं। लेकिन उन ब्राह्मणों का क्‍या होगा, जो मायावती पर यकीन करके दस साल पहले नीला-अम्‍बर की छत पूरे प्रदेश में फैला चुके हैं। आज की रैली में मायावती ने बाकी सारे अपने लोगों पर तो खूब अमृत-वर्षा कर डाली, लेकिन ब्राह्मण-वोटों को बुरी तरह उपेक्षित कर दिया।

आजमगढ़ की रैली को मायावती ने अपने लक्ष्‍य संधान के लिए आयोजित कराया था। इसी संधान-अभियान में मायावती ने बीजेपी को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसने दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के प्रति अपनी सोच नहीं बदली तो वह अपने समर्थकों के साथ हिन्दू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लेंगी। आजमगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने बीजेपी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘जातिवादी एजेंडे’ को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुए उसे हैदराबाद में रोहित वेमुला कांड और गुजरात में ऊना कांड के लिए जिम्मेदार ठहराया।

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आजमगढ़

बीएसपी प्रमुख ने कहा कि जब उन्होंने सहारनपुर में दलितों पर अत्याचार के मुद्दे को राज्यसभा में उठाने की कोशिश की तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्होंने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नक्शेकदम पर चलते हुए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। मायावती ने कहा, ‘बीजेपी जातीय संघर्ष करवा कर वोटबैंक की राजनीतिक चाल चल रही है. इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब जनता जाग गई है, आने वाले निकाय चुनाव में बीएसपी मजूबत होगी। ‘ उन्होंने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नए भारत के निर्माण की बात कहकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. बीजेपी कैसा नया भारत बनाएगी, अंदाजा लगाया जा सकता है। ‘

मायावती ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था के तहत दलितों और दबे-कुचलों के साथ भेदभाव की परिपाटी को देखकर तत्कालीन शंकराचार्यों और संतों से मजहबी व्यवस्था की इन कमियों को दूर करने का आग्रह किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी कारण अंबेडकर ने अपने निधन से कुछ समय पहले नागपुर में अपने अनुयायियों के साथ हिन्दू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लिया था। मायावती ने कहा, ‘मैं बीजेपी को खुली चेतावनी देती हूं कि अगर उन्होंने दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों तथा धर्मांतरण करने वाले लोगों के प्रति अपनी हीन, जातिवादी और सांप्रदायिक सोच नहीं बदली तो मुझे भी हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला लेना पड़ेगा। ‘

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा करने से पहले वह शंकराचार्यों, धर्माचार्यों तथा भाजपा के लोगों को अपनी सोच बदलने का मौका दे रही हैं। नहीं तो उचित समय पर वह भी अपने करोड़ों अनुयायियों के साथ हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ले लेंगी।

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