: एमपी वाले तांत्रिक के अपहरण में फंसा भाजपा नेता, बड़े-बड़े सम्पर्क गांठने में माहिर था सत्यम चौहान : स्वाति सिंह को गुलदस्ता सौंपने की फोटो पर भाजपा में खासी चर्चा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : मध्यप्रदेश के तांत्रिक का अपहरण कर उससे एक करोड़ रुपयों की फिरौती के मामले में पकड़े गये गिरोह के मुखिया सत्यम सिंह चौहान के पॉलिटिकल-कनेक्शन पर खासा विवाद खड़ा हो गया है। मूलत: कानपुर के रहने वाले सत्यम चौहान के बारे में पुलिस को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक सत्यम सिंह चौहान कानपुर देहात भाजपा कार्यकारिणी समिति में मंत्री के ओहदे पर था। लेकिन मध्य प्रदेश में खांडवा के तांत्रिक सुशील तिवारी के अपहरण के मामले में उसका नाम आने के बाद कानपुर देहात की भाजपा कमेटी ने सत्यम सिंह चौहान से अपना पल्ला ही झाड़ लिया। जिला कमेटी के अध्यक्ष कुंवर अविनाश सिंह चौहान का दावा है कि सत्यम चौहान का भाजपा से कोई भी कोई रिश्ता नहीं है। भाजपा अध्यक्ष के मुताबिक पार्टी की कानपुर देहात कमेटी ने एक महीना पहले ही सत्यम सिंह चौहान को पार्टी विरोधी करतूतों के लिए पार्टी से निकाल दिया था।
लेकिन कानपुर देहात भाजपा के अध्यक्ष कुंवर अविनाश सिंह चौहान का दावा भाजपा-कार्यकर्ताओं के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। वजह यह कि इस बारे में कोई भी ठोस प्रमाण भाजपा अध्यक्ष चौहान ने नहीं दिया है। इतना ही नहीं, घटना के कुछ ही दिन पहले अविनाश सिंह चौहान और सत्यम सिंह चौहान संयुक्त के पोस्टरों में इन दोनों को एकसाथ दिखाया गया है। यह पोस्टर स्मृति ईरानी उप्र जनसंवाद रैली अभियान के तहत 27 जून को होने वाली वीडियो कांफ्रेंसिंग कार्यक्रम को लेकर अपील के तौर पर तैयार किया गया था।
जिला अध्यक्ष अविनाश चौहान का दावा है कि कमेटी ने उसके अवैध खनन व अवैध शराब की बिक्री में होने के आरोपों के बाद सत्यम चौहान को पार्टी से निकाल दिया था। इतना ही नहीं, चौहान का दावा है कि उन्होंने सत्यम की पार्टी में प्राथमिक सदस्यता को भी समाप्त कर दिया था। लेकिन दोलत्ती संवाददाता को भाजपा के कुछ सूत्रों के अनुसार हैरत की बात है कि अपनी कमेटी से उसके बर्खास्त किये जाने की कोई भी सूचना या मीडिया को लेकर उनके बयान जैसा कोई भी कवायद जिला अध्यक्ष द्वारा नही किया गया। छोटी-छोटी और बात-बात पर बयान देने वाली प्रवृत्ति वाले अविनाश चौहान का इस बारे में खामोश बना रखना खासा रहस्य ही माना जा रहा है। खास तौर पर तब, जब सत्यम चौहान उनकी कार्यकारिणी का खासा सक्रिय मंत्री था।
सच बात यही है कि सत्यम सिंह चौहान का धंधा अवैध खनन और अवैध शराब को लेकर था। सत्यम चौहान भाजपा का पदाधिकारी होने के नाते जिले ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में ही पुलिस और प्रशासनिक अफसरों से नियमित रूप से मिलता-जुलता रहता था। इतना ही नहीं, उसकी अकबरपुर कोतवाली में गहरी पैठ भी बताया जाता है। दोलत्ती सूत्रों को मिली खबरों के अनुसार अपने इसी पुलिस व प्रशासनिक सम्पर्कों के बल पर वह अवैध धंधे कराता रहता था। लेकिन पुलिस ने उस पर कभी हाथ नहीं डाला।
इस सवाल का जवाब जिला अध्यक्ष कुंवर अविनाश सिंह चौहान के पास नहीं है कि उन्होंने सत्यम चौहान को कब अपनी कार्यकारिणी से हटाया और कब ऐसी बर्खास्तगी की घोषणा की थी। इस सवाल का भी जवाब अविनाश चौहान के पास नहीं है कि अगर सत्यम को पार्टी से बर्खास्त किया गया था तो आज तक वह गाड़ी में भाजपा का झंडा और पद की नेम प्लेट लगाकर कैसे चल रहा था। अविनाश चौहान का कहना है कि सत्यम चौहान को पार्टी से एक माह पहले कार्यकर्ताओं से अभद्रता करने के मामले में बाहर निकाल दिया गया था और सदस्यता भी समाप्त की जा चुकी है, मौजूदा समय में उसका पार्टी से कोई संबंध नहीं है। लेकिन अविनाश चौहान इस बात का भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि ऐसी किसी अभद्रता को लेकर उन्होंने सत्यम चौहान को कोई शो-कॉज नोटिस जारी भी थी या नहीं।