क्लास में बलात्कार की कोशिश, मामला दबा दिया गया

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: ऐसे हादसों पर टीसी काटने के बजाय, कौंसिलिंग की जरूरत : फिर मॉनीटर और क्लास कैप्टन का क्या औचित्य : अलीगंज शाखा में बढ़ने लगीं ऐसी घटनाएं, प्रशासन खामोश : कमाल है केन्द्रीय विद्यालय- तीन :

कुमार सौवीर

लखनऊ : किसी भी विद्यालय के किसी भी क्लास में होने वाली किसी भी गतिविधियों की खबर रखना किसी भी विद्यालय की प्राथमिकताओं में से एक है। क्लास चल रही हो या क्लास छूट चुका हो, और उसके दौरान क्या-क्या हरकतें चल रही हैं, अगर इसकी खबर शिक्षक को नहीं है, तो समझिये कि समग्र शिक्षा की संकल्पना साकार नहीं हो सकती है। ऐसी शिक्षा केवल औपचारिकता तक ही सिमट जाएगी।

अलीगंज के केन्द्रीय विद्यालय में यही हुआ। कक्षा-छह में पढ़ने वाली एक बच्ची के साथ कक्षा दस के एक लड़के ने बलात्कार की कोशिश की। लेकिन इस हादसे को स्कूल प्रशासन ने पूरी तरह दबा दिया। बच्ची के परिवारीजनों ने भी अपने होंठ सिल लिये और दोषी लड़के के परिजन अपने बच्चे को खुशी-खुशी अपने घर चले गये कि चलो कम से कम पुलिस-जेल का लफड़ा तो नहीं हुआ। स्कूल प्रशासन ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ यह कदम उठाया कि उस लड़के के घरवालों को उस लड़के की टीसी यानी स्कू्ल से नाम काटने की रसीद थमा दी। लेकिन क्या केवल पर्याप्त था? क्या ऐसा करके स्कूकल प्रशासन ने अपना पल्लू नहीं झाड़ा? बिलकुल।

दरअसल, यह हादस तो स्कूल प्रशासन की लापरवाही के चलते हुए था। स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची के पिता ने मुझे बताया कि इसके पहले भी इसी बच्ची के साथ उसी लड़के ने उस वक्त अश्लील हरकत की थी। उस वक्त कक्षा छूट चुका था, ज्या़दातर ज्यादा बच्चे कक्षा से बाहर निकल चुके थे। उस कक्षा में पांच-सात छात्र-छात्राएं मौजूद थे। इसी वक्त‍ कक्षा दस में पढ़ने वाले उस लड़के ने उस बच्ची के सामने अपने पैंट खोल दी थी।

लेकिन हैरत की बात है कि पांच-सात बच्चों की मौजूदगी में हुई इस घटना की खबर स्कूल प्रशासन को कई महीनों तक नहीं मिल पायी। कारण जानते हैं क्यों? क्योंकि कक्षा के बच्चों और शिक्षक के बीच संवाद ही नहीं था। इस संवेदनहीनता के चलते ही एक भी बच्चे ने उस चार कक्षा से ज्यादा वरिष्ठ छात्र की ऐसी बेहूदी हरकत की खबर अपनी शिक्षक को नहीं दी। जाहिर है कि बच्चे अपने शिक्षकों से भयभीत रहे होंगे अथवा उनके बीच केवल औपचारिक रिश्ते ही होंगे। आत्मीयता तो हर्गिज नहीं।

नतीजा, मामला दबा ही रहा। मॉनीटर और कैप्टन जैसी जरूरी व्यवस्थाएं धूल-धूसरित हो गयीं। शिक्षक-छात्र का रिश्ता खत्म हो गया और नतीजा यह हुआ कि उसी बच्ची के साथ उसी लड़के ने यह घिनौनी हरकत कर डाली।

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