नागपंचमी में गुडि़या पीटने की परम्‍परा में बलात्‍कार विमर्श

सैड सांग

: क्‍यों पीटी जाती हैं गुडि़यां, क्‍या यह कन्‍या प्रताड़ना पर बहस का मसला नहीं है : हर चौराहे पर पीटी जाती है गुडि़या, कोड़ों और डंडों से भी, पूरे उल्‍लास के साथ : तक्षक ने औरतों के पेट में न पचने वाली बातों पर कुपित होकर औरतों को सरेआम पिटवा दिया :

डॉ कान्ति शिखा

मुरादाबाद : मुरादाबाद : स्त्री को लेकर हमारे यहाँ जितने विरोधाभास हैं, शायद ही किसी अन्य क्षेत्र में मिलें…. एक तरफ स्त्री के सम्मान की बड़ी बड़ी कथाओं से साहित्य भरा पड़ा है और दूसरी तरफ स्त्री को लेकर जितनी घृणास्पद परम्पराएँ हमारे समाज में प्रचलित हैं, वे अन्यत्र दुर्लभ हैं….

नागपंचमी का त्योहार यूँ तो हर वर्ष देश के विभिन्न भागों में मनाया जाता है लेकिन उत्तरप्रदेश में इसे मनाने का ढंग कुछ अनूठा है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इस त्योहार पर राज्य में गुडि़या को पीटने की अनोखी परम्परा है।

नागपंचमी को महिलाएँ घर के पुराने कपडों से गुड़िया बनाकर चौराहे पर डालती हैं और बच्चे उन्हें कोड़ों और डंडों से पीटकर खुश होते हैं। इस परम्परा की शुरुआत के बारे में एक कथा प्रचलित है।

तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी। समय बीतने पर तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में ब्याही गई। उस कन्या ने ससुराल में एक महिला को यह रहस्य बताकर उससे इस बारे में किसी को भी नहीं बताने के लिए कहा, लेकिन उस महिला ने दूसरी महिला को यह बात बता दी और उसने भी उससे यह राज किसी से नहीं बताने के लिए कहा, लेकिन धीरे-धीरे यह बात पूरे नगर में फैल गई।

तक्षक के तत्कालीन राजा ने इस रहस्य को उजागर करने पर नगर की सभी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा करके कोड़ों से पिटवा कर मरवा दिया। वह इस बात से क्रुद्ध हो गया था कि

औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती है। तभी से नागपंचमी पर गुड़िया को पीटने की परम्परा है।

गुड़िया है तो बेटी का प्रतीक…. इस प्रतीक को चौराहों पर पीटना… आखिर क्या संदेश देती है यह परम्परा???

और हमारा समाज इस परम्परा को बड़ी धूमधाम से मनाता है। फिर क्यों बेटियों की दहेज हत्या, बलात्कार, भ्रूण हत्या पर घड़ियाली आँसू बहाते हैं हम? क्या खाक हम बेटियों के लिए

संवेदनशील हो रहे हैं…..!

डॉ कान्ति शिखा एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे समसामयिक मसलों पर लगातार अपनी लेखनी चलाती रहती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *