ओह्हो, तो भाजपा में अनुशासन का मतलब यह होता है

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

मेरी बिटिया डॉट कॉम के पास मौजूद हैं राघव-कांड की क्लिप्स

: नौकरबाज मंत्री जैसे अनुशासित नेता भाजपा में सम्मानित : समलैंगिक होना बुरा नहीं होता है, बुरी होती है नीयति : राघवजी ने गरीब नौकर को लालच देकर देह-शोषण किया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : दुनिया में फ्रांस और अमेरिका समेत अनेक देशों में समलैंगिक सम्बन्धों को न तो गैर-कानूनी माना जाता है और न ही उसे समाजिक कुरीति समझा जाता है। कई देशों में तो समलैंगिक लोगों को परस्पर वैवाहिक रिश्ते में रखने को मान्यता तक दे रखी है। इन देशों और वहां के लोगों में इसे परस्पर समझ का रिश्ता माना जाता है, लेकिन अगर भारत में यह सामंती सोच से पनपी विद्रूप मानसिकता वाला कुकृत्य माना जाता है, तो सही ही है। नजीर हैं, एमपी के वित्त मंत्री राघव जी। उनकी करतूत जग-जाहिर हो चुकी है और जाहिर है इसके बाद से ही इस कांड पर धत्तेरी-लेत्तेरी की हो चुकी है। जग-हंसाई तो सामान्य बात है।

अब जरा इस पूरे प्रकरण पर राघव जी जैसे लोगों की दोगली मानसिकता पर एक बार दृष्टिपात तो कीजिए, फिर आपको पता चल जाएगा कि आखिर राघव जी जैसे लोगों और गर्व के साथ अपनी छाती ठोंकने वाले अमरीकी, फ्रांसीसी जैसे विदेश लोग अपनी समलैंगिकता को गर्व मानते हैं। जरा मुजायका लीजिए राघवजी के बयान पर जो उन्हों ने इस कांड का खुलासा होने पर अपनी सफाई में कहा है, ‘राजकुमार गरीब घर का लड़का है। हमने हमेशा उसकी मदद की। पिछले तीन-चार साल से हमारे घर पर रह रहा था। उसके आरोप समझ से परे हैं। लगता है इसकी पृष्ठभूमि में कोई और है। मुख्यमंत्री के कहने पर मैंने इस्तीफा दे दिया है।’

इसी खुलासे के बाद ही बौखलायी भाजपा ने शिवशंकर उर्फ मुन्ना पटेरिया को पार्टी से ही बाहर निकाल दिया। अब सवाल तो यह है कि इस पूरे प्रकरण में पटेरिया क्या हैं और राघव जी क्या हैं, यह भाजपा ने अब तक स्पष्ट नहीं किया है। लेकिन इससे भी आगे बढ़कर एक सवाल जरूर उछाल दिया है कि पटेरिया ने पार्टी में अनुशासन भंग किया है। सवाल दर सवाल तो अब यह है कि क्याह भारतीय जनता पार्टी का अनुशासन यही है जो राघव जी ने किया है। हमें यकीन है कि आज न कभी किसी पार्टी नेता से कोई न कोई पत्रकार यह सवाल तो यह भी उछाल ही देगा कि :- नेता जी, आपकी पार्टी में राघवजी जैसे अनुशासन लागू करने वाले कितने मौजूद हैं। सवाल तो यह भी पूछ लिया जाना ही चाहिए कि:- नेता जी, आपकी पार्टी में अनुशासन मानने और अनुशासन भंग करने वालों की तादात का प्रतिशत यानी फीसदी फर्क क्या है।

वैसे मुझे लगता है कि इस शर्मनाक कांड के बाद भाजपा को अब अपना गिरहबान जरूर झांकने की जरूरत है। हालांकि हम खूब समझते हैं कि भाजपाई लोग दिन को रात या रात को दिन तो कह और मान सकते हैं, मगर ऐसे छद्म अनुशासन पर वे हमेशा अड़े ही रहेंगे। यही वजह है कि भाजपाइयों और संघियों पर ऐसे कुत्सित आरोप लगते ही रहे हैं, लेकिन न तो भाजपा ने और न ही संघ ने इस प्रकरण पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की। उनके विरोधी तो यह तो खुलेआम कहते हैं कि उनका सघन उनके स्पष्ट मौन का प्रतीक है।

कुछ भी हो, राघवजी जैसे लोग अगर भाजपा के अभिन्न नेता हैं और अगर भाजपा में अनुशासन का मतलब यही है और अगर पार्टी में सुधारने वाले पटेरियों को इसी तरह पार्टी से बाहर निकालने की परिपाटी चलती रहेगी, तो हमें कोई ऐतराज नहीं है। किसी को भी नहीं होगा, लेकिन तब यह देश जरूर देखना चाहेगा कि राघव जी ने ऐसी कौन सी अनुशासन की परम्परा का पालन किया था, जिसके विरोध में खड़े होने का अंजाम पटेरिया को भुगतना पड़ा।

राघव जी के इसी ताजे कांड के सारे वीडियो क्लिप्‍स हमारे पास मौजूद, पर चूंकि यह सारी की क्लिप्स बेहद अश्लील और नंगी हैं, कि हम उन्हें छाप-प्रकाशित नहीं सकते हैं। यह हमारी न्यूज पोर्टल-पत्रिका मेरी बिटिया डॉट कॉम की प्रोफेशनल मजबूरी है। हां कोई दूसरा माध्यम होता तो शायद यह प्रकाशित या दिखाया जा सकता था, लेकिन चूंकि हम महिलाओं पर केंद्रित पोर्टल-पत्रिका हैं, इसलिए हममें नैतिकता, शुचिता और जिम्मेदारी का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ है। सो, सुधी पाठकजन, हमें क्षमा करें।

मध्य प्रदेश में भाजपा के दिग्गज और पूर्व वित्तमंत्री राघवजी की सारी करतूतों का आप अगर जायजा लेना चाहें तो कृपया क्लिक करें:- नौकरबाज मंत्री

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