कुलपति बांगड़ू है। इसकी आंख फोड़ो, खंझड़ी बजायेगा

बिटिया खबर

: कैसे-कैसे नमूने भर दिये गये हैं यूपी के उच्‍चशिक्षा क्षेत्र में : रोजगार नहीं है तो खंझड़ी को राष्‍ट्रीय रोजगार बनाओ न : अंधों की तरह ट्रेन में उचक-उचक कर खंझड़ी बजाओ, कितने में मिलेगी खंझड़ी :
चंचल भूजी
जौनपुर : आज फेसबुक पर हिंदी पट्टी के महीन इलाके में स्थित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्व विद्यालय के कुलपति का भाषण चल रहा है । लोग उसका मजाक उड़ा रहे हैं ।
जब कि वह मजाक की जद से बाहर, अपराध के घेरे में खड़ा है । उसका ऑपरेशन किया जाय तो उसमें एक ही ट्यूमर कई परतों में निकलेगा । सपा की सरकार में उसकी जाति उसके ओहदे से ऊपर जो जाती है । नाम है राजा राम यादव । बहुजन के सामने उसके पास बाबा साहब भीमराव की तस्वीर सदर दरवाजे पे लटक जाती है और वह खुद नीले सूट में घुस जाता है । भाजपा सरकार में उसके पास सबसे बड़ी डिग्री की घोषणा होने लगती है और इस डिग्री का बखान कोई दूसरा नही करता , यह कुलपति खुद करता है – ‘ में इलाहाबाद में संघ का प्रचारक था ‘ । ‘ प्रचारक से बड़ी कोई और डिग्री है इस जमाने मे ? दुर्भाग्य से उसके इस भाषण के समय हम जनता में बैठे थे और बड़े शिक्षामंत्री और उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा मुख्य अतिथि थे । कुलपति के भाषण के इस हिस्से पर मंत्री भी असहज हुए ।
कुलपति के इस हिस्से की जानकारी कुछ कुछ हमे पहले ही हो चुकी थी । इसके पीछे एक और कथा है ।
हम एक सेमिनार में भाग लेने उसी विश्व विद्यालय गए थे , सौभाग्य से वह मुल्तवी हो गया । वाPसी में एक बैनर लगा देखा । कुलपति ने विश्वविद्यालय की तरफ से एक धर्म विशेष का गवनई कार्क्रम रखा था ।

हमने उसका विरोध किया । अखबारों में यह खबर छःपी और गायब हो गई । उसी के हफ्ते भर बाद योगी सरकार की पुलिस हमे गिरफ्तार कर लिया , चालीस साल पुराने एक मुकदमे के तहत । हम पर आरोप लगा है कि हमने जिले के एक छोटे कलेट्टर को काम करने से रोका , और चूंकि कलेट्टर का हर काम सरकारी होता है सो हम एस्टेट बनाम चंचल हो गए । बहरहाल दूसरे दिन जमानत हो गई । हमारी गिरफ्तारी पर फिर यह कुलपति बाहर आया और इसी बड़े मंत्री की मौजदगी में हमारा नाम लेकर बोल गया कि चंचल को हमारे श्राप ने जेल भेज दिया । हमे बताया गया कि शिक्षा मंत्री को यह भी टिप्पणी अच्छी नही लगी । हमने भी कभी उनसे इस बाबत बात नही किया ।
आज इसका जो भाषण चल रहा है बहुत मजेदार है । शिक्षा और रोजगार पर सरकार की नीति बता रहा है उदाहरण के साथ – ‘ हम इलाहाबाद में थे , ट्रेन से आते जाते थे । एक दिन क्या देखा कि ट्रेन में एक अंधा बैठा है , दोनो आंख नही है। उसके पास एक “खंझड़ी’ है । उसने भजन सुनाना शुरू किया और उसके बाद उसके पास उतना पैसा हो गया कि वह दो दिन आराम से घर बैठे खा पी सकता है ( तालियाँ बजी ) लोग शिकायत करते है रोजगार नही है , कितने में मिलेगी एक खंझड़ी ? न खरीद पाओ तो हमारे पास आओ कुलपति खँजड़ी देगा । ( बच्चू काशी विश्व विद्यालय के छात्रों के सामने उसका कुलपति यही बोला होता तो कोई एक दीन दयाल उठ कर विशुद्ध बनारसी में बोलता – भो खंझड़ी तुम दोगे और आंख कौन फोड़ेगा , तुम्हारा बाप ? उतर कुर्सी से VC go back ) लेकिन यहां तालियां बजी ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *