: रामाधीन इंटर कालेज के खेल:मैदान पर स्टे, लेकिन ठेंगे पर है अदालती आदेश :
संजय आजाद
लखनऊ : राजधानी लखनऊ में शैक्षिक संस्थानों की संपत्ति की लूट पहले तो दबे:छिपे होती थी, लेकिन आजकल यह माफिया:कर्म बाकायदा शातिराना अंदाज में फल:फूल रहा है। संतरी से लेकर मंतरी तक इस काले धंधे से अपना चेहरा काला करने की होडृ में हैं।
ताजा मामला है लखनऊ में कभी ख्यातिलब्ध शैक्षिक संस्थान रामधीन इंटर कालेज। कभी इस कालेज का नाम शिक्षा के क्षेत्र में सुख्यात था,लेकिन इस संस्थान की जमीनों और संपत्तियों पर मानो काल का ग्रास बनाने की साजिशें रंग आती जा रही हैं। मुख्यमंत्री योगीराज की नाक के नीचे अरबों रुपए की नजूल भूमि पर अवैध कब्जा है। वह भी तब जबकि अदालत में यह मामला चुनौती दी जा चुकी है। लेकिन काले धंधे करने वालों पर कोई भी कार्रवाई नहीं हो रही। इतना ही नहीं, इस समय तो सत्तासीन पार्टी से लेकर सरकार में घुसे लोग भी इस संस्थान में अपनी कुंडली जमाये बैठे हैं।
इस जमीन पर कर जबरन किये गये अवैध निर्माणों में हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया हत्यारे सूरज वर्मा संग मिल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह पका रहे हैं खिचड़ी। विगत 16 जनवरी को स्वतंत्र देव सिंह अपने पूरे लाव:लश्कर के साथ यहां पहुंचे और शिक्षा की प्रतिमा पर तमाचे जडृ कर वापस रवाना हो गये। आपको बता दें कि सूरज वर्मा तीस बरस पहले डालीगंज के सभासद अशोक आजाद की हत्या पर आरोपित है।
सच बात तो यही है कि देश और खासकर उत्तर प्रदेश की संवैधानिक संस्थाओं में बैठे जिम्मेदारानों के मुंह पर एक हिस्ट्रीशीटर खुलेआम मार रहा है तमाचा। आपको बता दें कि वहीं दूसरी ओर लखनऊ विकास प्राधिकरण के ध्वस्तीकरण आदेश दिनांक 03.09.2008 पर हाईकोर्ट लखनऊ ने वर्ष 2012 से हिस्ट्रीशीटर हत्यारे के पक्ष में दे रखा है स्टे ???वाह री भारत की अंधी लचर-लाचार बिकाऊ सत्ताधारी सरकारों के हाथों की कठपुतली सरीखी कानून-व्यवस्था तेरा भी जवाब नहीं। जहां हिस्ट्रीशीटर भू-माफिया हत्यारे सरीखों को माननीय कहा जाने लगे तो समझ लीजिए यह देश कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
अरे कुछ तो शर्म करो।
इस प्रकरण पर दोलत्ती ने जब सूरज वर्मा से उनका पक्ष हासिल करने की काफी कोशिशों कीं। लेकिन सूरज वर्मा से संपर्क नहीं हो पाया।
सराहनीय के साथ-साथ देश और खासकर उत्तर प्रदेश की संवैधानिक संस्थाओं में बैठे महानुभावों के मुंह पर खुलेआम तमाचा वह भी एक हत्यारे हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया के हवाले से।
क्या इस देश की कथित न्यायपालिका इस खबर को पढ़ने के वास्ते अपनी आंखों से काली पट्टी उतारना चाहेगी ????