खानदानी वकील हैं जस्टिस अग्रवाल, बाल की खाल निकालेंगे

दोलत्ती

: विकास दुबे कांड : इलाहाबाद के न्‍यायिक जगत में खासी धाक है शशिकांत अग्रवाल परिवार की, सिरमौर जैसी : झारखंड तबादले पर नौकरी छोड़ दी थी शशिकांत ने, अपराध के विशेषज्ञ विधिवेत्‍ता :

कुमार सौवीर

लखनऊ : पूरे आठ दिन तक कानपुर को पूरे देश-दुनिया में दहला देने वाले विकास दुबे पर न्‍यायिक आयोग बन गया है, इसके अध्‍यक्ष हैं जस्टिस शशिकांत अग्रवाल। इलाहाबाद न्‍यायिक इतिहास में सबसे ज्‍यादा गम्‍भीर और कद्दावर खानदान के जस्टिस शशिकांत अब विकास दुबे के मामले के बाल की खाल निकालने जा रहे हैं। वे खोजेंगे कि आखिर पहली-दूसरी जुलाई की रात से लेकर दस जुलाई की सुबह पौने सात बजे के बीच क्‍या-क्‍या घटनाक्रम हुए। वे जांचेंगे कि इस मामले में कौन, कितना और कैसे दोषी है। इतना ही नहीं,शशिकांत यह भी परखेंगे कि किन हालातों में यह पूरा हादसा हुआ, और भविष्‍य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्‍या-क्‍या तरीके खोजा जा सकता है। यह पूरी कवायद दो महीनों में पूरी कर ली जाएगी।

माना जा रहा है कि जस्टिस शशिकांत अग्रवाल को यह जांच सौंपे जाने के बाद यह मामला दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। बिलकुल पारदर्शी। वजह यह कि शशिकांत का पूरा इतिहास ही न्‍यायिक खानदान माना जाता है। बेदाग, निर्विवाद और बेहिचक। दोलत्‍ती डॉट कॉम को मिली जानकारियों के अनुसार जस्टिस शशिकांत के बड़े भाई रविकांत अग्रवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट में नामित वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता ही नहीं, बल्कि साफ-सुथरी छवि और बेधड़क वकालत के जगत में सिरमौर माने जाते हैं। रविकांत अग्रवाल जिस चैम्‍बर से माने जाते हैं, वह जेडी गिरी की है। जेडी गिरी एक नामचीन वकील थे और चंद्रशेखर के साथ उनकी खासी अभिन्‍नता थी। बहरहाल, इस अग्रवाल परिवार में जस्टिस सुनीता और वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता पंकज मित्‍तल आदि प्रमुख हैं। रविकांत के छोटे भाई हैं शशिकांत अग्रवाल।

दोलत्‍ती सूत्रों के मुताबिक शशिकांत अग्रवाल इलाहाबाद में ही वे ज‍ज बने, लेकिन अचानक उनका तबादला झारखंड हाईकोर्ट में हो गया। यह तबादला चौंकाने वाला था। सामान्‍य तौर पर परम्‍परा के तहत ऐसे तबादलों पर जज अपनी नयी कुर्सी पर चुपचाप चले जाते हैं, लेकिन जस्टिस शशिकांत अग्रवाल उस परम्‍परा से अलग हो गये और उन्‍होंने तत्‍काल इस्‍तीफा दे दिया। नौकरी छोड़ने के बाद जस्टिस शशिकांत अग्रवाल इस वक्‍त सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे हैं। इस प्रकरण में सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण बात यह है कि शशिकांत अग्रवाल क्राइम केसेज में मशहूर हैं। जस्टिस बनने के बाद भी उनकी शाखा अपराध से जुड़े मामले ही रहे हैं।

दोलत्‍ती संवाददाता को मिली जानकारियों के अनुसार गैगस्टर विकास दुबे कांड में एसआईटी और ईडी व आयकर विभाग भी अलग-अलग पहलुओं पर भी जांच कर रहा है। आयकर विभाग का जिम्‍मा है कि वे विकास दुबे के आर्थिक स्रोतों की जांच करें। खैर, अग्रवाल कमीशन को समय दो महीना का दिया गया है और उस का मुख्यालय कानपुर में होगा। हालांकि चर्चाएं चल रही है कि इतना बड़ा विषय रखने वाले इस हादसे को केवल दो महीनों में निपटाया जा पाना शायद मुमकिन न हो पाये।

मिली जानकारी के अनुसार शशिकांत आयोग 2 जुलाई को बिकरू गांव में हुए शूटआउट से लेकर 10 जुलाई तक पुलिस और इस प्रकरण से सम्बंधित अपराधियों के बीच प्रत्येक मुठभेड़ की भी जांच करेगा। आयोग विकास दुबे और उसके साथियों की पुलिस तथा अन्य विभागों/ व्यक्तियों से सम्बंध रखने और शामिल होने वाले मामले की भी जांच करेगा। अग्रवाल कमीशन जांच के साथ साथ ऐसी घटना दुबारा न हो इस पर भी सुझाव देगा।

उधर यूपी सरकार ने शशिकांत अग्रवाल आयोग के अलावा भी इस मामले को जांच विशेष अनुसंधान दल से कराने का निर्णय लिया गया था। यह जांच अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। लेकिन इसके शुरूआत में ही दाल में मक्‍खी पड़ चुकी लगती है। इस जांच दल में अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा तथा पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रवीन्द्र गौड़ को एसआईटी का सदस्य नामित किया गया है, जबकि जे रवींद्र गौड़ पर खुद ही गम्‍भीर आरोप लगे बताये जाते हैं। ऐसी हालत में इस जांच दल की विश्‍वसनीयता पर ही शक-शुबहा शुरू हो गया है।

 

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