एनकाउंटर नहीं, यह कोल्‍ड ब्‍लडेड मर्डर है: आईबी सिंह

दोलत्ती

: विकास दुबे की मौत पर लखनऊ हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आईबी सिंह से खास बातचीत : कोई साक्ष्‍य है कि पुलिस ने जिन बाकी लोगों को मारा, वे कानपुर हादसे में शामिल थे :

कुमार सौवीर

लखनऊ : पुलिस एनकाउंटर में दुर्दान्‍त अपराधी विकास दुबे को भले ही पुलिस ने हमेशा-हमेशा के लिए नींद में सुला डाला हो, लेकिन उस एनकाउंटर के तथ्‍यों से जुड़े सवाल एकाएक भड़भड़ा कर खड़े हो गये हैं। वरिष्‍ठ विधि-वेत्‍ताओं का साफ कहना है कि विकास दुबे की मौत पुलिस एनकाउंटर में नहीं, बल्कि वह कोल्‍ड ब्‍लडेड मर्डर ही रहा है। विधि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस कांड में जिस तरह जरूरी मसलों को अनदेखा गया है, उसके गम्‍भीर नतीजे समझ को भुगतने होंगे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में नामित सीनियर एडवोकेट आईबी सिंह का साफ कहना है कि विकास दुबे को मारा जाना दरअसल एक साजिश का हिस्‍सा रहा है, जिसे साफ-साफ कोल्‍ड ब्‍लडेड मर्डर कहा जाएगा। उनका कहना है कि सारी परिस्थितियां साबित करती हैं कि विकास को पुलिस ने एक साजिश के तहत मौत के घाट उतारा है। उनका कहना है कि किसी भी सभ्‍य समाज में इस तरह की साजिशों का कोई स्‍थान नहीं होता है। आज भले ही पुलिस अपनी पीठ ठोंक रही हो, लेकिन आने वाले वक्‍त में न तो पुलिस उससे जुड़े सवालों का जवाब दे पायेगी, और न ही सरकार में बैठे लोग सुकून हासिल कर पायेंगे।

आईबी सिंह का कहना है कि उज्‍जैन के महाकाल मंदिर में जिस तरह विकास ने अपने को गिरफ्तार कराया था, उससे कत्‍तई नहीं लगता कि वह भविष्‍य में भागने की योजना बनायेगा। क्‍यों भागता वह, जब वह खुद ही पुलिस के पास पहुंच गया था ? फिर पुलिस से क्‍यों भागता ? कोई एक तो वजह बताये पुलिस ? कमाल की बुनावट की है पुलिस ने कि महाकाल की शरण में पहुंच कर पुलिस को अपने आप को समर्पित कर देने वाला विकास चंद घंटों के भीतर ही कानपुर के करीब गाड़ी पलटने से भागने लगा। हद है।

आईबी सिंह पूछते हैं कि पुलिस को यह भी बताना होगा कि आखिर एक समान परिस्थितियों में विकास के सारे सहयोगियों को पुलिस ने एनकाउंटर के नाम पर ढेर कर दिया। अब कैसे साबित करेगी पुलिस के वे लोग दो जुलाई को हुए हादसे में शामिल थे। चाहे कुछ भी हो, खून का जवाब तो पुलिस को देना ही होगा। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज की अनिवार्य और मजबूत की बुनावट पर गहरी चोट पहुंचाती हैं। इसके बाद तो असली चुनौती तो पुलिस के नियंत्रण पर होगी, जो इस तरह की कहानियां सरीखे एनकाउंटर से अपने आप को प्रेरित करते रहेंगे, और उसके बाद समाज को नियंत्रित करने वाली जरूरत और चुनौतियां ही बुरी तरह ढहने लगेंगी।

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