खबरदार ! पुलिस कमिश्‍नर साहब बाल उखाड़ लेते हैं

दोलत्ती

: लखनऊ में रहना है तो नये पुलिस आयुक्‍त ध्रुवकांत ठाकुर से सहम जाना जरूरी : गोमती नगर विस्‍तार थाना में हिरासत-हत्‍या और बरेली के युवक-युवती की आत्‍महत्‍या में पूर्व आयुक्‍त के हाथ रंगे हैं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह बड़ी झंझट वाला मसला है कि राजधानी के बंथरा इलाके में जहरीली शराब पीने से छह लोगों की मौत हो गयी, लेकिन पूरे मामले की गाज फूड़ी गयी लखनऊ के पुलिस कमिश्‍नर सुजीत पांडेय के सिर पर। वजह यह कि यह जहरीली शराब तो सरकारी गल्‍ला वाले कोटेदार की दूकान से बेची जाती थी, उस पर नियंत्रण होता है जिला आपूर्ति अधिकारी का। जबकि अवैध शराब पर निगरानी करने का दायित्‍व होता है जिला आबकारी अधिकारी का। और इन दोनों ही अफसरों की निगरानी का जिम्‍मा जिलाधिकारी का होता है। लेकिन इस मामले में नाप दिये गये सुजीत पांडेय।

कुछ भी हो, ऐसा कहने का मतलब यह नहीं कि सुजीत पांडेय दूध के धुले हुए थे। हरगिज नहीं। सच बात तो यह है कि कई मामलों में सुजीत पांडेय ने कानून और आम आदमी के हितों की हत्‍या करने जैसा कुकृत्‍य भी किया। लेकिन ऐसी हरकतें अपराधियों पर कड़ी निगरानी करने के नाम पर की गयीं। चाहे वह रणजीत बच्‍चन की हत्‍या के मामले में पकड़े गये व्‍यक्ति को गोली मारने का मामला रहा हो, या फिर आशियाना थाने के पास सरासर एक व्‍यक्ति को एनकाउंटर के नाम पर गोली मार दिये जाने का।

हालांकि कुछ महीनों पहले लखनऊ पुलिस की घिनौनी करतूत तब सामने आयी थी, जब कृष्‍णा नगर थाने के पुलिसवालों ने एक प्रेम-संबंध में एक लड़की और उसके प्रेमी को बरेली से पकड़ा था। सूत्र बताते हैं कि उस घटना में इन पुलिसवालों ने उस लड़की और उसके युवक की जम कर पिटाई भी की थी। सूत्रों के अनुसार यह पुलिसवाले जब इन प्रेमी-प्रेमिका को दबोच कर कार द्वारा बरेली से लखनऊ ले जाने जा रहे थे कि रास्‍ते में ही इन युवक-युवती ने सल्‍फास खा कर अपनी इहलीला खत्‍म कर दी थी। लेकिन इस पूरे मामले की सूचना के बावजूद सुजीत पांडेय ने पुलिस की इस हरकत को दबाये रखा और पूरा मामला रफा-दफा कर दिया।

ऐसे कई मामले सामने आये हैं जब सुजीत पांडेय ने आम आदमी की मौत पर मिट्टी डाली और असल अपराधियों को साफ बचा लेने का रास्‍ता खोल दिया। आपको याद होगा कि विगत 2 जुलाई को राजधानी के गोमतीनगर विस्‍तार थाने की हवालात में एक युवक की लाश मिली थी। चोरी के एक मामले में यह युवक हवालात में बंद था। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि उस युवक ने पहले तो अपना सिर हवालात की दीवार पर फोड़ लिया था और उसके बाद अपनी पैंट की बेल्‍ट से फांसी लगा ली थी। जाहिर है कि इस मामले को आत्‍महत्‍या के तौर पर ही पुलिस ने रफा-दफा कर दिया।

लेकिन उस हादसे के चार महीनों बाद ही यह मामला भड़क गया। मृतक के भाई ने इस पर हंगामा किया तो मामला राजनीतिक बन गया। जांच हुई तो पता चला कि एक पूर्व डीआईजी उदय शंकर जायसवाल और उसके नौकर राजकुमार ने रात को ढाई बजे अपने निर्माणाधीन मकान में सीतापुर के महोली निवासी मुकेश नामक उस युवक को पकड़ा था। सुबह तक मुकेश को जमकर पीटा गया और उसके छह बजे पुलिस मोबाइल की टीम के हवाले कर दिया गया। जहां पुलिस ने उसे गोमती नगर विस्‍तार थाने पहुंचा दिया था। लेकिन उस के फौरन बाद ही डीआईजी उदयशंकर जायसवाल और उसका नौकर राजकुमार थाने पर पहुंचा और वहां मौजूद पुलिसवालों से कह कर हवालात में मुकेश की बुरी तरह पिटाई की। सूत्र बताते हैं कि उस पिटाई से ही मुकेश की मौत हो गयी।

इस हत्‍या से पुलिसवालों के होश उड़ गये। आनन-फानन मामला बड़े अफसरों तक पहुंचा तो अफसरों ने इस मामले पर राख डाल कर उसे गुपचप आत्‍महत्‍या का मामला साबित करना शुरू कर दिया। ऐसे एक नहीं, पचासों मामले सामने आये हैं, जब सुजीत पांडेय ने अपने कार्यकाल में लखनऊ के आम लोगों के खिलाफ पुलिस के अतिवाद का केंद्र बना दिया।

अब सुन लीजिए नये पुलिस आयुक्‍त ध्रुवकांत ठाकुर की कहानी। ध्रुवकांत ठाकुर यानी डीके ठाकुर पहले मायावती सरकार में बिल्‍लौरी आंखों वाले अफसरों में से अव्‍वल माने जाते थे। बिल्‍लौरी आंख बोलें, तो मायावती के ब्‍ल्‍यू-आइड ब्‍वॉय। लेकिन उससे पहले तो यह जान लीजिए कि गूगल तक को ध्रुवकांत ठाकुर का अर्थ ही नहीं पता। बहरहाल, अपने जीवन संकल्‍प और तरीकों को ये डीके ठाकुर उसी निष्‍ठा के साथ निभाते हैं, जैसे पौराणिक कथा में राजा उत्तानपाद का बड़ा पुत्र ध्रुव। एक घटना के बाद ध्रुव ने अपने जीवन का भगवान के चरणों में रहने का संकल्‍प लिया था, कुछ उसी तरह मायावती सरकार में डीके ठाकुर ने अपने जीवन का संकल्‍प खोज लिया। वे लखनऊ के एसएसपी और डीआईजी बन गये।लेकिन उनकी ख्‍याति तब जगजाहिर हुई, जब विधानसभा के सामने एक प्रदर्शन के दौरान डीआईजी डीके ठाकुर ने जिला पुलिस प्रमुख की गरिमा को त्‍याग कर एक प्रदर्शनकारी का बाल पकड़ कर उसे सड़क पर घसीटा और बाद में उसके चेहरे को अपने जूतों से रौंद डाला था।

इसीलिए जिस तरह ध्रुव को आसमान में स्थिर और सबसे ज्यादा चमकने वाले तारे ‘ध्रुव तारे’ के नाम से याद किया जाता है, ठीक उसी तरह ध्रुवकांत ठाकुर को भी यूपी पुलिस और खास कर राजधानी के नागरिकों में पहचाना जाता है।

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