: सुब्रत राय के पास तो भूंजी भांग तक नहीं है, छूंछी टेंट : प्रमोद तिवारी खल्वाट खोपड़ी की चमड़ी तो खुरच सकते हैं, धमड़ी नहीं : फिर कांग्रेसी कपिल सिब्बाल का क्या होगा, मुलायम क्या करेंगे :
कुमार सौवीर
नई दिल्ली : एक संयुक्ताक्षर-नुमा वाक्य है। लेकिन अगर उसे अलग-अलग करके देखें तो राज्यसभा चुनाव में पूरी तस्वीर समझ में आ जाएगी। कपिला पशु आहार। इसमें केंद्र में है पशु और उसके चारा के तौर पर है आहार। यानी पशु आहार। और वह चारा उपलब्ध करायेगा कपिला।
अब समझ में आ गया या नहीं?
नहीं समझ में आया है तो राज्यसभा में अपने कोटे की ताजा सीट को लेकर कांग्रेस के समीकरण को देखिये, तो कुल समझ में आ जाएगा।
हुआ यह है कि कांग्रेस में अपने कोटे के वोटों के लिए कपिल सब्बल पर दांव लगा दिया है। इस बारे में बिलकुल अभी-अभी ऐलान हुआ है। यह दांव कांग्रेस ही नहीं, सारे राजनीतिज्ञों के गले से नीचे नहीं उतर रही है।
वजह है कांग्रेस की झोली में जमा कुल 28 वोट, जबकि कांग्रेस को अपना उम्मीदवार जिताने के लिए 36 वोटों की जरूरत है। यानी कपिल सिब्बल को अब 8 वोटों की जरूरत है। जाहिर है कि अब खरीद-फरोख्त होगी। और जम कर होगी।
यानी मामला अब दिलचस्प मोड़ पर है। कपिल की जेब से निकले चारे से कई वोटर-पशुओं को आर्थिक दावत उड़ाने का मौका मिलेगा, लेकिन वे वोटर भूल कर भी कपिल को वोट नहीं देंगे। केवल कपिल को दुहते ही रहेंगे, लेकिन कपिल का दूध नहीं उतरेगा।
वजह है इतिहास। कपिल की छवि बहुत कंजूस की है। ऐसे में कपिल और कांग्रेस की लार प्रमोद तिवारी जैसे तारनहारों के गाल पर चुएगी। लेकिन प्रमोद की छवि कपिल से भी बड़ी है। वे गंजों की पपड़ी तक रगड़ सकते हैं, धेला नहीं।
सुब्रत राय की वकालत की है कपिल ने। बड़ी रकम उगाही। लेकिन कपिल को आस है कि सुब्रत राय का खजाना उनके चुनाव के लिए खुल जाएगा। लेकिन सुब्रत राय खुद ही बर्बादी की कगार पर हैं और जुलाई में दोबारा तिहाड़ जाने का संकल्प पूरा करने पर आमादा हैं।
फिर कपिल सिब्बल ? बाबा जी का घण्टा