: नियम तो यह है कि पांच हजार रूपये तक के किसी तोहफे की खबर सरकार को देना अनिवार्य : तीस लाख रूपयों का हार कोई मामूली चीज नहीं होता है अखिलेश यादव जी : जब मुख्य सचिव जैसा सर्वोच्च ओहदेदार ही ऐसी करतूत करेगा, तो फिर खुदा ही हाफिज : लो देख लो, बड़े बाबुओं की करतूतें- 27 :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यूपी के मुख्य सचिव आलोक रंजन और उनका परिवार आजकल बदमिजाज नौकरशाहों की करतूतों को लेकर खासा चर्चा हासिल कर चुका है, वहीं इस काण्ड को लेकर आलोक रंजन पर जबर्दस्त दबाव भी पड़ रहा है। हालांकि आज सुबह अपनी बाथरूम में फिसल कर गिरे आलोक रंजन को सिर में चोटें आयीं और वे लोहिया अस्पताल में भर्ती कराये गये हैं। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने भी मुख्य सचिव का हालचाल लेने के लिए लोहिया अस्पताल का दौरा किया, लेकिन इन सारी कवायदों के बावजूद अभी तक आलोक रंजन पर घिरे आरोपों के बादल छंट नहीं पा रहे हैं।
ताजा सवाल तो उस बेशकीमती हार की चोरी और उसमें लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश पाण्डेय के तबादले को लेकर है, जिसे कथित हार की कीमत तीस लाख रूपया की फिरौती की मांग की जा रही है। आरोपों के मुताबिक आलोक रंजन और उनकी पत्नी सुरभि रंजन ने राजेश पाण्डेय से साफ चेतावनी दी थी कि वे या तो हार बरामद करायें और अगर ऐसा नहीं कर पायें तो फिर उसकी कीमत यानी करीब तीस लाख रूपयों की व्यवस्था करके आलोक रंजन के परिवार को हर कीमत पर मुआवजे के तौर पर दिलायें।
बहरहाल, अब सवाल उठ रहे हैें कि क्या यूपी के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने उक्त हार को किसी दूसरे से तोहफे के तौर पर कुबूल करने की सूचना राज्य सरकार को दी थी अथवा नहीं। सूत्र बताते हैं कि शासकीय नियमों के अनुसार कोई भी शासकीय कर्मचारी अथवा अधिकारी अगर किसी व्यक्ति से कोई तोहफा स्वीकार करता है तो उसकी सूचना उसे तत्काल राज्य सरकार शासन को देनी ही पड़ेगी। हां, पांच हजार रूपयों से कम के ऐसे कोई तोहफे इस सीमा और बाध्यता से अलग रखे जाएंगे। लेकिन पांच हजार रूपयों से अधिक तक के सारे तोहफों की सूचना तत्काल देने की अनिवार्य बाध्यता है।
अब सवाल यह है कि क्या आलोक रंजन ने इस तोहफे को हासिल करने की खबर उप्र सरकार को दी थी अथवा नहीं। जानकार सूत्र बताते हैं कि ऐसी कोई भी सूचना राज्य सरकार तक आलोक रंजन पर बाध्यकारी होती है। और इसका उल्लंघन होने पर यह दण्ड का मामला बन सकता है।
इस बारे में मेरीबिटिया डॉट कॉम ने निवर्तमान एसएसपी राजेश पाण्डेय से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो उन्होने ऐसी किसी भी सूचना से इनकार कर दिया। (क्रमश)
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