कहावत थी कि सुब्रह्मण्‍यम स्‍वामी और जयललिता की दुश्‍मनी से ज्‍यादा खतरनाक मानी जाती थी उनसे दोस्‍ती

मेरा कोना

: न जाने किस को कितना गहरा तक डंस लें यह दोनों, अकल्‍पनीय तथ्‍य : जयललिता की कुछ बातें जो आज मीडिया नहीं बता रहा है : स्‍वामी और जयललिता पक्‍के दोस्‍त थे, फिर जानी-दुश्‍मन बन गये : शंकराचार्य जयेंद्र सरस्‍वती को झूठे मामलों में जेल भेजने की साजिश की थी जया ने :

कृष्‍ण कुमार झा

लखनऊ : जयललिता ने बाजपेई सरकार को पहले समर्थन देने का एलान किया बाद में उन्होंने दो शर्त रखी। पहली शर्त कि सुब्रमण्यम स्वामी को वित्त मंत्री बनाया जाए और दूसरी शर्त तमिलनाडु की करुणानिधि सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए बाजपेई जी ने दोनों शर्त को मानने से इनकार कर दिया। फिर सुब्रमण्यम स्वामी जयललिता को लेकर सोनिया गांधी के घर चाय पर गए। वह घटना इतिहास में चाय की प्याली में तूफान नाम से दर्ज है जब जयललिता ने अपने समर्थन का पत्र राष्ट्रपति को नहीं भेजा और बाजपेई जी की सरकार एक मत से गिर गयी। इतना ही नहीं, जया की करतूतों में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्‍वती के चरित्र-हनन की घिनौनी हरकत भी दर्ज है, जिसमें उन्‍होंने फर्जी आरोपों में उन्‍हें जेल भेज दिया था।

इसलिए राजनीति में यह कहा जाता है कि सुब्रमण्यम स्वामी और जयललिता की दुश्मनी जितनी खतरनाक है उससे ज्यादा खतरनाक इनकी दोस्ती है। मजे की बात देखिए बाद में सुब्रमण्यम स्वामी जो कभी राजीव गांधी सोनिया गांधी और जयललिता के बहुत जिगरी दोस्त हुआ करते थे बाद में वही सुब्रमण्यम स्वामी हैं इनके सबसे जानी दुश्मन बन गए ।

1985 में जब एम जी रामचंद्रन इलाज के लिए अमेरिका गए तब जयललिता ने खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित कर दिया जयललिता की इस हरकत से एम जी रामचंद्रन इतने दुखी हुए कि उन्होंने अमेरिका से ही जयललिता को पार्टी के संसदीय बोर्ड और पार्टी से निकाल दिया था। जब जयललिता पहली बार मुख्यमंत्री बनी तब उन्होंने वेतन के तौर पर मात्र एक रूपये लेने का एलान किया। मजे की बात यह सिर्फ 4 साल में उन की संपत्ति 122 करोड़ रुपए हो गई और जब सीबीआई ने उनके घर पर छापा मारा था तब 40 किलो सोना 2 कुंटल चांदी 100 से ज्यादा महंगी घड़ियां 4000 साड़ियां 3000 सैंडल और कार्टियर के 20 चश्में मिले थे।

जयललिता को दो केस में अदालत द्वारा दोषी पाया जा चुका है पहला आय से अधिक संपत्ति रखने का केस और दूसरा तानसी जमीन घोटाले का केस । तामसी जमीन घोटाले पर उन्हें 4 साल की सजा भी सुना दी गई है और आय से अधिक मामले वाले केस में उन्हें 3 साल की सजा सुना दी गई है लेकिन यह भारत का न्याय तंत्र है जो सिर्फ पैसे वालों और प्रभावशाली लोगों की जेब का गुलाम है वरना आज अगर कोई साधारण इंसान होता तो दर दर की ठोकरे खाता ।।

संजोग देखिए आज ही अखबारों में एक खबर छपी है कि डीटीसी का एक कंडक्टर 1985 से ही सिर्फ पांच पैसे के गबन को लेकर केस लड़ रहा है और उसके इसमें अब तक उसके 10 लाख से ज्यादा रुपए खर्च हो चुके हैं। वह बेचारा कंडक्‍टर तब से ही नौकरी से बर्खास्त है। (हरि मोहन शर्मा के इनपुट के साथ)

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