का हो शशि शेखर ! खबरों की बड़की बुआ हो क्‍या ?

बिटिया खबर

: तुम अखबार हो, या धर्म पर निर्धारण करने वाले फतवा-कारी मुल्‍ला-मौलवी : धर्म पर निजी आग्रहों के खिलाफ कुत्सित जेहाद तो हिन्‍दुस्‍तान अखबार कर रहा है : जो इस्‍लाम छोड़ कर हिन्‍दू बना, उसे वसीम और रिजवी क्‍यों लिखा : यह जितेंद्र त्‍यागी का फैसला है कि उनका धर्म कौन हो : पायजामा से बाहर निकलने लगे हैं पत्रकार : 

कुमार सौवीर

लखनऊ : इस शख्‍स ने छह महीना पहले ही इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला और ऐलान कर दिया था। इसने साफ तौर पर ऐलान कर दिया था कि उसका अब इस्‍लाम से कोई भी लेनादेना नहीं है। उसने कह दिया कि वह अब हिन्‍दू संस्‍कार के तहत संन्‍यास और वन-गमन करने जा रहा है। उसने यह तक कह दिया था कि मरने के बाद उसकी लाश को इस्‍लामी तौर-तरीकों की तरह नहीं, बल्कि उसको हिन्‍दू परम्‍पराओं के तहत चिता बना कर भस्‍म कर दिया जाए। उस शख्‍स को खुद को बड़ा अखबार की तख्‍ती अपने गले में टांगने वाले हिन्‍दुस्‍तान ने उसे हिन्‍दू मानने से ही इनकार कर दिया है। नजरिया और लहजा निहायत अभद्र, धर्म-विरोधी और निजता के अधिकार के खिलाफ अपनाया है। शशि शेखर जैसे पत्रकारों का यह रवैया साफ जाहिर करता है कि आज के पत्रकार अपने पायजामा से बाहर निकलने लगे हैं।
यह मामला है शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रहे वसीम रिजवी का, जिन्‍होंने छह दिसम्‍बर-21 को हिन्‍दू धर्म अपनाते हुए अपना नाम जितेंद्र त्यागी रख लिया था। इसके पहले शांभवी धाम में रुद्राभिषेक के दौरान जितेंद्र त्‍यागी ने संन्यास की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि, वह सभी मोह माया से दूर होकर संन्यास धारण करना चाहते हैं। गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सनातन धर्म में शामिल कराया था। जितेंद्र त्‍यागी ने कहा कि मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है, हमारे सिर पर हर शुक्रवार को ईनाम बढ़ा दिया जाता है, आज मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं. 
जितेद्र त्‍यागी ने इस मौके पर कहा, ”धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन-सा धर्म स्वीकार करूं. सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, और किसी धर्म में नहीं हैं. इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते. हर जुमे को नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, हमको खुद शर्म आती है.”
लेकिन हिन्‍दुस्‍तान अखबार है कि जितेंद्र त्‍यागी को हिन्‍दू तो दूर, उन्‍हें जितेंद्र त्‍यागी मानने से ही इनकार कर रहा है। कहने की जरूरत नहीं कि यह करतूत धर्म के मामले में निजता के अधिकार पर क्रूर और जातीय विद्वेष से सराबोर है। कहने की जरूरत नहीं कि यह करतूत पत्रकारिता के बजाय किसी षड्यंत्रकारी कृत्‍य ही दिखायी पड़ रहा है।
अब देखिये न, कि खुद को समूह संपादक कहलाने वाले शशि शेखर के अखबार हिन्‍दुस्‍तान समाचार ने जितेंद्र त्‍यागी के फैसले को किस तरह घृणास्‍पद तरीके से पेश किया है। बेहद कुत्सित, शातिराना और षड्यंत्रकारी अंदाज में इस खबर में जितेंद्र त्‍यागी को जितेंद्र त्‍यागी के बजाय उसे बार-बार वसीम रिजवी के तौर पर ही पेश किया है। देखिये तनिक इस अखबार में छपी इस खबर को:-
वसीम रिजवी लेंगे संन्यास, अखाड़े आज करेंगे फैसला
हरिद्वार, कार्यालय संवाददाता। इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपनाने वाले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी ने अब संन्यास लेने की इच्छा जताई है। रिजवी ने हरिद्वार के शांभवी धाम के पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप के सामने यह इच्छा जाहिर की है। मंगलवार को स्वामी आनंद स्वरूप अखाड़ा परिषद के अलावा सभी 13 अखाड़ों से इस संबंध में बातचीत करेंगे।
वसीम रिजवी ने रविवार को शांभवी धाम में रुद्राभिषेक के दौरान संन्यास की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि, वह सभी मोह माया से दूर होकर संन्यास धारण करना चाहते हैं। रिजवी को संन्यास दिलाया जाए या नहीं, इस पर अभी विचार किया जा रहा है। बड़े संतों से भी इस पर राय ली जाएगी। रिजवी ने मीडिया से दूरी बना रखी है। उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से दूर रहने की हिदायत दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *