: डिप्टी बनवाने के लिए बेताल तक उतर आया पेड़ से, पर डाल से कुर्ता फंस गया : केशव मौर्या ने बांसुरी के सातों छेद न जाने कहाँ फंसाया भाजपा में : भूमिहारों का मूल चरित्र क्या है, रणवीर सिंह वाले ब्रह्मेश्वर सिंह या गाजीपुर वाले मनोज सिन्हा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कई सवाल तो ऐसे होते हैं कि सदियों तक हाइबरनेशन में ही पड़े-पड़े पसरे रहते हैं, अपनी चर्बी गलाते ही रहते हैं। जैसे भालू और सांप वगैरह-वगैरह। लेकिन वक्त आते ही ऐसे सवाल अचानक मूं उठाये खड़े दिख जाते हैं। मसलन, गुजरात से आए आईएएस की नौकरी छोड़ कर डायरेक्ट यूपी के विधान परिषद में सदस्य बना दिए गए। इतना ही नहीं, अब तो उनको डिप्टी सीएम बनाने के लिए बेताल पेड़ से नीचे उतर चुका है। जाहिर है कि इसके साथ ही कई लोगों की छुच्छी निकल गयी है, तो कुछ लोग अपनी रिश्तेदारी खोजने-जोड़ने में लग गए हैं।
लेकिन मूल प्रश्न फंसा है अरविंद शर्मा की जाति को पहचानने-समझने पर।
भारी बवाल है शर्मा नाम पर। इतना, कि नाम भी शर्मा जाये। दरअसल यूपी में लोहार, नाई, बढ़ई, धोबी और ब्राह्मणों की कई उपजातियां भी शर्मा ही होती हैं। यहां तक खबर है कि ब्राह्मण की मूल उत्पत्ति-उपज शर्मन या शर्मा से ही है। गौर, सारस्वत, सनाढ्य और राजस्थान, एमपी, हरियाणा, पंजाब, जम्मू, दिल्ली और पश्चिमी यूपी की कई उपजातियां भी सरनेम के तौर पर शर्मा ही लिखती हैं।
वैसे हमारे पूर्व आईएएस और गुजरात-रिटर्न अरविंद शर्मा तो खैर भूमिहार ही हैं। बेशुमार राजनीतिक और सम्पत्ति के लिए मशहूर भूमिहार विभिन्न उपजातियों के नाम के साथ खुद को जोड़ते हैं। खासियत यह कि यह लोग चाहे कुछ भी हो जाए, अपनी जमीन नहीं बेचते। परशुराम के उपासक हैं भूमिहार। एक किंवदंती यह भी है कि परशुराम ने हैहय-वंश के जिन-जिन लोगों का वध किया, उनकी भूमि भूमिहारों में बांट दिया। अब यह हैहय-वंश का मूल कहां से है, इस बारे में इतना तो तय है कि वे राजपूत यानी क्षत्रिय-वंश के नहीं थे। डॉ भीमराव अम्बेदकर के मुताबिक हैहय-वंश दलितों की एक उप-जाति है, जबकि कुछ लोग हैहय-वंशीय लोगों को यादवों के वंश से मानते हैं। बहरहाल, कुछ भी हो। भूमिहारों का दर्जा ब्राह्मण के तौर पर समाज में माना जाता है। लेकिन यह जाति घनिष्ठता के मामले में परस्पर कट्टरता के साथ अपने साथ जुड़ी रहती है। राजनीति में वे भले ही प्रकर्ष तक नहीं पहुंच सके हों, लेकिन उनका दिमाग निहायत माहिर होता है, जो शतरंज के शातिर खिलाड़ी तक को मात कर सकता है।
लेकिन आम तौर पर यह सवाल उठता या उठाया जाता है कि भूमिहारों का मूल चरित्र क्या है, रणवीर सिंह वाले ब्रह्मेश्वर सिंह या गाजीपुर वाले मनोज सिन्हा। जी हां, मौका मिल जाए तो यह जाति नरसंहार भी कर बैठती है, चाहे वह गाजीपुर में बीस साल पहले हुए कांड रहा हो, या फिर सन-97 में रणवीर सेना वाला जहानाबाद का लक्ष्मणपुर बाथे कांड।
लो देख लो, अब लगा लो जुगाड़।
वैसे अभी तो अरविंद शर्मा खुद ही बेरोजगारी के चक्कर में फंसे हैं। उनके सितारे कुछ गड़बड़ हैं, वरना एक महीना पहले ही योगी के दोनों डिप्टी सीएम लोग आज शर्मा ही होते।
फिर लोग पूछते कि:-
शर्मा ? अरे कौन वाले शर्मा ?
बेहतरीन खबर की बेहतरीन प्रस्तुति👌👌
बहुत सही लिखे ,सही से दुलत्ती दिए वाह