मूल-प्रश्‍न: कौन किसके साथ फोटो खिंचवाने को आतुर था

दोलत्ती

: ब्रजेश पाठक की विकास दूबे के साथ फोटो का मतलब अलग है : फोटो में दिखने वाले लोगों की देह-भाषा यानी बॉडी-लैंग्‍वेज की समीक्षा करना अनिवार्य, खास कर मंत्री ब्रजेश पाठक :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आठ पुलिसवालों की पैशाचिक हत्‍या के बाद अभी दरिंदे विकास दूबे को लेकर शुरू हुआ हंगामा भड़का ही हुआ था, कि अब एक फोटो ने उस आग में पेट्रोल उड़ेल डाला है। यह फोटो है प्रदेश के मंत्री ब्रजेश पाठक की, जिसमें किसी समारोह में विकास दूबे और उसके एक करीबी साथी के साथ ब्रजेश पाठक भी दिख रहे हैं। दोलत्‍ती डॉट कॉम में इस फोटो छपने के बाद से ही बवाल खड़ा हो गया है। पाठकों का एक खेमा यह मानता है कि ब्रजेश पाठक ने विकास दूबे के साथ यह फोटो खिंचवा कर कोई अपराध नहीं किया। जबकि दोलत्‍ती का विश्‍लेषण साबित करता है कि उस समारोह में विकास दूबे एक विशिष्‍ट और सम्‍मानित व्‍यक्ति के तौर पर था, और ब्रजेश पाठक उसके साथ बिता रहे इन क्षणों को अपने जीवन के स्‍वर्णिम पलों के तौर पर संजो लेना चाहते हैं।

यह सच है कि कोई भी नेता चूंकि एक सार्वजनिक पर्सनॉल्‍टी होता है, इसलिए किसी भी कार्यक्रम या समारोह में हर एक व्‍यक्ति के साथ फोटो खिंचवा लेता है। इसके लिए यह जरूरी नहीं होता है कि वह अपने साथ फोटो खिंचवा रहे व्‍यक्ति को जानता है, अथवा नहीं। लोकतंत्र में लोक-व्‍यक्तित्‍व एक अहम पहलू माना जाता है। ऐसी हालत में किसी नेता के साथ किसी अपराधी या किसी दरिंदे ने फोटो खिंचवा ली, यह कोई महत्‍वपूर्ण बात नहीं मानी जाती है। क्‍योंकि किस समारोह अथवा किस कार्यक्रम में किस शख्‍स ने उस नेता के साथ अपनी फोटो खिंचवा ली, उसकी कोई तोहमत उस पर लागू नहीं हो सकती।

ठीक यही विवाद कानपुर में पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत आठ पुलिसवालों की नृशंस हत्‍या को लेकर उठने लगा है। विकास दूबे अब विकसित समाज में पिशाच के तौर पर उभर चुका है, सरकार की नाक का सवाल बन गया है और फिलहाल तो सरकार और पुलिस विभाग का इकलौता लक्ष्‍य बन चुका है कि विकास दूबे का खात्‍मा कर दिया। हां, यह चुनौती जरूर है कि पुलिस कैसे और कब तक विकास को मौत के घाट उतार कर अपने चेहरे पर असफलता और सरकार की विश्‍वसनीयता का ठप्‍पा लगायेगी।

लेकिन इसके साथ ही यह भी एक बड़ा सवाल उठ चुका है कि अपराधियों के साथ नेताओं की अंतरंगताओं का खुलासा कर दिया जाए। ऐसे लोगों को सरेआम नंगा कर दिया जाए, जिनका बाहुबल, उनकी आर्थिक आधार और उसकी क्षमता का मूल आधार या स्रोत क्‍या है। विकास दूबे जैसे पिशाच की फोटो प्रदेश के एक बड़े मंत्री ब्रजेश पाठक के साथ सार्वजनिक होने के बाद यह सवाल ज्‍यादा मौजू हो गया है और इससे जुड़े सवाल अब शिद्दत के साथ जवाब मांगने लगे हैं। विकास दूबे नामक दरिंदे ने गोलियों से भून डाला और उन्‍हें मौत के घाट उतार दिया।

दरअसल, यह मामला प्रदेश की कानून-व्‍यवस्‍था ही नहीं, सीधे सरकार की नाक को लेकर जुड़ गया है। ऐसी हालत में यह देखना और छानना जरूरी हो गया है कि विकास दूबे से किस नेता के साथ करीबी रिश्‍ते थे और वह करीबी रिश्‍ते क्‍या अंतरंग सम्‍बन्‍धों तक भी गहरे हो गये थे।
अब जरा उस फोटो को गौर से देखिये। मूल समस्‍या को समझने के लिए आपको इस फोटो में शामिल लोगों की देह-भाषा को बारीकी के साथ जांचना-परखना होगा। अब जरा दोलत्‍ती डॉट कॉम में प्रकाशित इस फोटो में दिखने वाले लोगों की देह-भाषा यानी बॉडी-लैंग्‍वेज की समीक्षा करना शुरू कीजिए। वह भी मंत्री ब्रजेश पाठक और उस दरिंदे विकास दूबे की बॉडी-लैंग्वेज। इस लहजे को देखते ही आपको ब्रजेश पाठक की विकास दूबे के साथ फोटो का मतलब अलग नजरिया दिखने लगेगा।
दिखायी पड़ने लगेगा कि इसमें कौन किसके साथ फोटो खिंचवाने को इच्‍छुक आतुर और लालायित है। जाहिर है कि बीच में दिख रहे विकास दूबे बस यूं ही कैमरे में दिख गया है। उसका मकसद किसी मंत्री से फोटो खिंचवाना नहीं था। बल्कि उस फोटो में बॉडी-लैंग्‍वेज साबित करती है कि वह ब्रजेश पाठक को तनिक भी घास नहीं डाल रहा था, बल्कि केवल औपचारिक रूप से बस यूं ही खड़ा हो गया, मानो फोटो खिंचवाने को वह तनिक भी इच्‍छुक न हो। आतुर या लालायित होना तो दूर की बात। बल्कि ऐसा ही लग रहा है कि उसे स्‍नेह से वशीभूत कर जबरिया फोटो खिंचवाने पर मजबूर किया गया था।

अब उधर ब्रजेश पाठक की बॉडी-लैंग्‍वेज को चेक कीजिए। आपको साफ दिखेगा कि ब्रजेश पाठक खुद ही विकास दूबे से फोटो खिंचवाने को इच्‍छुक, आतुर और लालायित हैं। इस फोटो में कोई भी यह नहीं कह सकता कि ब्रजेश पाठक इस फोटो में विशिष्‍ट व्‍यक्ति की भूमिका में थे। इस फोटो में विशिष्‍ट व्‍यक्ति की भूमिका में विकास दूबे ही दिख रहा है। बल्कि सच तो यही है कि इस फोटो में ब्रजेश पाठक उस दौरान विकास दूबे के प्रशंसक की भूमिका में दिख रहे हैं। विकास दूबे इस फोटो में ठीक वैसी ही भूमिका में दिख रहा है, किसी फिल्‍म की शूटिंग लोकेशन पर वह ब्रेक लेकर किसी कोने पर खड़ा है, और ब्रजेश पाठक उसके प्रशंसक के तौर पर फोटो खिंचवाने के लिए आतुर हों और विकास के साथ फोटो खिंचवा कर खुद को अहोभाग्‍य समझ रहे हों, खुद को धन्‍य मान रहे हों। ठीक वैसे ही, जैसे सलमान या अमिताभ बच्‍चन जैसे किसी बड़ी फिल्‍मी शख्सियत के साथ उसके प्रशंसक।

जाहिर है कि उस समारोह के दौरान ब्रजेश पाठक की निगाह में विकास दूबे एक विशिष्‍ट और सम्‍मानित व्‍यक्ति के तौर पर है, और उसके साथ बिता रहे इन क्षणों को अपने जीवन का स्‍वर्णिम पलों के तौर पर संजो लेना चाहते हैं। विकास दूबे तो सामान्‍य ढंग से खड़ा है, जबकि मंत्री ब्रजेश पाठक उसके साथ फोटो खिंचवाने के लिए बाकायदा सटे हुए जा रहे हैं। ( क्रमश: )

 

केवल यूपी ही नहीं, दुर्दान्‍त अपराधी विकास दुबे इस वक्‍त पूरे देश में सबसे ज्‍यादा चर्चा में है, जिसने पिछले दिनों कानपुर में आठ पुलिस कर्मचारियों को गोलियों से भून कर उनको मौत के घाट उतार दिया। लेकिन उसके साथ ही अब एक नया नाम जुड़ गया है प्रदेश के एक बड़े कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक का। वजह है विकास दुबे के साथ एक फोटो में अंतरगता के साथ खड़े मंत्री ब्रजेश पाठक।
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2 thoughts on “मूल-प्रश्‍न: कौन किसके साथ फोटो खिंचवाने को आतुर था

  1. अपराधी और नेता दोनों ही अपने चेहरे के भावों को छिपाने में माहिर माने जाते हैं ।
    गैंगस्टर हमेशा अपने रुतबा जताते हैं इसलिए बाडी लेंग्वेज पर न जायें अगर पूर्वाग्रह न हो तो

    1. मैं पत्रकारिता करता हूं, पूर्वाग्रह करना या पालना मेरा धर्म नहीं।
      यह धंधा तो पूर्वाग्रह से ग्रसित लोग ही कर सकते हैं।
      वैसे, आप की दूसरी लाइन पर दर्ज बात से मैं असहमत हूं। बड़ा अपराधी हमेशा सौम्‍यता और सरलता ही नहीं, बल्कि घनिष्‍ठ संबंध रखने का प्रदर्शन करता है।

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