का बे संपादक ! देश की वीरांगनाओं को नंगा कर डाला ?

बिटिया खबर

: नवभारत टाइम्‍स ने छापा, स्‍वतंत्रता संग्राम की नौ वारांगनाओं पर विशेष डाक कवर जारी : आजादी की मतवाली योद्धा महिलाओं को रंडी, पतुरिया व वेश्‍या लिखा : हैं बड़का संपादक। वीरांगना और वारांगना में फर्क तक नहीं : देश की नौ वीरांगनाओं पर टिकट जारी कार्यक्रम का मन्‍तव्‍य ही अनर्थ में निपटा : खेदप्रकाश तक नहीं किया नभाटा ने, लिंगवर्द्धक यंत्र हिंदुस्‍तान ने खबर ही नहीं छापी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : किसी भी परिवार, खानदान, समाज या देश को गुलामी तोड़ने और आजादी के लिए पूरी बहादुरी के साथ युद्ध करने वाली पुरखा महिलाओं को वीरता की प्रतिमूर्ति यानी वीरांगना कहा जाता है। लेकिन ऐसी बलिदानी महान महिलाओं को अगर रंडी, पतुरिया और वेश्या की तरह छाप दिया जाए तो आपको कैसा लगेगा ? तनिक सोच कर बताइए कि ऐसा संबोधन ऐसी महिलाओं पर अगर कोई करने का अपराध करे, तो आप की प्रक्रिया क्या होगी, आप क्या करेंगे ? इस बारे में तो आप ही फैसला करेंगे कि आपको ऐसी हालत में क्या-क्या करना है और क्या-क्या नहीं करना है, लेकिन आपको बता दें कि हमारे देश, समाज, खानदान और परिवार की पुरखा योद्धाओं को वीरांगना के बजाय वारांगना के तौर पर संबोधित कर लिया है। यह अखबार है नवभारत टाइम्स। मालिक है बैनेट कोलमैन एंड कंपनी। इसका अंग्रेजी अखबार है टाइम्स ऑफ इंडिया। दिल्‍ली और मुम्‍बई से समेत देश के दर्जनों से यह कम्‍पनी इन अखबारों के अलावा कई अन्‍य पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित करता है।
कोई चार दशक पहले लखनऊ से भी इस अखबार का एक संस्‍करण शुरू हुआ था। कुछ ही समय बाद यह अखबार बड़ी ऊंचाइयों तक पहुंच गया। बाद में मैनेजमेंट की कुछ हरकतों से अजीज होकर ट्रेड यूनियन ने युद्ध किया लेकिन समस्‍या का समाधान खोजने की किसी भी कोशिश के बजाय कंपनी ने सीधे अखबार ही बंद कर दिया। हजारों कर्मचारी और पत्रकार सड़क पर आ गए। भुखमरी की नौबत आ गई। मामला श्रम न्यायालय में गया तो आदेश हुआ कि बकाया का भुगतान तो होगा ही, होगा साथ ही साथ अगर भविष्य में यह कंपनी यह अखबार दोबारा शुरू करती है तो उसमें सारे ऐसे कर्मचारियों को समायोजित किया जाएगा। लेकिन कंपनी ने की शरारत और कोई डेढ़ दशक बाद नवभारत टाइम्स को एनबीटी के तौर पर निकाला। मगर एक भी पुराने कर्मचारी को उस में समायोजित नहीं किया। मनमर्जी बेहिसाब चली और कई ऐसे लोग भी उसमें दलाली करके वहां घुस आये जो नवभारत टाइम में पहले भी काम करते थे लेकिन उन्‍हें कंपनी ने पहले निकाल दिया था।
लेकिन अब मैनेजमेंट ने जिन लोगों को नवभारत टाइम्स में रख लिया, उनकी सारी की सारी बुद्धि उनके घुटनों से ऊपर तनिक भी नहीं थे। ऐसे में नये लोगों ने मनमर्जी करना शुरू कर किया। किसी के साथ भी कुछ भी कर बैठना इस अखबार के पत्रकारों के बाएं हाथ का काम हो गया। भाषा, नजरिया और प्रस्‍तुतिकरण के बजाय किसी को भी गाली देना उनकी वीरता का प्रतीक हो गया। खबर के बजाय केवल और केवल बकवास छपनी शुरू हो गयी।
ताजा मामला है वीरांगनाओं पर डाक टिकट प्रदर्शनी का। राजधानी के अलीगंज स्थित ललित कला अकादमी में 3 दिन की प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम में सभी अधिकारियों ने देश और समाज ही नहीं बल्कि मुगलों और अंग्रेजों से देश को आजादी दिलाने के लिए युद्ध छेड़ने वाली कुल नौ वीरांगनाओं पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान डाक सेवा के निदेशक आलोक शर्मा मुख्य अतिथि थे जबकि सीपीएमजी कौशलेंद्र सिन्हा वगैरह कई वरिष्ठ अधिकारी समेत आम आदमी भी मौजूद थे। सभी वक्ताओं ने इस प्रदर्शनी में इन नौ वीरांगनाओं पर अपने आलेख भी प्रस्तुत किए और उनकी वीरता पर अपना सिर झुकाया। इनमें रानी लक्ष्‍मीबाई, जीजाबाई, झलकारी बाई, ऊदाबाई, चांदबीबी, बेगम हजरत महल जैसी नौ वीरांगनाओं के चित्र वाले टिकट जारी किये गये थे।
लेकिन नवभारत टाइम्स ने अपनी नाक ही कटवा ली इस समारोह की रिपोर्टिंग के दौरान। अर्थ का अनर्थ कर डाला गया। इसमें वीरांगनाओं के बजाय वारांगना शब्‍द का इस्‍तेमाल करते हुए खबर लिख डाली। लेकिन उन वीरांगनाओं को वीरांगनाओं के बजाय वारांगनाओं के तौर पर पहचान दे दी गयी। आपको बता दें कि वीरांगना तो देश के लिए युद्ध करने वाली आजादी की मतवाली उन महिलाओं को कहा जाता है जिन्होंने अपने जीवन का भी बलिदान कर दिया था, जबकि नवभारत टाइम्स ने उन्हें वीरांगना के बजाय वारांगना के तौर पर पेश कर दिया।
कहने की जरूरत नहीं है कि वारांगना का अर्थ होता है वेश्या, रंडी अथवा पतुरिया। हैरत की बात है कि इतना बड़ा भाषागत अपराध करने के बावजूद नवभारत टाइम्स के संपादक ने वीरांगनाओं के प्रति इस तरह के अपमानजक भाषा-गत व्‍यवहार जैसे इस निहायत अपमानजनक खबर पर खेद-प्रकाश करने की जरूरत नहीं समझी।
इस पूरे कार्यक्रम की फोटो सबसे ज्‍यादा बेहतर तरीके से छापी है दैनिक जागरण ने। लेकिन अपने विज्ञापनों में लिंगवर्द्धक यंत्र बेचने को आतुर अखबारों ने परस्‍पर विरोधी चरित्र दिखा दिया है। अमर उजाला ने तो यह खबर फोटो सहित छापी है, लेकिन हिन्‍दुस्‍तान ने इस कार्यक्रम को बेहद खूबसूरती के साथ पेश किया है।

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