ब्रिलियंट भी उल्‍लू का पट्ठा हो सकता है। जैसे मुनव्‍वर राना

बिटिया खबर

: आरएसएस बोला कि मुसलमान कन्‍वर्टेड हैं, तो राना ने अपने बाप को जालिम, लुटेरा मान लिया और मां की पहचान को गंदा : कोई गैर-मुस्लिम औरत आखिर कैसे एक मुसलमान मर्द के चलते मुनव्‍वर राना की मां बनी : ऐसे बयानों से मां को कैसे सम्‍मानित कर सकते हैं, मां के कदमों की जन्‍नत को गंदा किया राना ने :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मुनव्‍वर राना एक सिक्‍का के मानिंद हैं, जिसमें दो पहलू होते हैं। एक में पुतली, और दूसरा होता है सन। और जाहिर है कि इन दोनों ही पहलुओं का चरित्र और चेहरा बिलकुल अलहदा ही होता है। जैसे मुनन्‍नवर राना। मुनव्‍वर राना अपनी एक कविता में लिखते हैं कि मेरी माँ ने आंखें खोल दीं तो घर में उजाला हो गया और मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है, माँ देखी है। मेरी अम्मा दुनिया की सबसे बेहतरीन शख्सियत थीं। लेकिन जब उनके असली जज्‍बात भड़कते हैं तो वे जातिवादी होकर बिलकुल मादरजात नंगे हो जाते हैं। हाल ही उन्‍होंने साफ कह दिया है कि उनका बाप तो मुसलमान था, लेकिन मेरी मां की कोई गारंटी नहीं। जाहिर है कि मां का पहचान उनके लिए तनिक भी जरूरी नहीं है। वे साफ कहते हैं कि उनकी मां का कोई अता-पता ही नहीं कि उनकी जाति क्या थी। लेकिन वे यह सवाल पर बगलें छिपा बैठे हैं कि तब कोई एक गैर-मुस्लिम औरत आखिर कैसे एक मुसलमान मर्द के चलते मुनव्‍वर राना की मां बन बैठी।
दरअसल मुनव्‍वर राना उन तथाकथित पढ़ेलिखी जमात का एक क्रूर, जाहिल और निहायत बेहूदा सदस्‍य है जिसमें धर्म एक मिशन की तरह है, सामाजिक और भारतीय आदर्शों के प्रति तनिक भी दायित्‍व-बोध नहीं। दरअसल, ऐसे शख्‍स में अपने मां जैसे रिश्ते पर पूरी आस्था और प्रेम तो होता है लेकिन वह अपने परिवार की मां समेत किसी भी महिला की मर्यादा पर तनिक भी सम्‍मान नहीं देता। या फिर कुछ इस तरह कह लें कि कहने को तो वह भले ही यह लिख कर वाहवाही बटोरता रहता हो कि मां के कदमों के तले में उसकी जन्‍नत है, लेकिन जब धार्मिकता और जाहिलियत जोर मारता है तो वह अपनी मां को किसी भी स्‍तर तक पहुंचा देने में हिचकता नहीं है। ऐसे लोग केवल वही होते हैं जिन्हें समाज में ब्रिलियंट यानी सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी कहा जाता है। धार्मिक आग्रहों के उबाल होते ही वे अपना भारतीय चेहरा निखारने के बजाय अक्सर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार देते हैं या अपने चेहरे पर ही जूते मारना शुरू कर डालते हैं।
कहने की जरूरत नहीं कि मुनव्‍वर राना ने यह बयान केवल यूं ही नहीं दे दिया है। इसको समझने के लिए आपको आरएसएस के मुखिया भागवत के उस बयान को समझना होगा, जिसमें उन्‍होंने साफ कह दिया है कि हिन्‍दुस्‍तान में जो भी मुसलमान हैं, वे वाकई एक धर्मांतरण से ही मुसलमान हुए हैं। लेकिन मुनव्‍वर राना भागवत के इस बयान पर अपनी क्रूर सोच पर पगलाये सांड़ की तरह उछलकूद करने लगे और यह बोल गये कि उनका बाप असली लुटेरी जात का मुसलमान था जो बाहर से हिन्‍दुस्‍तान पर हमला कर आया था। जाहिर है कि राना का यह बयान सांप्रदायिक सद्भाव से कोसों दूर है और उन लोगों को भी घायल कर रहा है जो हिन्‍दू-मुसलमानों को एकजुट करने के लिए दोनों के बीच खाई को पाटने में जुटे हैं।
ऐसे ही ब्रिलियंट हैं मुनव्वर राना। शायरी की दुनिया के फिलहाल ब्रिलियंट शख्सियत। सर्वश्रेष्ठ भी। शायरी की दुनिया में उनकी गजल और शेर अक्सर तो पूरे समाज को आंसुओं में डुबोने लगती है, भावनाओं के समंदर में गोते लगाने लगती है और सामाजिक व पारिवारिक दायित्व के साथ उन्हें सराबोर कर देती है। लेकिन अक्सर यही होता है कि मुनव्वर राना अपनी आदत छोड़ नहीं पाते। भारतीय समाज का हिस्सा होने के बजाय खुद को मुसलमान के तौर पर किसी स्पेशल स्‍पेशीज के तौर पर पेश करना शुरू कर देते हैं। और ऐसी कोशिश में ही पूरा समाज जूता लेकर मुनव्वर राना पर जुट जाता है
ऐसी एक घटिया हरकत कर डाली है मुनव्वर राना ने।उन्होंने अपने आप को सच्चा भारतीय होने के बजाय एक कट्टर मुसलमान का पायजामा पहन लिया। इसके पहले तो उन्‍होंने हत्‍यारे कट्टर सांप्रदायिक शख्‍स की तरह व्‍यवहार किया था, लेकिन ताजा मामला में मुनव्वर राना फिर बोले हैं कि मेरा बाप मुसलमान था, मां की गारंटी नहीं है। मुनव्वर राना कहते हैं कि मेरा बाप मुसलमान था लेकिन मैं उसकी गारंटी नहीं लेता कि मेरी मां भी मुसलमान थी। राना ने कहा कि उनका बाप मुसलमान था जो फौज के साथ भारत आया था।
दरअसल, यह बयान देकर राना आखिर क्‍या कहना क्या चाहते हैं। क्‍या राना खुद को एक लुटेरे सैनिक बाप की औलाद मानते हैं या भारतीय शालीनता के साथ पूरे देश में घुल मिल गए समाज का एक आदर्श बेटा मानते हैं।
आपको बता दिया जाए कि मुनव्‍वर राना के बारे में साफ कहा जाता है कि वह दिल और दिमाग को लेकर बेहद नरम है लेकिन जब धर्म की शराब वे पी लेते है तो उनका नशा उनकी कट्टरता की सारी सीमाएं भी तोड़ देता है। मुनव्वर राना यह भी कह सकते थे कि उनके पूर्वज भले ही कहीं से आये हों, लेकिन मैं हिंदुस्तानी हूं और हमारा पूरा हिंदुस्तान ही मेरा अपना हिन्‍दुस्‍तान है। यहां केजर्रे-जर्रे में मेरी हिंदुस्तानियत रवायतें रची-बसी हुई है, मेरी रगों में हिन्‍दुस्‍तानी खून दौड़ता है। लेकिन इसके बजाय मुनव्‍वर यह ऐलान कर देते हैं कि उनका बाप मुसलमान था लेकिन मेरी मां की गारंटी नहीं सकता कि मेरी मां भी मुसलमान थी।
अब इस बात को इस तरह भी देखा जा सकता है कि लुटेरी फौज के सिपाही होने के चलते उन्होंने यहां एक हिंदुस्तानी महिला को जबरन अपने घर में रख लिया। जाहिर है कि उस दौर में हिंदुस्तान में बाहर से आयी लुटेरी फौज के लुटेरे लोग हिंदुस्तान की महिलाओं को तलवार के बल पर जबरन दबोच लेते थे या फिर राजाओं के लेन-देन में वस्तु की तरह औरतें ही ऐसे लुटेरों के हरम में शामिल कर दी जाती थीं। सवाल यह है कि मुनव्वर राणा के बाप ने मुनव्वर राणा की मां को तलवार के बल पर अपने हरम में शामिल किया था या फिर किसी लेनदेन का नतीजा थी उनकी मां ?
लेकिन कुछ भी हो मुनव्वर राणा की यह हरकत इतना तो साफ करती ही है कि वह एक तो खुद को सिर्फ बाहरी फौज से आए गए लुटेरों की औलाद हैं और दूसरा यह कि उनकी मां केवल इसी लुटेरों की करतूतों से मुनव्वर राणा की मां बन पाई। इतना ही नहीं, मुनव्‍वर राना का यह बयान साफ जाहिर करता है कि वे साफ कह रहे हैं कि उनका बाप वाकई एक जालिम, बलात्‍कारी और लुटेरा था। जाहिर है कि अपने ऐसे बयानों के चलते राना अपनी मां को सम्‍मानित तो कत्‍तई नहीं कर रहे हैं। खास तौर पर तब, जब उनकी शायरी। आप भी उनकी एक गजल का चंद शेर देख लीजिएगा:-
ऐ अंधेरे ! देख ले मुंह तेरा काला हो गया। माँ ने आंखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
वो तो असर है माँ की दुआओं में, वरना
इतना सुकून कहाँ था इन हवाओं में
ज़रा-सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए,
दिये से मेरी मां मेरे लिए काजल बनाती है
छू नही सकती मौत भी आसानी से इसको
यह बच्चा अभी माँ की दुआ ओढ़े हुए है
निकलने ही नहीं देती हैं अश्कों को मिरी आँखें
कि ये बच्चे हमेशा माँ की निगरानी में रहते हैं
हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए
माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

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