जिंदगी में सूचनाओं का किरदार अहम, लेकिन कौन सी सूचना ?

बिटिया खबर

: साइबेरिया के पक्षी हजारों मील दूर की यात्रा केवल सूचनाओं के बल पर ही करते हैं : गलत सूचनाओं के चलते ही दुनिया के विशाल पुस्‍तकालय भस्‍म कर दिये गये : डीएनए में अमिट होकर दर्ज हो जाती है सूचनाएं। गलत हों या फिर सार्थक : जिन्‍दगी को भीतर तक प्रभावित करने वाले मित्र को दिशा देना मेरा पुनीत दायित्‍व :
कुमार सौवीर
लखनऊ : प्राथमिक तौर पर अभिभावक अथवा शिक्षक और छात्र के बीच केवल एक ही सेतु-पुल होता है, वह है सूचनाओं का। आप अपने बच्‍चे को सूचनाओं से लैस करते हैं, और आपका बच्‍चा या शिष्‍य उन सूचनाओं को मानता है, और अभिभावक या शिक्षक से उन सूचनाओं को परखता और सीखता है। उसके बाद हर क्षण मिले अनुभवों के आधार पर ही वह बच्‍चा अपनी परीक्षा से लेकर जिन्दगी तक के पल-पल के फैसले लेता है, नयी चुनौतियों को पार करता है। चैलेंज के लिए सिर्फ सूचना ही एकमात्र सेतु होती है, चाहे वह सायकिल चलायी जा रही हो या फिर मंगल को छोड़ा जा रहा यान-प्रक्षेपास्‍त्र।
तो आप पायेंगे कि आप की जिंदगी में सूचनाओं का अहम किरदार होता है। उनके बिना केवल इंसान ही नहीं बल्कि जानवर, जलचर और पक्षी भी अपना रास्ता तय करते हैं, रणनीति बनाते हैं। वजह होती है ऐसी सूचनाओं से मिले अनुभव। मछली भी सूचनाओं के आधार पर ही भोजन खोजती है, शिकार से बचती है। यही हालत जानवर और इंसान में भी होती है। वह जीवन से लेकर जीवन-यापन के लिए भंडारण तक सूचनाओं का ही इस्‍तेमाल करता है। सायबेरियन पक्षी भी हजारों किलोमीटर दूर भारत समेत दक्षिण एशिया के विभिन्‍न इलाकों में विचरण करने आते हैं, और फिर वापस चले जाते हैं। इनकी पूरी प्रक्रिया केवल उनकी सूचनाओं के आधार पर ही विकसित होती है, जो धीरे-धीरे उनके जैविक गुण-सूत्र यानी डीएनए में अमिट होकर दर्ज हो जाती है।
लेकिन सूचनाओं के साथ एक बड़ी समस्या भी हो सकती है, अगर उसमें सतर्कता न रखी जाए तो। वह दिक्कत यह है कि क्या जो सूचना हमें मिल रही है और वाकई सकारात्मक सूचना है जिसे हम अनुभव के तौर पर स्वीकार करके अपने भविष्य की रणनीति बना सकते हैं? या फिर वह कोई ऐसी सूचना है जो मूलतः नकारात्मक और मिथ्या है, जिसे आंख मूंदकर हम उसे अंगीकार कर लें तो ऐसी सूचना केवल हमें ही नहीं बल्कि समाज और सृष्टि को भी तबाह कर सकती हैं।
हमारे एक मित्र ने मुझे विभिन्‍न सूचनाओं वाली एक फोटो भेजी, तो मैं दंग रह गया। अब उस फोटो में दर्ज वह सूचना सच है या नहीं, उस पर चर्चा बाद में कर ली जाएगी लेकिन इसे देख लिया जाना बहुत जरूरी है कि जिसने भी यह सूचना मेरे इस अभिन्‍न मित्र तक भेजी है उसका मकसद क्या है। मगर उससे भी पहले मैं आपको बता दूं कि मेरा मित्र मेरा परम और अभिन्‍न है। मेरी जिन्‍दगी को भीतर तक प्रभावित कर देने वाला मित्र। वैसे भी किसी ऐसे मित्र के बिना जिन्‍दगी का कोई अर्थ नहीं हो जाता है। इसके बावजूद मेरा मकसद केवल उस फोटो को खारिज करना भर ही नहीं है, बल्कि उसके बहाने सूचनाओं की असलियत के प्रति उन्‍हें और अपने बाकी मित्रों, परिचितों और पाठकों तक अवगत कराना भी है।
तो साहब, ऐसी फोटो जैसी सूचनाओं को भेजने का मकसद होता है एक धर्म के प्रति विद्वेष पैदा करना। कारण यह कि इसमें ढेर सारी घटनाओं और उनके अभियुक्तों अपराधियों का नाम तो दे दिया गया है लेकिन वाकई वह घटनाएं हुई या नहीं, अगर हुई तो कहां हुई और यह वास्तविक है या अफवाह, इसे जांचना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि हम ऐसी घटना पर आंख मूंदकर यकीन नहीं करना चाहते हैं इसलिए हमें सबसे पहले तो ऐसी सूचना भेजने वाले की नियति को परखना पड़ता है। क्योंकि इसकी ऐसी सूचना का प्रथम दृष्टया उद्देश्य केवल फैलाना ही है।
हम यह नहीं कहना चाहते कि कोई धर्म दूषित है, घटिया है या आपराधिक है। अथवा कोई धर्म बहुत दूध का धुला है अथवा नहीं। यह भी हो सकता है मुसलमान या हिन्‍दू भी ऐसे ही होते हों, लेकिन ऐसी मान्यता पाल लेने के पहले हमे समझना जरूर पड़ेगा क्या फिर इस विश्वास के लिए जो सूचनाएं हमें मिल रही हैं वह अविश्वसनीय है या नहीं। यह इसीलिए जरूरी है कि हम सूचनाओं के परीक्षण के आधार पर अपना विश्‍वास जमायें, न कि झूठी अफवाहों के बहाने तबाही का सबब बन जाएं।
मैंने अपने मित्र को जवाब में यही लिख कर भेजा है कि:- बाकी क्या कहूँ? आप तुम ही समझदार हो, ज्ञानी हो।
हां, तुमने मुझे यह मैसेज भेजा, मैं आभारी हूँ कि इसके बहाने मुझे इसके विभिन्‍न पहलुओं पर स्‍पष्‍टीकरण करने का मौका दिया।
शुभरात्रि

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