बनारस में दैनिक भास्‍कर को मुंह छिपाने लायक नहीं छोड़ेगा यह संपादक

बिटिया खबर

: रूटीन की खबरें जब संपादक लिखेगा, तो रिपोर्टर फिर सुलभ शौचालय में बस जाएंगे : बस चले तो पूरे अखबार की हर लाइन में अपनी अपना ही नाम छपवा ले : चर्चाएं हैं कि मूर्खतापूर्ण विषयों पर डॉक्‍टरी छांटा करते हैं डॉ वरूण कुमार उपाध्‍याय : इंटरव्‍यू का आधा से ज्‍यादा हिस्‍सा बकवादी को समर्पित कर दिया : भोपाली बनियों का चंदन, घिस मेरे नन्‍दन :
कुमार सौवीर
वाराणसी : हिन्‍दी पत्रकारिता जगत में अब तक की परम्‍परा तो यही रही है कि किसी भी अखबार की पहचान उस में छपनी वाली खबर और उस खबर की गुणवत्‍ता से ही की जाती है। और इसके लिए जिम्‍मेदारी होती है उस अखबार के संपादक की। लेकिन हिन्‍दी पत्रकारिता के सबसे बड़े गढ़ बनारस में पत्रकारिता के नव पूत-कुपूतों ने पत्रकारिता को अपना मुंह छिपाने लायक नहीं छोड़ा। अब हालत यह है कि किसी खबर के बजाय हिन्‍दी पत्रकारिता के बड़े-बड़े दिग्‍गज समाचार पत्र भी पत्रकारिता की जड़ें खोद कर उसे कलंकित करने में जुटे हैं।
ताजा मामला है दैनिक भास्‍कर का। मूलत: मध्‍यप्रदेश का यह अखबार फिलहाल सभी हिन्‍दी भाषा-भाषी राज्‍यों में अपनी खासी जड़ें जमा चुका है। लेकिन इन जड़ों को काट-उखाड़ करने में जुटे हैं वह लोग जिनपर खुद ही इस अखबार और पत्रकारिता को विकसित करने का जिम्‍मा है। नाम है डॉक्‍टर वरूण कुमार उपाध्‍याय। आज तो हालत यह है कि डॉ उपाध्‍याय वाराणसी दैनिक भास्‍कर में स्‍थानीय संपादक की कुर्सी पर दंड पेल रहे हैं। उल्‍टी-पुल्‍टी खबरें लिख रहे हैं और अखबार का सत्‍यानाश करने के महती और महान दायित्‍व का निर्वहन कर रहे हैं।
इस अखबार का यह पन्‍ना और उसके सबसे नीचे यानी बॉटम-लीड के तौर पर छपे इस बॉक्‍स-न्‍यूज को निहारने की कोशिश कीजिए। इसमें फोटो भी चांप दी है इस संपादक ने। किसी नौसिखिया नवोदित अखबार के संपादक की शैली में एक ही खबर में तीन जगहों पर अपना ही नाम छाप लिया, साथ ही साथ अपनी लल्‍लनटाप फोटो भी। ठीक उसी तरह जैसे मर्दाना ताकत बेचने वाले झोलाछाप डॉक्‍टर अपनी पब्लिसिटी किया करते हैं। खबर में क्‍या है और उसमें संपादक की विशेष रूचि क्‍या है, यह अब तक अज्ञात है, किसी रहस्‍यमयी कहानी की तरह। इस बॉटम लीड में आधे से ज्‍यादा तो अनावश्‍यक बातें यानी बकलोली की दर्ज कर ली है उपाध्‍याय ने। तुर्रा यह कि वे चाहते हैं कि उनके रिपोर्टर लोग उनकी खबरों की वाह-वाही करें, फेसबुक और वाट्सऐप आदि पर वायरल करें।
इस अखबार के ही रिपोर्टर बताते हैं कि बनारस के दैनिक भास्‍कर का यह संपादक तो पक्‍का बकलोल है। इन पत्रकारों का ऐतराज है कि रूटीन की खबरें जब संपादक लिखेगा, तो रिपोर्टर फिर सुलभ शौचालय में बस जाएंगे। उनका बस चले तो पूरे अखबार की हर लाइन में अपनी अपना ही नाम छपवा ले। चर्चाएं हैं कि मूर्खतापूर्ण विषयों पर डॉक्‍टरी छांटा करते हैं डॉ वरूण कुमार उपाध्‍याय। भोपाली बनियों का चंदन, घिस मेरे नन्‍दन।

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