: चीन के उइगर मुस्लिम समुदाय का नेता है ईसा : उइगर ईसा को चीन सर्वोच्च आतंकवादी मानता है : शायद मसूद अजहर के मामले पर चीन का लहजा कुछ नरम हो सके :
नई दिल्ली : डोल्कन ईसा को वीजा देने से इनकार करने से और किसी को भले दिक्करत न हो रही हो, लेकिन उमर उब्दुल्ला और कांग्रेसियों की जुबान ज्यादा तेज हो गयी है। उनका कहना है कि ईसा के प्रति यह रवैया दिखाने से मोदी सरकार की नीतियां नंगी हो गयी हैं। उधर ईसा ने भारत के इस फैसले पर निराशा जाहिर की है। उसका कहना है कि यह फैसला भारत का नहीं, बल्कि चीन के इशारे पर है। उसका कहना है कि मुझे भारत को मसूद अजहर जैसे आतंकवादी के बराबरी नहीं करनी चाहिए।
गौरतलब है कि सभी धर्मों के तथाकथित एक सम्मेनलन के लिए ईसा को बुलाया गया था। यह सम्मेकलन 30 अप्रैल से शुरू होकर पहली मई तक चलेगा। सम्मेलन का मुख्य आयोजन हिमाचल के धर्मशाला में होगा, जहां निर्वासित तब्बतियों के नेता दलाई लामा यहां रहते हैं। लेकिन अब ताजा घटनाक्रमों के मुताबिक अब ईसा को यहां के आयोजन में शामिल होने की इजाजत नहीं मिलेगी। और तो और, अब वह भारत की जमीन पर भी नहीं आ सकेगा।
तो पहले समझ लीजिए कि ईसा है कौन? ड्रैगन-राष्ट्र चीन के पश्चिमी-उत्तंर क्षेत्र में है झिनझियांग राज्य। यहां की 97 फीसदी आबादी में शामिल हैं उइगर मुसलमान। लेकिन यहां ड्रैगन को दो-कौड़ी का भी सम्मान नहीं दिया जाता है। तीन ढाई फीसदी हान-वंशीय हैं और बाकी में अन्य स्थानीय जातियां। झिनझियांग और उइगरों का नाम पहली बार तब सार्वजनिक हुआ जब दो साल पहले यहां यहां के हजारों लोगों की हिंसक भीड़ ने पूरे झिनझियांग को हिला दिया, जमकर उपद्रव किया और आगजनी की। कारों और मोटरसायकिलों पर सवार इन लोगों ने पूरे इलाके में आतंक का जो नंगा नाच किया, वह अभूतपूर्व है। हालांकि बाद में चीन ने इस हादसे के बाद झिनझियांग में हान-वंशियों को बड़ी तादात में जुटाने-बसाने का राष्ट्रीय अभियान छेड़ दिया।
इसके तहत मुसलमानों का दमन शुरू हुआ और उन्हें चीनी कानूनों व कायदों के हिसाब से जीने का नया सांस्कृतिक अभियान छेड़ दिया। इस सांस्कृातिक अभियान में मस्जिदों समेत अधिकांश उइगर धार्मिक स्थलों को जमीन्दोज किया गया। बहरहाल, डोल्क न ईसा मूलत: उइगर है और यहां के आतंकवादी हरकतों का फिलहाल सरगना भी है। इस इलाके में होने वाले सभी हादसों और कई हत्याकांडों मे ईसा का नाम शामिल है। चीन के सरकारी कागजों में डोल्कलन ईसा का नाम सर्वोच्च खतरनाक आतंकवादी के तौर पर दर्ज है। चीन ने जब उस पर शिकंजा कसा तो वह पाकिस्तन से सटी सीमा को पार कर भाग गया। काफी लम्बे समय तक लापता रहा, फिर आखिरकार जर्मनी सरकार ने उसे सन 1990 में अपनी नागरिक दे दी।
आपको बता दें कि हाल ही मसूद अजहर के मामले में भारत ने जब संयुक्त राष्ट्र संघ में एक प्रस्तांव रखा था तो चीन ने उस प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि वह अजहर को इतना बड़ा आतंकवादी नहीं मारता है, जितना उसे भारत प्रस्तुतत कर रहा है। भारत का कहना था कि मसूद अजहर दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी है और उसका होना केवल मानवता का एक बदनुमा खतरा मानता है। लेकिन चीन ने ऐसा नहीं माना।
खैर, हकीकत यही है कि भारत के वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस (डब्ल्यूयूसी) नेता डोल्कन ईसा को भारत आने की इजाजत देने के बाद से पड़ोसी मुल्क सकते में था. भारत के इस कदम पर चीन ने चिंता जाहिर की और कहा कि डोल्कन एक आतंकी है और उसके खिलाफ इंटरपोट का रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है. इस कारण सभी देशों की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसे कानून के हवाले कर दिया जाए. जानकारों की माने तो संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मोहम्मद चीफ मसूद अजहर पर बैन के रास्ते में चीन के वीटो के कारण भारत ने डोल्कन ईसा को वीजा देने का निर्णय लिया था. ऐसा माना जा रहा है कि इसके कुछ दिन बाद भारत ने पड़ोसी देश को उसी की भाषा में जवाब देने की कोशिश कर रहा था. गौर हो कि मसूद मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है.