पिटने में माहिर कन्हैया का हवाईजहाज में झगड़ा, उतारे गये

मेरा कोना

: अब पूरे देश में अपनी पिटाई का अलख जगायेंगे कन्हैया, रोड-शो होगा : आरोप कि मानस डेका भाजपा का कार्यकर्ता है, अब राजनीति उछलेगी :

नई दिल्ली : शातिर कन्हैाया और एक सामान्य असमी युवक मानस डेका के बीच हवाई जहाज में झोंटा-नुचव्वर की घटना केजरीवाल-कन्हैया एण्ड कम्पनी के डीएनए का मूल असर है। ऐसे लोग तिल का ताड़ बनाते हैं। ऐसे में यह घटना अराजक-राजनीतिक माहौल में जन्मे नवजात नेताओं की करतूत ही कहा जाए तो अतिशयोक्ति ही माना जाना चाहिए। अब तर्क यह दिये जा रहे हैं कि मानस डेका भाजपा का कार्यकर्ता है। लेकिन मारपीट पर उसका भाजपा से जुड़ा होने पाले तर्क का क्या मतलब?

आप गौर कीजिए, कन्हैया या केजरीवाल पिटते हैं तो हंगामा होता है, और केजरी-कन्हैया इसका श्रेय लूटते हैं। पीटने वाला भी चिल्लाता है कि हां, मैंने कूटा है जमकर। जबकि कन्हैया कहता है कि मैं पिट गया, जम कर, हचक कर पिटाई हुई है मेरी।  इस पूरे पिटा-पिटाई कर्मकाण्ड का असर यह है कि एयरपोर्ट प्रशासन ने इन दोनों को ही हवाई अड्डे से निकाल बाहर कर दिया। अब यह दोनों ही लोग रेलवे-स्टेशन के रिजर्वेशन में एवेलेबिलिटी काउण्टर की लम्बी लाइन में खड़े हैं।

अब जरा देखिये तो आपको साफ पता चल जाएगा कि हवाई जहाज में एक मामूली बात पर जो हंगामा हुआ, वह शर्मनाक है। खास कर मौके पर कन्‍हैया का होना, स्वाभाविक शंकाओं को जन्म देता है। खासकर यह भी कि अगर भी है तो भी इससे यह साबित नहीं हो पाता है कि उसने कन्हैया को पीटा। मानस डेका ने कोई भी दावा नहीं किया कि मैंने कन्हैया को पीटा, जबकि उसका मकसद अगर राजनीति-प्रेरित होता तो वह अपनी छा‍ती पीट-पीट कर चिल्लाता कि हां मैंने ही कन्हैया को हूरा-कूटा।

लेकिन ऐसा नहीं किया मानस डेका ने, बल्कि उल्टे कन्हैया ही बुक्का मार कर रोया कि मुझे यहां मारा, वहां पीटा, वहां कूटा, वहां हूरा।

मानस को मैं नहीं जानता, लेकिन केजरीवाल और कन्हैया जैसे लोग मौकों की तलाश में होते हैं। दिमाग शातिराना है, किसी भी हल्की या सहज घटना को पलट मार देना और उसे अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल कर लेना कन्हैया ऐंएड कम्पनी का विशेष-व्यवसाय गुर है।

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