डीएम बन गए जागरण के मैनेजर, प्रेस में ही कर्मियों को रोका

दोलत्ती

: आगरा प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष ने उठाई उंगली : जमातियों ने नहीं, जागरण ने भी संक्रमण छुपाया : अखबार के हक में कानून को रौंद डाला ।

विनोद भारद्वाज

आगरा : साथियों, न चाहते हुए भी सुबह की शुरूआत में ही कुछ अप्रिय कड़वे सवाल मेरे जेहन में कौंध रहे हैं । यदि अपने पत्रकार साथी पंकज कुलश्रेष्ठ को खोने के बाद भी हम इन सवालों को नहीं उठा सकते तो हमें खुद को पत्रकार कहना और मानना बन्द कर देना चाहिए ।
क्या सच में पंकज की मौत का जिम्मेदार केवल कोरोना को मानें ? दैनिक जागरण के 12 पत्रकार पिछले चार पांच दिन से हिंदुस्तान कॉलेज में क्वारण्टाइन किए गए । एक पत्रकार और एक जागरणकर्मी सिकन्दरा के एक वृद्धाश्रम में क्वारण्टाइन हैं । पांच वरिष्ठ पत्रकारों और गैर पत्रकारों को दफ्तर में ही क्वारण्टाइन करने की डीएम और सीएमओ ने कृपा की ताकि अनवरत अखबार निकलता रहे । बड़ी तादाद में संक्रमितों / संभावित संक्रमितों की आशंका के बावजूद सुरक्षा की दृष्टि से संस्थान बंद क्यों नहीं करवाया गया ? क्या इतना बड़ा संस्थान कुछ दिन अपने संस्करणों की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पाता ? क्यों मेहरबान रहे डीएम और सीएमओ ?
पंकज समेत तीन साथी पत्रकारों ने अस्वस्थ होकर अपने घर में ही रहकर जांच कराई । पंकज कुलश्रेष्ठ के गम्भीर बीमार होने की जानकारी सभी पत्रकारों को थी । पंकज की कोरोना रिपोर्ट ही गुम होकर पांच दिन बाद सामने आई । इस बीच पंकज ने कई बार भर्ती होने को अस्पताल के चक्कर लगाए , पर दैनिक जागरण जैसा नम्बर वन होने का दंभ भरने वाला अखबार अपने ही गम्भीर बीमार पत्रकार को समय से भर्ती कराकर उपचार नहीं दिला सका और अंततः पंकज मृत्यु की गोद में चला गया !
साथियों, क्या हमारे पास इस बात का कोई जवाब है कि हम सब इन पीड़ित पत्रकारों और उनके संस्थान का नाम लिखने से बचते रहे ! जब मीडिया / सोशल मीडिया सारे कोरोना पीड़ितों के नाम पते डंके की चोट पर लिखकर पाठकों के प्रति अपना तथाकथित धर्म तो निभा रहा था लेकिन पत्रकारों और उनके संस्थान का नाम उजागर न करने पर अड़ा हुआ था , क्यों ? क्यों ?? क्यों ???
जब सोशल मीडिया भी पीड़ित पत्रकारों और उनके संस्थान का नाम नहीं लिखने पर अड़ा रहा तो फिर सोशल मीडिया पर इतने न्यूज ग्रुप बनाकर चलाने की जरूरत ही क्या रही ? आखिर हम सब इतनी बड़ी और विस्फोटक जानकारी का पूरा सच लिखने की हिम्मत क्यों नहीं कर पा रहे थे ? सच्चाई को सामने लाने और जन जागरण का अलख जगाने का दावा करने वालों ने संस्थान के इतने मीडिया कर्मियों के संक्रमित होने की खबर अंत तक जनता / पाठकों से क्यों छिपाई ? आखिर ये पत्रकारिता का कौन सा धर्म था ! हम सभी अधर्म में हिस्सेदार बने !
फिलहाल तो यही प्रार्थना है कि परमपिता हम सभी साथियों और हम सबके परिवार की इस संकट की घड़ी में रक्षा करे ! जो साथी अस्वस्थ हैं , वे शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ होकर अपने घर लौटें ।

1 thought on “डीएम बन गए जागरण के मैनेजर, प्रेस में ही कर्मियों को रोका

  1. जबर्दस्त सुपरहिट खुलासा किया गया !!!
    हमारी समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसे संदिग्ध अखबारों को देश का नंबर वन अखबार कैसे बना दिया जाता है ???

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *