हाईकोर्ट ने हुक्म दिया: दो घंटे में विनीता पर प्रतिबंध हटाओ

मेरा कोना

: नगर निगम ने सारी बेशर्मी करते हुए विनीता पर आठ लाख की नोटिस देकर मकान सील कर दिया : न अफसर सुन रहे थे और न अखबार वालों ने विनीता को कोई राहत दी : सुरभि रंजन ने दरवाजा नहीं खोला, और आलोक रंजन ने आफिस में मिलने से ही इनकार कर दिया : देख लो, बड़े बाबुओं की करतूतें- 34 :

कुमार सौवीर

लखनऊ : (इसके पहले आप सुरभि रंजन और उनकी ब्यूटीशियन पर बरसे गुस्से को पढ़ चुके हैं। अब पढिये आगे की कहानी) सुबह विनीता सुरभि रंजन के घर गईं और माफी मांगी। विनिता के मुताबिक उन्होंने मैडम के पैर तक छुए और पार्लर खुलवाने की गुहार लगाई लेकिन मैडम ने एक नहीं सुनी। विनीता घर लौटीं तो पता चला कि पॉर्लर पर नगर निगम ने ताला जड़ दिया है। लेकिन इसके विनीता और उसके पति भागेभागे सुरभि रंजन के घर पहुंचे लेकिन सुरभि ने दरवाजा ही नहीं खुलवाया।

उनपर आठ लाख रुपये टैक्स बकाया होने का आरोप लगाया गया। जबकि ब्यूटि पार्लर की मालकिन विनिता के पति कहते हैं कि उन्होंने दिसंबर में ही नगर निगम का पूरा टैक्स चुका दिया था। इसकी रसीदें भी उनके पास हैं लेकिन अफसर के रुतबे के आगे सब बेबस हैं।

बस फिर क्या था। जो कुछ भी हुआ था, वह तो अब सुन ही चुके हैं।

हालत यह थी कि बिना पानी और बिना बिजली के पूरा घर बिलबिला गया। बच्चों का घर से निकला और स्कूल जाना तक बंद हो गया। हार कर वह ब्यूटीशियन अपने पति और बचचों के साथ मेमसाहब के घर गयीं, लेकिन घर का दरवाजा ही नहीं खुला। अब यह लोग साहब के आफिस पहुंचे तो साहब ने मिलने से ही इनकार कर दिया। यह देख कर वह लोग अखबारों और चैनलों के पास पहुंचे। लेकिन चूंकि यह बड़े अफसर का मामला था, किसी ने भी कोई खबर नहीं छापी।

चूंकि अब तक विनीता हर ओर से हार-थक चुकी थी। आलोक रंजन ने तो उससे मिलने से ही मना कर दिया था, और सुरभि रंजन ने दरवाजा तक नहीं खोला। उधर न तो अफसर लोग उसकी एक सुन रहे थे और न ही अखबार-न्यूज चैनल वाले उसकी बात पर कान दे रहे थे। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह कहां जाए भी तो कहां। इसके बाद वह महिला और उसका पति एक वकील के माध्‍यम से हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंचे। इस मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि इस मामले को जस्टिस डीपी सिंह ने सुना और पहली सुनवाई में ही आदेश दिया कि यह कोर्ट दो घंटे बाद फिर इस मामले की सुनवाई करेगी। और तब तक उक्त पीडि़त के घर के घर लगी सील और बाकी प्रतिबंध हटा दिये जाएं। कहने की जरूरत नहीं कि दो घंटे बाद उस महिला का घर और वहां की व्यवस्थाएं वापस मिल सकीं। लेकिन इस बीच उक्त ब्यूटीशियन के पति को इतना प्रताडि़त कर दिया गया, कि उसकी मौत हो गयी।

अथ श्री आलोक रंजन और सुरभि रंजन कथा

ओम ब्यूरोक्रेसियाय नम: स्वाहा

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लो देख लो, बड़े बाबुओं की करतूतें

 

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