हा हा हा। दलाल पत्रकार तो पहले से था ही कुमार सौवीर, अब गुहखन्‍ना भी निकला

मेरा कोना

: खलीलाबाद और बस्‍ती के दो-तीन दलालों ने खोला कुमार सौवीर के खिलाफ मोर्चा : एक घोषित दलाल अजय श्रीवास्‍तव के पोर्टल पर छपी खबर : यह रमेश भट्ट कौन है, जिसने कुमार सौवीर को हौंका था : हर लाइन में वर्तनी की टांग तोड़ते हुए लिखे निन्‍दा-प्रस्‍ताव को पढि़ये, मजा आ जाएगा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अरे बाप रे बाप। कुमार सौवीर के बारे में तो इस पत्रकार को इतनी ज्‍यादा जानकारियां हैं, जितनी खुद कुमार सौवीर को भी कभी नहीं पता चल पायीं हैं। मसलन, कुमार सौवीर दलाल है। जौनपुर के डीएम से घूस मांगने पहुंच गया था कुमार सौवीर। सहारा इंडिया और महुआ न्‍यूज चैनल से लतिया कर भगाया जा चुका है कुमार सौवीर। फर्जी मान्‍यता पर हड़प रखा है सरकारी मकान, और उसका किराया भी नहीं अदा करता है कुमार सौवीर। और यह भी कि कुमार सौवीर का असली नाम कुमार सौवीर नहीं, बल्कि सौबीर है।

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संतकबीर नगर

जी हां, कुमार सौवीर के बारे में आजकल एक जोरदार प्रशस्ति-गीत लिख रहा है एक शख्‍स। नाम है अजय श्रीवास्‍तव। उसकी दलाली और डरपोंक-क्षमता का खुलासा मैं कई बार कर चुका हैं। जिसमें उसने खलीलाबाद के एक जांबाज पत्रकार उमेश भट्ट के बारे में एक भ्रामक समाचार मुझे भेजा था। इसी अजय श्रीवास्‍तव ने उमेश भट्ट की गिरफ्तारी पर यह खबर भेजी थी। बाद में मुझे पता चला कि बीडीओ आफिस में उमेश भट्ट की पिटाई और उसे जेल भेजवाने में अजय श्रीवास्‍तव की भी साजिशें शामिल थीं। हैरत की बात यह है कि उस खबर में लेखक ने अपना नाम के बजाय किसी एक अनजाने नाम से प्रकाशित करने का अनुरोध किया था। लेकिन जब मैंने उस पर ज्‍यादा पूछताछ शुरू की, तो वह बिदक कर भाग निकला। और उसके बाद मुझे अपने वाट्सऐप ग्रुप से रिमूव कर गया।

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पत्रकार पत्रकारिता

उसका एक पोर्टल है सत्‍यमेव जयते। इस पोर्टल में छपे-छापे जा रहे कूड़ा-करकट के स्‍तर का अंदाजा आपको इस पीस से भी मिल सकता है जो कुमार सौवीर के बारे में छापा गया है। इसमें लिखा गया है कि लालची है कुमार सौवीर। घूस, रंगदारी और भीख तक मांगता है। अपनी बेटी के नाम पर भी चंदा मांगता है कुमार सौवीर। नीच है, नराधम है। हालांकि यह समझ में नहीं आया है कि इस शख्‍स ने यह पूरी पोथी मेरी प्रशंसा में लिखी है या फिर निन्‍दा में। क्‍योंकि उसने लिखा है कि बहुत बड़ा घूसखोर और और रंगदारी वसूलने वाला शख्‍स है कुमार सौवीर, जो कलेक्‍टर तक से घूस मांग लेता है। और जब कोई डीएम उसकी डिमांड पूरी नहीं करता है, तो उसके खिलाफ वह छीछालेदर करना शुरू कर देता है।

मसलन, जौनपुर का डीएम। हालांकि यह भी समझ से परे लग रहा है कि वह डीएम कौन है जौनपुर का। क्‍योंकि मैंने तो 16 अगस्‍त सन-2003 से सितम्‍बर सन-05 तक की अपनी जौनपुर में नौकरी के साथ ही साथ आज तक के डीएम पर खूब लिखा है। इस शख्‍स को इतना तो खुलासा करना ही चाहिए कि वह डीएम कौन है, जिसकी छीछालेदर कुमार सौवीर ने की थी, इससे कम से कम उसे धाकड़ पत्रकार का प्रशस्ति-पत्र दिया जा सके।

इसने मुझे गुह-खन्‍ना लिखा है, यह भी समझ से परे है। क्‍योंकि यह ही स्‍पष्‍ट नहीं हो पा रहा है कि यह गुहखन्‍ना पंजाब के खन्‍ना जिले की किसी प्रजाति का नाम है, अथवा किसी गुह्य-क्षेत्र का निवासी, अथवा गुह्य-सेवक। कुल मिलाकर यह कि यह किसी 9 कक्षा में फेल हो चुके और 30 बरस की उम्र पार कर चुके किसी शख्‍स की करतूत लगती है, जिसे हिन्‍दी तक लिखने की तमीज नहीं। हर लाइन में दर्जनों वर्तनी की अशुद्धियां हैं, बहरहाल, इस पूरे हास्‍य-व्‍यंग्‍य को पढि़ये, और आनन्‍द लीजिए।

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