क्‍या बच्‍ची, क्‍या वृद्धा। कहां से संचालित हो रहा है मर्दों का दिमाग

मेरा कोना

: बिहार के अखबारों में आजकल ऐसी घिनौनी खबरें थोक भाव में मिल जाएंगी । तीन-चार बलात्‍कार की खबरों के बिना अखबार ही पूरा नहीं होता : तो क्‍या यही मान लिया जाए कि हम एक यौन-कुण्ठित और सुक्‍सुअली दानवी सभ्‍यता में बदल रहे हैं खुद को :

प्रेम कुमार

लखनऊ : कभी कहीं पढ़ा था कि एक मर्द के मस्तिष्क में रोज के चौबीस घंटों में अनेक बार सेक्स के बारे में, फिर या उससे संबंधित चीजों-बातों के बारे में ही विचार आते रहते हैं।

उस समय से कई बार इसे अपने पर जांचने की कोशिश की। लेकिन किसी तार्किक और तसल्लीबख्श निष्कर्ष पर नहीं पंहुच पाया।

पर पिछले कुछ दिनों से बेगूसराय में रहने के दौरान गौर कर रहा हूं कि बिहार के अखबारों में भी थोक के भाव में ऐसी खबरें नजर आ रही हैं। चार साल की बच्ची से बलात्कार, वृद्धा से बलात्कार… मतलब तीन-चार बलात्कार की खबरों के बिना अखबार ही पूरा नहीं होता।

दिल्ली और बाकी जगहों की तो बात ही इस मामले में माशाअल्लाह है।

ऐसा लगता है कि हम एक यौन कुंठित और सेक्सुअली दानवी सभ्यता के रुप में विकसित हो रहे हैं। पर हमारे समाज के लोगों के लिए चिंता और चर्चा के मसले अलग ही हैं।

ऐसे में यकीनी तौर पर कहा जा सकता है कि आज अधिकांश मर्द के मस्तिष्क में अधिकतर सेक्स ही नहीं चल रहा बल्कि मस्तिष्क ही वहीं से चल रहा है।

(मूलत: बेगूसराय रहने वाले और लखनऊ को आबाद करने वाले प्रेम कुमार की फेसबुक वाल से)

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