: केंद्रीय गृह-राज्य मंत्री के सपूत ने लखीमपुर-खीरी में सात लोगों को रौंद कर मार डाला था : योगी-सरकार के अंग-वस्त्र बेहद दागदार हो चुके भाजपा-राज में : टेनी की रिहाई पर मनाया गया जश्न, आम आदमी की आवाज उठाने वाला अमिताभ ठाकुर जेल में :
कुमार सौवीर
लखनऊ : वह केंद्रीय सरकार के गृह-राज्यमंत्री की औलाद थी, इसलिए आज अदालत ने रिहा कर दिया। वह भी तब उस बेअंदाज हत्यारे लफंगे ने तनिक बात पर एक पत्रकार समेत सात लोगों को अपनी गाड़ी से रौंद कर मार डाला था। जबकि दूसरा व्यक्ति पुलिस, प्रशासन और शासन ही नहीं बल्कि योगी-सरकार की कलई खोलने पर आमादा है, ताकि उत्तर प्रदेश के योगी-राज की बदहाली से आम आदमी दर्द-ओ-गम की आवाज उठा सके। लेकिन अपने इस अभियान में एकला-चलो वाले इस ह्विसल-ब्लोवर बना इस व्यक्ति छह महीने से लखनऊ की जेल में सड़ रहा है। लेकिन अदालत है कि उसने उस को रिहा करने लायक ही नहीं समझा है।
टेनी को तो आप जानते ही होंगे। लेकिन यह टेनी नहीं है, जिसे तराजू पर निर्भर समुदाय बेईमानी के लिए तराजू के टेनी का हेरफेर कर आम उपभोक्ताओं को मूर्ख मनाता है। बल्कि यह तो वह टेनी है, जो तराजू वाली टेनी की बेईमानी से भी भयावह और नृशंस अपराध करता है, जिसको सुन कर ही लोगों के रोंगेटे सिहरने लगते हैं। देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की औलाद का नाम है आशीष मिश्रा उर्फ टेनी-पुत्र।
मामला है 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव का। आशीष मिश्र यानी टेनी-पुत्र की करतूतों के फलस्वरूप तिकुनिया में हिंसा हुई थी। इसमें किसानों को रौंद दिया गया। इस हिंसा में 4 किसानों के अलावा तीन बीजेपी कार्यकर्ता और कार्यकर्ता और एक पत्रकार की मौत हो गई थी। लेकिन आज इस लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में मुख्य आरोपी के तौर पर जेल भेजे गये आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की आज 129 दिन बाद रिहाई हो गयी। देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से बीते गुरुवार को ही जमानत मिल चुकी है।
खबर है कि रिहा होने के बाद इस मोदी-सरकार के इस मंत्री के बेटे ने रिहा होने के बाद बाकायदा फोटो सेशन किया और विक्ट्री-साइन बना-बना कर उसने विभिन्न विजयी-मुद्राओं में मुस्कुराते-मुस्कुराते लखीमपुर में कानून-व्यवस्था को रौंदा।
लेकिन अमिताभ ठाकुर को यह सौभाग्य नहीं मिल सका। सभी जानते हैं कि भाजपा-सरकार में ऐसे सौभाग्य का आधार होता है राजनीतिक दबंगई पर पाली-पोसी जा रही नेताओं की नाक सम्भालने वाले लोगों का प्रश्रय। अमिताभ ठाकुर को अपनी टोपी-क्रेसी और ब्यूरोक्रेसी के साथ ही साथ सरकार में चल रही साजिशों के खिलाफ एक सशक्त ह्विसल-ब्लोवर माना जाता है। जिसने अराजक, चापलूस और घटियापन पर आमादा नेताओं और उनके ब्ल्यू-आईज अफसरों को नंगा करना शुरू किया था। पूरी ताकत के साथ, बेधड़क।
अमिताभ ठाकुर यानी उप्र में दबंग माने जाने वाले पुलिस महानिरीक्षक। चाहे वह मुलायम सिंह यादव रहे हों, अखिलेश यादव रहे हों या फिर योगी आदित्यनाथ, अमिताभ ठाकुर ने इन सभी की सरकारों में किये गये अत्याचारों पर कड़ा हमला किया। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनकी सरकार के मुंहलगे अफसरों ने कान में फूंक-फूंक कर यह यकीन दिला दी थी कि अमिताभ ठाकुर की गतिविधियों के चलते योगी की नाक पर संकट है और अमिताभ ठाकुर योगी की नाक का बाल उखाड़ने पर आमादा थे। इसीलिए इसके पहले तो योगी सरकार ने अमिताभ ठाकुर को ही नौकरी से बर्खास्त कर दिया। लेकिन इसके बावजूद जब अमिताभ ठाकुर अपनी कार्रवाईयों से बाज नहीं आये, तो योगी-पुलिस ने पिछले बरस 21 अगस्त को तब उस वक्त हाउस-अरेस्ट कर लिया था, जब अमिताभ ठाकुर ने योगी के चुनाव क्षेत्र में भ्रमण का ऐलान किया था। यह तारीख थी 21 अगस्त-21, और अमिताभ ठाकुर के राजनीतिक एजेंडे के चलते डरी सरकार ने अपनी पुलिस को लगाया और अमिताभ ठाकुर को हाउस-अरेस्ट कर लिया गया।
लेकिन 27 अगस्त-21 को अंतत: उनके खिलाफ हजरतगंज पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। जिसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोप लगाया गया कि बसपा सांसद अतुल राय पर रेप का आरोप लगाकर सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह करने वाली युवती ने अमिताभ ठाकुर पर भी कई आरोप लगाए थे। योगी-पुलिस द्वारा इस मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी ने अमिताभ ठाकुर पर पीड़िता को आत्मदाह के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था, इसी मामले में उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस उनके घर पहुंची थी।
उसके बाद से ही अमिताभ ठाकुर जेल में बंद हैं, जबकि अमिताभ ठाकुर को जमानत देने के लिए दी गयी कई अर्जियों को अदालत ने कई आधारों पर खारिज कर दिया। उसके बावजूद सात लोगों को रौंद कर मार डालने वाले केंद्रीय मंत्री के सपूत को न्यायपालिका ने आज रिहा कर दिया।