हे राम! शशिशेखर तुम भी अवैध खनन में शामिल ?

बिटिया खबर
: सीबीआई द्वारा अपनी रिपोर्ट में पुष्टि से जुड़े ट्वीट पर खौखिया पड़े शशि शेखर, एकाउंट ब्‍लॉक किया : एचटी मीडिया समूह के अखबार हिन्‍दुस्‍तान दैनिक के समूह संपादक हैं शशि शेखर : अखिलेश यादव और बी चंद्रकला जैसी शख्सियतों की लिस्‍ट में शशिशेखर भी शामिल :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अपने अजीबोगरीब, शर्मनाक तथा बेहूदे विज्ञापनों और मूर्खतापूर्ण खबरों को लेकर खासे चर्चित दैनिक हिंदुस्तान के समूह संपादक ने एक नया छक्‍का मार दिया है। खबरें चल रही हैं कि इस अखबार के समूह संपादक शशि शेखर का नाम सपा-सुप्रीमो और यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी कुख्‍यात चांडाल-चौकड़ी के अवैध खनन में भी शामिल हो गया है। चर्चाएं चल रही हैं कि अखिलेश यादव के खनन घोटाले में शशिशेखर के नाम का खुलासा सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में की पुष्टि है।

प्रशांत पटेल उमराव नामक एक वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता, माने-जाने लेखक संदीप देव और केशव कर्ण जैसे कई लोगों ने इस मामले में इस बारे में विस्‍तृत जानकारी देने वाली ट्वीट की है। लेकिन प्रशांत पटेल उमराव और संदीप देव ने जैसे ही इस बारे में जानकारी अपने ट्वीट एकाउंट से जारी किया, शशिशेखर ने इन लोगों को तत्‍काल ब्‍लाक कर दिया। शशि शेखर की इस हरकत से भी भूचाल उठ गया है। सवाल उठाये जा रहे हैं कि शशिशेखर ने अपने पर लगे आरोपों को जवाब देने के लिए सम्‍बन्धित लोगों को ब्‍लाक क्‍यों किया और इस तरह अपने को बचाने की साजिश क्‍यों की। शशि शेखर के इस कदम को उनके समस्‍या से भागने और कायरतापूर्ण व्‍यवहार करने से भी जोड़ा जा रहा है।

आपको बता दें कि ज्‍यों-ज्‍यों उत्तर प्रदेश के खनन घोटाला मामले में जहां प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव घिरते जा रहे हैं, त्‍यों-त्‍यों इस कुख्‍यात मामले में कई बड़े-बड़े खुलासे हो रहे हैं। ताजा मामले के अनुसार दैनिक हिंदुस्तान के संपादक शशि शेखर समेत कई पत्रकारों का नाम भी सामने आया है। कहा जा रहा है कि खनन घोटाला मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर स्टेटस रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। आरोप है कि इस मामले में सीबीआई द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर स्टेटस रिपोर्ट में यह बातें सामने आयी हैं। इतना ही नहीं,  इस मामले में केवल शशि शेखर ही नहीं बल्कि कई और पत्रकारों के नाम इस घोटाले में आए बताये जाते हैं।

इन लोगों पर तो आरोप यहां तक लगाया जा रहा है कि अपने घोटाले को छिपाने के लिए ही महाठगबंधन के लिए अभियान चलाने का फैसला किया था। ताकि महागठबंधन का डर दिखाकर मोदी सरकार को इस मामले में किसी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका जा सके।

एक पोर्टल ने इस बारे में खुलासा भी किया है। उधर इस मामले को लेकर प्रशांत पटेल उमराव ने जैसे ही ट्वीट किया शशि शेखर ने उन्हें ब्लॉक कर दिया। वैसे तो एक संपादक होने के नाते शशि शेखर को सामने आकर इस संदर्भ में अपना पक्ष रखना चाहिए था । लेकिन जैसे ही उन्होंने ब्लॉक किया उनके खिलाफ शंका और गहरा गई है। अगर खनन घोटाला मामले में शशि शेखर के लाभार्थी होने के नाम का धुआं उठा है तो फिर इसका खुलासा जांच से तो हो ही जाएगा। प्रशांत ने आरोप लगाया है कि इससे साफ हो गया है कि वह इस सच्चाई को नहीं बर्दाश्त कर सकते हैं कि वे खनन घोटाला के लाभार्थी थे। जैसा कि सीबीआई ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में लिखा है।

अवैध खनन का ये मामला सपा सरकारी में वर्ष 2012 से 2016 के बीच का है। अवैध खनन के इस खेल का भंडाफोड़ करने के लिए 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं थीं। इन पर सुनवाई करते हुए 28 जुलाई 2016 को हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने मामले की जांच शुरू की तो उसे वर्ष 2012 से 2016 तक हमीरपुर जिले में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के सबूत मिले। अवैध खनन से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व की क्षति पहुंचाई गई थी। उस वक्त चर्चित आइएएस अधिकारी बी चंद्रकला हमीरपुर की जिलाधिकारी थीं। उन पर भी अवैध खनन में शामिल होने और मनमाने तरीके से खनन के पट्टे बांटने का आरोप हैं।

दोलत्‍ती संवाददाता ने इस बारे में हिन्‍दुस्‍तान के समूह संपादक शशि शेखर से सम्‍पर्क करने की कई बार कोशिश की, लेकिन उनका फोन नहीं उठ पाया। दोलत्‍ती डॉट कॉम की ओर से हम आप सभी पाठकों को आश्‍वस्‍त करते हैं कि जब भी शशि शेखर इस मामले में अथवा किसी भी अन्‍य प्रकरण पर अपना पक्ष रखेंगे, हम उनका पर्याप्‍त स्‍थान दे कर उन्‍हें प्रकाशित करेंगे।

1 thought on “हे राम! शशिशेखर तुम भी अवैध खनन में शामिल ?

  1. शशि शेखर की बेनामी सम्पत्तियों की जांच होनी चाहिए, खनन मामले में उनका शुतुरमुर्ग की तरह बालू में सिर देने से कुछ नही होना चाहिए।वह एक मान्यता प्राप्त समाचार के जिम्मेदार पद पर वह भी राजधानी में तैनात रहे। अखबार जगत के लोग भी उनके खनन से जुड़े होने की बात दबे मन से बताते हैं ।हालांकि वह अब एचटी मीडिया में सेवानिवृत्ति की सीमा पार कर चुके हैं। पता चला है किया 2007 से ही लखनऊ की कई ऐसे स्रोतों के जरिए आर्थिक लाभ उठाते रहे हैं।इनके खिलाफ ईडी और सीबीआई को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ऐसे भ्रष्ट संपादक दोबारा ना पैदा हो

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