मी लॉर्ड ! अब आप बताइये न कि इतना वक्त क्यों लगा

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: हाईकोर्ट की नाक के नीचे 11 साल तक पाखण्‍ड चला गौरव को बालिगीकरण का : सब को पता था कि गौरव बालिग है: बस बेखबर थी हाईकोर्ट, सरकार व वकील : गौरव शुक्ला तो मोहरा है, दुराचार तो सरकार, कानून और अपराधियों ने किया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : लेकिन आशियाना सामूहिक दुराचार काण्डर का अभी फैसला आया कहां है। फिलहाल तो उस मजाक का खुलासा हुआ है, जिसे कानून के सहयोग और दुराचार के साथ सरकार के इशारे पर न्यायिक पाखण्डों  की बिसात बिछायी थी। वह खेल बेनकाब हुआ है जहां न्यानय के नाम पर वकीलों ने अपने पेंच फंसाये थे। इस बेईमानी का खुलासा अब तक कहां हुआ है जिसमें अपराधियों के साथ मिल कर पूरी प्रशासनिक ढांचा बेचा-खरीदा गया था। और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण मसला तो उस हाईकोर्ट के दायित्वो को लेकर अभी तक कहां निपटा गया है जहां न्याय के नाम पर बाकायदा पाखण्ड‍ बेचा-खरीदा जाता है।

सबसा बड़ा सवाल तो हाईकोर्ट पर आयद हो रहा है। दरअसल आप कौन सा न्याय कर रहे हैं न्याय के मी लॉर्ड जी। जिस तथ्य को पूरा लखनऊ जानता है, उसमें पानी-दूध अलग-अलग करने में आपको 11 साल लग गये। न्याय के मी लॉर्ड जी ! आपकी नाक के ठीक नीचे उस हौलनाक बच्ची के मुख्य अभियुक्त गौरव शुक्ला को नाबालिग करने की सारी कवायदें सरकार के बने किशोर न्याय बोर्ड के लोगों ने सिर्फ इसलिए कर डालीं क्यों कि गौरव शुक्ला का चाचा एक कुख्यात बाहुबली अरूण शंकर शुक्ला था और वह समाजवादी पार्टी का नेता था।

क्या आपके दायित्वों में ऐसे जघन्य मामलों की प्राथमिक सुनवाई नहीं होती है, जहां केवल सत्ता, धन और बाहुबल के बल पर किसी निरीह, मासूम और अल्पआयु बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार हो जाता है। क्या आपको ऐसा नहीं लगा था न्याय के मी लॉर्ड जी, कि इस मामले की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर होनी चाहिए। क्या यह उचित नहीं होता कि आप किेशोर न्यायय बोर्ड के हरामखोर अफसरों के नट-बोल्टी कस देते कि आखिर तुम्हें गौरव की आयु तय करने में पूरा का पूरा नौ साल कयों खपा दिया। क्या  आपको इस बात का अलहाम नहीं था कि एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए ऐसे हादसे से न केवल उस बच्ची के हौसले टूट जाएंगे, बल्कि लखनऊ, प्रदेश और देश की बच्चियों और उनके माता-पिताओं के भी हौसले पस्त हो जाएंगे। खुदा न ख्वास्ता, अगर कोई ऐसा हादसा कभी कहीं हो गया तो क्या उस पर कड़ी कार्रवाई करने के बजाय उसके माता-पिता उसे छिपाने की कोशिश नहीं कर देंगे। क्यों कि उन्हें आपकी ऐसी लम्बी न्यायिक प्रणाली में ऐसे अभिभावक और वह पीडि़त लोगों की रीढ़ ही टूट जाएगी।

न्याय के मी लॉर्ड। हमने यह माना कि किशोर न्या्य बोर्ड की लापरवाही की ओर किसी ने भी संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की खबर नहीं की। चलिये हम यह बात मान लिये देते हैं। लेकिन यह तो बताइये, न्याय के मी लॉर्ड जी, कि 25 जुलाई-12 को आपने किशोर न्याय बोर्ड के अफसरों पर यह आदेश दिया था कि गौरव शुक्ला की उम्र का सटीक-सटीक पता लगा दिया जाए। लेकिन इसमें अगले दो साल कैसे लग गये न्याय के मी लॉर्ड जी। अब तो हम इस हालत को इस देश की न्यायिक व्यवस्था की पूरी असफलता का प्रतीक ही मानेंगे न्याय के मी लॉर्ड जी।

आशियाना काण्‍ड और कुकर्मी-गौरव के षडयंत्रकारियों पर श्रंखला जारी है। अगला अंक देखने के लिए प्रतीक्षा कीजिए:- अपराध और वकीलों के बीच पिस जाते हैं पैरोकार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *