ब्‍यूरोचीफ की बीवी ले भागा सम्‍पादक, मामला पुलिस में

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: हरिण्‍यकश्‍यपु और होलिका के इलाके हरदोई में अब नया एक नया बवाल : पूरे जिले में बजती है भांड़-दल्‍ला पत्रकारों की तूती : हर बाजार-कस्‍बे में अपनी जड़ें जमाये हैं पत्रकार : हरदोई का कोई भी पत्रकार इस मामले में जुबान खोलने को ही तैयार नहीं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : प्रह्लाद का नाम तो आपने सुना ही होगा न, अरे वही प्रह्लाद जिसे अपनी गोद में लेकर हरिण्‍यकश्‍यपु की बहन होलिका चिता पर बैठ गयी थी। होलिका जल गयी, लेकिन प्रह्लाद बच गया। लेकिन उसे अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए जब हरिण्‍यकश्‍यपु ने उसे सभागार में कोशिश की तो नारायण सीधे सिंहावतार की तरह पहुंचे और हरिण्‍यकश्‍यपु मारा गया। होली उसी घटना से मनायी जाने लगी और हरदोई के लोगों ने र शब्‍द का उच्‍चारण करना ही बंद कर दिया।

लेकिन एक पत्रकार का तो होला-मोहल्‍ला मच गया। हद्दोई से अब ताजा खबर है कि एक सम्‍पादक अपने ही ब्‍यूरो-चीफ की बीवी लेकर रफूचक्‍कर हो गया है। कुछ कमाने-धमाने के लिए अपनी नौकरी के लिए उसने जिस सम्‍पादक को महीनों तेल लगाया, उसकी जी-हुजूरी की, उसके सारे गलत-गड़बड़ काम किये, झगड़ा-टंटा किया, उसी सम्‍पादक उसकी जिन्‍दगी लेकर भाग गया। न बीवी का पता चल रहा है और न ही सम्‍पादक का। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि अब वह पत्रकार अपनी बीवी को खोजने निकले, सम्‍पादक को मजा चखाने जाए या फिर इन दोनों की कुटम्‍मस के लिए अपने दोस्‍तों-असबाबों को एकजुट करे, अथवा सीधे पुलिस  थाने पर पहुंच कर अपनी थू-थू कराये। उसे भय है कि इस बात की खबर फैली तो लोग अपनी हंसी दबा कर उससे उल्‍टे मजा लेना शुरू कर देंगे।

फिलहाल तो खबर यह है कि आरके मिश्र नामक इस सम्‍पादक के खिलाफ उसके दोस्‍तों ने रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह दी है। हालांकि इस तरह सलाह देने वालों की भंगिमा साफ दिखती है, कि सलाह देने का उनका मकसद उसकी समस्‍या का समाधान करना नहीं, बल्कि उस का उपहास उड़ाना ही है। लेकिन कुछ ऐसे भी साथी हैं जो इस मामले में पुलिस से  बातचीत कर भी चुके हैं। लेकिन सबसे बड़ी दिक्‍कत यह सामने आ रही है कि आखिर इस मामले की रिपोर्ट किस धारा पर दर्ज कराया जाए। पुलिस ने सलाह दी है कि इसमें केवल धारा 294 धारा का ही मामला दर्ज हो सकता है जिसका अर्थ केवल आशनाई का है। लेकिन सबसे बडी दिक्‍कत यह है कि इस रिपोर्ट की दर्ज अगर भी कर ली जाए तो उस सम्‍पादक और उस पत्रकार की पत्‍नी को कहां खोजा जाए। उन दोनों का अतापता ही नहीं मिल पा रहा है। और फिर अगर उन दोनों को खोज भी लिया जाए तो चूंकि आशनाई का मामला जमानती है इसलिए उन्‍हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

खैर, हरदोई के पत्रकार इस बारे में बातचीत करने को तैयार ही नहीं है। उनको भय है कि अगर वे इस मामले में हाथ डालेंगे तो कल उनके गिरहबान तक दूसरे भी घुस  जाएंगे। वजह यह कि हरदोई के अधिकांश पत्रकार आकण्‍ठ फंसे हुए हैं। किसी न किसी का कोई न कोई मामला कहीं न कहीं में फंसा ही हुआ है।

लेकिन हम इस मामले में गहरी नजर रखे हैं। प्रतीक्षा करते रहिये।

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