“हर जिले का यही दुखड़ा, मंत्री की सुनते ही नहीं हैं अफसर”

बिटिया खबर

: सरकार को तेल लगाते रहे सारे अखबार, जागरण ने औकात जता दी : सचिवालय में सिर्फ कुंडली मारे बैठे रहते हैं दिग्‍गज अखबारों के आला अफसर : सरकारी प्रेस-नोट को खबर के तौर पर लत पड़ गयी है इन गंजेड़ी अखबारों को : दलाली पर आमादा मत रहा करो, फील्‍ड में जुटा रहे :

कुमार सौवीर

लखनऊ : योगी-सरकार के दूसरे कार्यकाल बीतने के बावजूद यूपी के हर जिले में सिर्फ एक ही दुखड़ा है। वह यह कि अफसर लोग बिलकुल कान ही नहीं देते हैं। आम आदमी के दर्द को यह अफसर इस तरफ सुनते हैं, तो उस तरफ फौरन निकाल देते हैं। ऐसी हालत में आम आदमी की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है।
यह दर्द विपक्ष के किसी नेता का हो, या फिर केवल आम आदमी तक ही सिमट गया हो, तो बात दीगर हो सकती है। लेकिन जब यह दर्द वह जाहिर कर रहा हो, जिस के कांधों पर सरकारी जिम्‍मेदारी दी हो, तो समझ लीजिए कि पानी सिर से ऊपर निकल चुका है। वह भी सांविधानिक जिम्‍मेदारी। जी हां, यह दर्द है योगी सरकार के मंत्रियों का और इसका खुलासा किया है दैनिक जागरण ने। दैनिक जागरण ने खुलासा किया है कि लगभग जिले की यही हालत हो चुकी है कि मंत्री की सुनते ही नहीं है सरकारी अफसर लोग।
यह तो खबर है कि दैनिक जागरण की। दरअसल, मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अपने सभी मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में जाने और वहां सरकार की छवि और वहां आम आदमी के प्रति सरकार के नजरिये का पता करने की जिम्‍मेदारी थी। कल यानी 10 मई को इन मंत्रियों ने योगी के सामने यह पूरा पुलिंदा पेश कर दिया। दैनिक जागरण ने इसी पर एक खबर लिख डाली। लेकिन प्रदेश के किसी भी अखबार ने इस खबर को सूंघने, चखने या उसे छू कर महसूस करने की तनिक भी जहमत नहीं उठायी। इन सारे अखबारों ने इन में से किसी भी मंत्री से यह जानने की जरूरत नहीं की, उनकी राय क्‍या है।
लेकिन इन सारे अखबारों ने केवल ही छापा, जो सूचना विभाग की ओर से सारे अखबारों को प्रेसनोट के तौर पर सौंपा गया था। जाहिर है कि इन सारे अखबारों ने सरकारी प्रेसनोट को बड़ी खबर पेश करते हुए सरकार को कर्मठ, निष्‍ठावान, सक्रिय और आम आदमी के प्रति पूरी तरह समर्पित मान लिया। चाहे वह अमर उजाला हो, हिन्‍दुस्‍तान अखबार हो या फिर नवभारत टाइम्‍स। सब के सब अखबारों के बड़े-दिग्‍गज पत्रकार-रिपोर्टर सचिवालय के ठंडे कमरों में सरकारी प्रेसनोट की प्रतीक्षा में पिनक में ऊंघते ही रहे।

मगर दैनिक जागरण ने सरकार ही नहीं, बल्कि अफसरशाही और इन सारे अखबारों को पूरी तरह नंगा कर दिया। जागरण ने मंत्रियों से बातचीत करने की जहमत फरमायी और उन द्वारा ऑफ द रिकार्ड की गयी बात को बिना उनके नाम के प्रकाशित कर दिया।

 

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