: एक साथ दो एडिशन बनाने पर दबाव बनाया था आउटपुट हेड ने : मो इकबाल की मौत भी इन्हीं हालातों में हुई थी :
दोलत्ती संवाददाता
इंदौर : प्रदेश के प्रतिष्ठित और 70 वर्ष पुराने अखबार में काम के तनाव में कल एक वरिष्ठ पत्रकार की जान पर बन आई। कोरोना काल के बहाने अखबारों में कर्मचारियों का जमकर शोषण हो रहा है। पुराने अखबार नईदुनिया में इसके बहाने कई कर्मचारियों को भगा दिया गया है। इसके चलते बचे हुए कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ गया है। प्रबंधन और संपादक बचे हुए साथियों से ही काम लेने का दबाव बना रहे हैं। ऐसा ही एक मामले में एक वरिष्ठ पत्रकार की जान पर बन आई।
जब आउटपुट हेड उज्जवल शुक्ला ने पीयूष दीक्षित को दो एडिशन एक साथ देखने को कहा तो पीयूष दीक्षित ने कहा कि एकसाथ इतना काम हो पाना संभव नहीं है। इस बात को लेकर पीयूष और उज्जवल शुक्ला में बहस हो गई। इसके कुछ देर बात पीयूष का ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया। साथियों ने दफ्तर के सोफे पर ही पीयूष को लिटाया और कपिश दुबे और समीर देशपांडे पीयूष के हाथ-पैर की मालिश करने लगे। इस बीच अचानक पीयूष की सभी शारीरिक हरकतें बंद हो गई और उन्होंने गर्दन भी एक ओर डाल दी। इस बीच आए वरिष्ठ साथी रामनाथ मुटकुळे ने अचानक उनके सीने पर हाथों से दबाव बनाया, जिसके चलते उनकी रूकी सांस लौटी। इसके बाद पीयूष को अस्पताल ले जाकर भर्ती किया गया।
काम का तनाव और दबाव अब पत्रकारों और गैरपत्रकारों की जान पर भी बन आया है। पिछले दिनों नईदुनिया मार्केटिंग के पुराने साथी मो. इकबाल की अचानक मौत हो गई थी। एक दिन पहले वे दफ्तर आए थे। बताया जाता है कि राजनीतिक विज्ञापन लाने को लेकर उन पर जमकर दबाव बनाया जा रहा था। साथियों का कहना है कि इसको लेकर वे बड़े तनाव में थे।
बहरहाल पीयूष दीक्षित की सेहत ठीक है। सभी ने साथी रामनाथ मुटकुळे के प्रयास की काफी तारीफ की। अस्पताल जाते समय पीयूष रोने लगे और साथियों को बोलने लगे कि मेरे छोटे बच्चे और बीबी हैं। उन्हें अपनी जान की नहीं अपने परिवार की अधिक चिंता लगी हुई थी।