: बिजली कारपोरेशन के टेंडर में मनमानी पर सवाल उठाया, तो एससी-एसटी एक्ट में फंसाने की धमकी : भ्रष्टाचार की खबर प्रकाशित करने पर बौखला पड़े अधीक्षण अभियंता : बोले कि हाईकोर्ट तक घसीट ले जाऊंगा, मगर अपना पक्ष रखने से बच रहे हैं इंजीनियर :
कुमार सौवीर
लखनऊ : टेण्डर घोटाले की खबर के प्रकाशन पर तिलमिलाए मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में तैनात एक अधीक्षण अभियंता अपना आपा ही खो चुके हैं। खबर पर अपना पक्ष देने के बजाय अब पत्रकार के सूत्रों का नाम व सबूत मांगने लगे हैं। इतना ही नहीं, उनकी धमकी है कि वे पत्रकारों की औकात जानते हैं। वे कहते हैं कि इस खबर को वे दलित-उत्पीड़न से जोड़ कर देख रहे हैं और अब इस पत्रकार और अखबार को मानसिक उत्पीड़न में हाईकोर्ट में घसीटकर उन्हें एसएसी-एसटी एक्ट तक में फंसा देंगे। हैरत की बात है कि इस इंजीनियर ने यह धमकी उस पत्रकार को बाकायदा उसके वाट्सऐप पर मैसेज भेज कर दे डाली है।
यह मामला है यूपीपीसीएल में तैनात एक सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर का। उपभोक्ता समाचार नामक एक समाचारपत्र में हाल ही एक खबर प्रकाशित की गयी थी, जिसमें कहा गया था कि शासन की आखों में घूल झोंकने की तैयारी चल रही है लेकिन उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के बड़े अफसर ऐसे मामलों पर बेखबर हैं। पिछली चार मार्च को इस अखबार ने लिखा था कि एक तरफ तो पूरा सरकारी अमला चुनाव को ले कर पसोपेश मे चल रहा है प्रधान मंत्री से लेकर मुख्य मंत्री तक सभी चुनावी समर मे व्यस्त है वही उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के बडकऊ छोटी बातो पर नौकरी से निकलने की सजा देने वाले मध्यांचल विद्युत वितरण पर आखिर विशेष कृपा क्यो है ? खबर के अनुसार सूत्र बताते है कि मध्यांचल डिस्कॉम मे बैठे त्रिदेव के विशेष कृपा पात्र मुख्य अभियन्ता लखनऊ जोन जिनको उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन की पिछली प्रबन्ध निदेशकशिका महोदय द्वारा पूर्वांचल भेजा गया था और उनको वहा भी मुख्यालय से सम्मानित रखा गया था कोई भी चार्ज नही दिया गया उनके हटते ही अपने साम दाम की नीति की वजह से पदोन्नति हासिल कर लखनऊ के सेस लेसा के सर्कल पांच मे बिना लखनऊ आये ही पदासीन हो गये थे। यहाँ आते ही अपने कारनामे दिखाने लगे थे और खूब नाम कमाया था तत्पश्चात लखनऊ जोन के मुख्य अभियन्ता लखनऊ जोन की पक्की कर ली थी।
समाचारपत्र के अनुसार यहाँ पर भी लूट का खेल जारी करते हुए आजकल तो जनाब ने एक व्यक्ति विशेष की फर्म विशेष को गंगा एक्सप्रेस वे के बडे निविदा देने की तैयारी कर रखी है। गंगा एक्सप्रेस वे यूपीडा के अधीन आता है। सूत्र बताते है कि टेण्डर नम्बर 111, 112, 113 / 2021-22 का पार्ट एक खोला गया जिसमे कोई भी प्रतिभागी निविदा मे उल्लेखित शर्तो को पूरा नही कर पा रहे थे। परन्तु एक व्यक्ति विशेष की फर्म को काम देने के लिए निविदा का पार्ट दो भी खोला गया और इसके बाद खानापूर्ती करने के लिए सभी प्रतिभागियो को पत्र के माध्यम से कमी बताई जा रही है। अखबार में आरोप लगाया गया है कि यह पूरा खेल रचा गया उस ठेकेदार के लिए जो कि पारेषण निगम मे भी बडा ठेकेदार है मध्यांचल में। परन्तु आश्चर्य की बात है छोटी छोटी गलतियों बड़ी कार्यवाही को अंजाम देने वाले शक्तिभवन में बैठे अवैध रूप से नियुक्त बड़के बाबू क्या इस घोटाले से बेखबर हैं। समय का उपभोक्ता समाचार को सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बड़े खेल को अंजाम तक पहुचाने की सारी तैयारियां भ्रष्टाचारियो द्वारा पूरी की जा चुकी है।
बस इसी खबर के छपते ही यह इंजीनियर आपा से बाहर निकल पड़े। वे चाहते थे कि यह पत्रकार इन सबूतों का स्रोत बता दे। ऐसा कर पाने में असमर्थ इस अखबार के संपादक अविजित आनंद को दलित उत्पीड़न में फंसा देने की धमकी तक दे दी इस इंजीनियर ने। हैरत की बात है कि इस अधीक्षण अभियंता ने अपनी इस धमकी को उस पत्रकार के वाट्सऐप मैसेज सर्विस पर भी बाकायदा लिख कर भेज दी। अब यह पत्रकार अविजित आनंद ज्यादा जडि़यल निकला, फोन पर बातचीत के दौरान उसने उस अधीक्षण अभियंता को दो-टूक जवाब दे दिया कि तुमसे जो हो पाये, कर लेना। कानून और संविधान हम भी जानते हैं, तुम इंजीनियर से भी ज्यादा। अगर आप इसी तरह झूठी धमकियां देंगे, तो हम आपको कोई जवाब नहीं देंगे। आपको इस मामले में जो भी पक्ष रखना हो, तो वह हमारे संस्थान तक भेज दीजिए, हम उसे प्रकाशित जरूर कर देंगे। लेकिन धमकियां कत्तई बर्दाश्त नहीं करेंगे।