अपने ऐसे “नौकरों” से अगले सीएम को भगवान बचाये

बिटिया खबर

: आज कौन जमीन सूंघेगा या कौन होगा शाहंशाह, उससे ज्‍यादा जरूरी है कि वे अपने गिरहबान में झांकें : क्‍या योगी और क्‍या अखिलेश, अपने नौकरों पर अति-विश्‍वास से ही लुटिया डूबी : अगर योगी ही यूपी को सम्‍भालेंगे, तो फिर उनके पिछले पांच बरसों का लेखाजोखा पर दोलत्‍ती रसीद करेंगे जरूर हम :

कुमार सौवीर

लखनऊ : इस वक्‍त आज दो लोग सबसे ज्‍यादा उद्ग्नि होंगे। मायावती तो अपने पिछले मुख्‍यमंत्रित्‍व में मिली नोटों की मालाओं के मनकों को छूने, सूंघने में व्‍यस्‍त होंगी, लेकिन सबसे ज्‍यादा बेचैन तो होंगे अखिलेश यादव और योगी आदित्‍यनाथ। यह दोनों ही लोग वोटों की गिनती को लेकर बेहाल होंगे। यह दोनों ही लोग अपनी जीत को लेकर आश्‍वस्‍त होंगे। सपने बुनने में व्‍यस्‍त होंगे। जाहिर है कि उनके-उनके समर्थक भी अपने आकाओं की जीत को लेकर अपना ब्‍लड-प्रेशर बढ़ा रहे होंगे। आज कौन जमीन सूंघ कर मठ की ओर अपनी रवानगी दर्ज करायेगा या कौन रोडवेज की बस पर अपनी सायकिल बांध कर सैफई की ओर मजबूर हो जाएगा, यह आज सबसे बड़ा सवाल है जिसका खुलासा बस चंद घंटों में ही हो जाएगा।
लेकिन आज कौन बन जाएगा यूपी का शाहंशाह, इसका फैसला तो अखिलेश, योगी और उनकी जयजयकार करने वालों के अब तक के जीवन के हुए कृत्‍यों के हिसाब के लिए साक्षात शनि भगवान ही सक्रिय होंगे। शनि यानी किसी भी व्‍यक्ति के कर्मों को जांचने, परखने और उसके अनुरूप फैसला करने वाला देवता। शनि से बड़ा कोई भी नहीं होता है न्‍याय का देवता। लेकिन फैसले के पहले और उसके बाद भी योगी और अखिलेश के लिए यह सबसे ज्‍यादा जरूरी है कि वे अपने अतीत में दर्ज गिरहबान में झांकें। सच तो यही है कि क्‍या योगी और क्‍या अखिलेश, अपने नौकरों पर अति-विश्‍वास करने से ही उनकी लुटिया डूबी है। चाहे वह यूपी का मुख्‍य सचिव रहा हो, डीजीपी रहा हो, या फिर एक छुटभैया दारोगा, सब तो नहीं लेकिन अधिकांश पर भी जिसने विश्‍वास किया है, उसने ही यूपी में उसके जनाधार को घिसा या तोड़ा है। और चाहे वह योगी रहे हों या फिर अखिलेश, उनकी आज वाली बेचैनी का मूल कारण उनके राज में दिग्‍गज माने गये नौकरों की करतूतें ही रही हैं।
तो पहल शुरू की जाए अखिलेश यादव के पिछले कार्यकाल से। सबसे शर्मनाक करतूत तो उस दौरान तब के मुख्‍य सचिव रहे आलोक रंजन ने की थी। अपनी बहू के ऐट-होम समारोह में उपहार-स्‍वरूप मिले डेढ़ करोड़ रुपयों के एक बेशकीमती हार की चोरी पर जो आलोक रंजन ने हंगामा मचाया था, वह इतिहास से परे रहा है। अपने घर में अवैध रूप से रखे गये दो सरकारी कर्मचारियों को इस चोरी के इलजाम में आलोक रंजन ने लखनऊ के बाहरी थानों में बंद कर पुलिस और एसटीएफ लगा कर लगातार प्रताडि़त किया, उसकी कोई नजीर ही नहीं है। इतना ही नहीं, सूत्र बताते हैं कि तब लखनऊ के एसएसपी राजेश पांडेय को सरेआम भद्दी गालियां देकर अपमानित किया और आखिरकार राजेश पांडेय को उन को लखनऊ से बाहर पटक दिया था। इसके पहले भी आलोक रंजन ने अपनी पत्‍नी की ब्‍यूटी-पार्लर चलाने वाली युवती को तनिक सी बात पर इतना प्रताडि़त किया, था कि उसके पति की ही मृत्‍यु हो गयी। आलोक रंजन ने उस युवती के गोमती नगर वाले घर की बिजली काट दी, उसके घर की सीढि़यां तोड़ दीं और चौहद्दी तक ऐसी कर दी कि वहां न तो कोई जा सकता था, और न कोई पहुंच सकता था। ऐसे कई कृत्‍य आलोक रंजन पर दर्ज हैं, जिसमें आलोक रंजन ने अपनी अफसरशाही का भयंकर दुरुपयोग कर आम आदमी का जीना हराम कर दिया।
दूसरा आपराधिक कृत्‍य किया अखिलेश यादव के करीबी आईपीएस अफसर नवनीत सिकेरा ने। सिकेरा तब लखनऊ का एसएसपी बनाये गये थे। मोहनलाल गंज के बलसिंह खेड़ा वाले सरकारी प्रायमरी स्‍कूल में एक युवती की नंगी और खून से सनी हुई एक लाश मिली थी। पहली ही जांच में नवनीत सिकेरा ने उस कांड पर नया-नया कांड करना शुरू कर दिया था। इसमें तब के गृह विभाग के प्रमुख सचिव डीके पांडा और महिला सुरक्षा प्रकोष्‍ठ की अपर पुलिस महानिदेशक सुतापा सान्‍याल ने जो करतूतें की, वह पूरी तरह अविश्‍वसनीय ही रहीं। करतूतों का लहजा ही बताता रहा कि इस हत्‍या में कई बड़े-बड़े लोग शामिल रहे हैं। वैसे भी अलंकृता सिंह नामक एक आईपीएस अफसर ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो योजना बनायी थी, उसे छीन कर नवनीत सिकेरा ने 1090 के तौर पर हड़प लिया और खुद को उसका मुखिया बनवा लिया। अलंकृता आजकल डायल नामक किसी सर्विस पर धकेली हुई हैं।
अखिलेश यादव के ही कार्यकाल में शाहजहांपुर के एक पत्रकार जागेंद्र सिंह को जिन्‍दा फूंक दिया गया, जिसमें यूपी के बड़े दिग्‍गज अफसर और एक बड़े पत्रकार ने बिचौलिया के तौर पर उस हत्‍या में शामिल सरकार के मंत्री और पुलिसवालों को बचाया। इसमें मोटी रकम भी अदायगी में हुई। कमीशन बढ़ाने के लिए एक आईएएस ने बुलंदशहर में एक ईंट से दूसरी ईंट तोड़ कर हंगामा किया, एक अखबार के दफ्तर पर कूड़ा का अम्‍बार लगाया। खनन का सबसे बड़ा घोटाला अखिलेश के दौर में हुआ। मुंहलगे अफसरों की गुंडागर्दी की हालत तो यह रही कि सुल्‍तानपुर की डीएम रही के धनलक्ष्‍मी से पूरे दौरान एक भी विधायक मिलने नहीं गया। अरुण कुमार मिश्र जैसे इंजीनियर की करतूतों से तो सब भिज्ञ ही होंगे। ऐसी-ऐसी गुंडागर्दी की है सपा-राज में अफसरों ने, कि पूरे प्रदेश के रोंगट खड़े हो गये।
तो स्‍वस्‍थ लोकतंत्र का तकाजा तो यही है कि संविधान की रक्षा के लिए सरकारों के ताज बदल दिये जाएं। यानी योगी राज के बजाय अब अखिलेश को ही तख्‍तोताऊस दिया जाए। महंथ अब अपने मठ में जाए, ताकि अपनी पराजय का लेखाजोखा देखें और उस पर मनन करें। लेकिन अगर इस बार योगी ही यूपी को सम्‍भालेंगे, तो फिर उनके पिछले पांच बरसों का लेखाजोखा पर हम दोलत्‍ती रसीद करेंगे जरूर।

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