गुद्दी नहीं, दिमाग में होती है अहीर की बुद्धि

दोलत्ती

: कोरोना पर सुनील यादव और मनोज यादव की सलाह बेमिसाल थी : : अब बाकी लोग बताएं कि उनकी बुद्धि उनके किस हिस्‍से में उगती है :
कुमार सौवीर
लखनऊ : अहीर की बुद्धि गुद्दी में नहीं, उसके भेजे में होती है। लेकिन बाकी लोगों की बुद्धि कहां होती, यह सवाल तो पूरे धार्मिक, जातीय और आर्थिक-राजनीतिक समूहों से जुड़े लोगों को खोजना चाहिए।
कोरोना वायरस। आजकल सर्वनाश कर देने पर आमादा मौत का दूसरा नाम बन चुका है यह शब्‍द। पूरा देश ही नहीं, पूरी दुनिया दहल गयी है। लोग एक-दूसरे से दूरी बनाए हैं। एक-दूसरे के प्रति संशय, आशंका और एक अनजाने भय-डर से यह कोरोना बेतरह सहमा हुआ है। इतना ही नहीं, यह हालत छुआछूत तक पहुंच गई हैा हर व्यक्ति घर के भीतर छुपा है, दुख के साथ डरा हुआ है। किसी की समझ में ही नहीं आ रहा कि वह क्या करे, और ना क्या करें।
आम जनता के पास न कुछ करने का कोई रास्ता है और ना ही कोई क्षमता। लेकिन जो लोगों पर कोरोना को रोकने की कोशिश करने का जिम्‍मा है, वे इस दिशा में क्या कर रहे हैं, यह भी समझ में नहीं आता। और अगर समझ में आता है तो उसे आम आदमी के सामने लाया नहीं जा रहा। हालत यह है कि घटनाएं केवल वही तक ही सिमट कर रही है जहां पुलिस वाले सड़क पर लोगों को पीट रहे हैं, जो अपने बीमार परिवारीजनों या पड़ोसियों के लिए दवा लेने निकले हो, भोजन का जुगाड़ करने गए हों या अपने अपने परिवार या अपने आत्मीयजनों और पड़ोसियों के सुख-दर्द के साथ खड़े होकर घर से बाहर निकले हों।
दर्दनाक हालात हैं। लेकिन इस माहौल में भी सरकारी अफसरों का रवैया कुछ मामलों में बेहद शर्मनाक और अमानवीय ही नहीं बल्कि असंवेदनशील भी है, जहां इंसानियत की कोई गुंजाइश नहीं होती। पूर्वांचल के एक जिलाधिकारी ने तो मूर्खता, लापरवाही और निकृष्‍टता की सीमाएं ही तोड़ दीं। अपनी आखिरी सांस से जूझ रहे कैंसर-पीड़ित पिता अपने बेटे को बनारस के बीएचयू अस्पताल तक पहुंचाने के लिए वाहन पास लेने डीएम पास पहुंचा, लेकिन डीएम ने बिना पूरी बात सुने हुए उस बीमार बच्‍चे के पिता को डांट कर भगा दिया। अब ऐसे अफसरों के बल पर कोरोना से युद्ध कैसे लड़ा जा सकता है, जिनमें इतनी लापरवाही की काई जमी हो। एक डीएम की शोहरत अपने काम से नहीं, जहां-तहां लोगों से पहाड़ा सुनाने की शक्ल तक सिमट गई है। ऐसी हालत में आम आदमी के घावों पर मलहम कौन लगाएगा, यह सवाल अबूझ है।
एक डीएम के बारे में तो सामान्य चर्चा है कि वह यह भी नहीं जानते कि उनके जिले में कितने लोगों में कोरोना-वायरस संक्रमण मिला है, कितने प्रवासी भारतीय उनके जिले में आए हैं और उनमें से कितने प्रवासी की जांच अब तक क्यों नहीं हो पाई। उधर हालत यह है निजी डॉक्टर अपने जिले में पसरती जा रही इस विभाषिका को थामने के लिए फील्ड पर उतरने को तो तैयार है लेकिन उसके पास आवश्यक सुरक्षा साधन तक नहीं है। एक आईएमए पदाधिकारी ने पूछा कि क्या उन्हें ऐसी कोई सुविधा दी जा सकती है जहां वे गांवों तक पहुंच कर पीडि़तों जांच और पहचान कर सकें। और इस तरह प्रशासन व सरकार के साथ कदमताल कर सके, डीएम ने हाल ही एक समारोह में मिली अपनी पगड़ी के अंदर उंगली घुसेड़ कर खुजली मिटाते हुए बेहयाई से जवाब इनकार में दिया।
लेकिन ऐसी हालत में यूपी में कम से कम दो लोग ऐसे जरूर हैं जो इस पूरी बीमारी को थामने और संक्रमण को रोकने के नए तरीके खोज रहे हैं या सुझा रहे हैं। इनमें से एक हैं सुनील यादव। सुनील यादव उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष रह चुके हैं और उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। दूसरे हैं जौनपुर में मछलीशहर इलाके में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉ मनोज यादव। सुनील यादव और डॉ मनोज के पास भी ऐसा नायाब तरीका है जिसे बेहतर तरीके से इस समस्या को एक हद तक सुलझाया जा सकता है।
अभी हाल ही दोलत्‍ती डॉट कॉम ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकार और प्रशासन को सुझाव दिया था कि चूंकि बाहर से आने वाले या स्‍थानीय तौर पर संक्रामित लोगों को स्थान के लिए भारी दिक्कत हो रही है, ऐसी हालत में ऐसे लोगों को कोरंटाइन कर उन्‍हें संक्रमण मुक्त करने के लिए निजी क्षेत्र के अस्पतालों और निजी स्कूलों और कॉलेजों का अधिग्रहण किया जा सकता है। लेकिन सरकार ने इस बारे में कोई कार्रवाई की कोई जरूरत नहीं समझी। लेकिन सुनील यादव और मनोज यादव के सुझाव के दिए गए सुझाव अगर अमल में लाया जाए तो समस्या का एक बड़ा हिस्सा सुलझाया जा सकता है। और हैरत की बात यह है यह सुझाव सुनील यादव ने पिछले 16 मार्च को ही दोलत्‍ती संवाददाता से बातचीत में बताया था। जबकि जौनपुर वाले डॉक्टर मनोज यादव ने अपनी यह सलाह 23 मार्च को दी थी।
सुनील यादव ने बहुत पहले ही सोच लिया था कि कोरोना-वायरस पूरी दुनिया में तो आतंक मचा ही रहा है, भारत में भी उसे अगर समय रहते नहीं थामा गया तो हालत भयावह हो जाएगी। ऐसी हालत में सुनील यादव की सलाह थी कि सभी सरकारी अस्पतालों में होने वाली ओपीडी तत्काल बंद कर दी जाए और उसकी जगह पर केवल इमरजेंसी सेवाएं ही चलाई जाएं। सुनील यादव का कहना था कि इस तरह प्रशासन और अस्पतालों को कोरोना मरीजों को संभालने और उनका इलाज करने मैं जबरदस्त सहूलियत होगी। यह एक दूरदर्शी सलाह थी, लेकिन सरकारी नीति-नियंताओं, अफसरों और बड़े डॉक्टरों ने भी इस बारे में बहुत गंभीरता से नहीं लिया। हालांकि बाद में प्रशासन ने सरकार के निर्देश पर यह फैसला कर दिया था। लेकिन अगर यही फैसला 16 मार्च के आसपास लागू कर दिया होता तो इस बीमारी की भयावहता को तत्काल थामा जा सकता था
उधर 23 मार्च को जौनपुर के जिला प्रधान संघ के अध्यक्ष और निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर मनोज कुमार यादव ने दोलत्‍ती संवाददाता से बातचीत के दौरान यह चिंता जताई थी। उनका कहना था कि जौनपुर में भारी संख्या के लोग देश-विदेश में बसे हुए हैं। उनका कहना था 23 मार्च तक जौनपुर में ढाई हजार से ज्यादा विदेशी प्रवासी भारतीय अपने घर वापस जौनपुर लौट आए हैं। इतना ही नहीं, करीब 25000 वे प्रवासी भी पिछले हफ्ते के दौरान घर लौटे हैं जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में रह रहे थे। डॉ मनोज यादव का मानना था कि यह आमद जौनपुर ही नहीं, बल्कि आसपास के पूर्वांचल प्रदेश और देश के लिए भी बहुत गंभीर हो सकती है। और इस आमद को तत्काल रुकना चाहिए बाहर से जो भी लोग बाहर से लौटे हैं उन्हें तत्काल को कोरंटाइन किया जाना अनिवार्य होगा।
इसके लिए मनोज यादव की सलाह थी कि चूंकि जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत के पास न्याय पंचायत भवन होता है। इसके अलावा एक से अधिक सरकारी स्कूल भी होते हैं। ऐसी हालत में भवनों को तत्काल प्रशासन अपने कब्जे में ले ले और बाहर से जो भी प्रवासी कोरोना से संक्रमित पाया मिले उन्हें न्याय पंचायत भवन और सरकारी स्कूलों में तत्काल भर्ती कर दिया जाए। और इसके सुरक्षा निगरानी की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत पदाधिकारियों के साथ ही साथ ग्राम विकास अधिकारी, पंचायत विकास अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी दे दी जाए। मनोज का कहना था कि इसके बिना इस समस्या की भयावहता को रोकने का कोई दूसरा तरीका नहीं हो सकता है।
लेकिन सुनील यादव या मनोज यादव की ऐसी सलाहों पर सरकार या प्रशासन ने गम्‍भीरता से लिया ही नहीं, और अब यह बीमारी खुद ही समाज के लिए एक भयावह बन चुकी है।

6 thoughts on “गुद्दी नहीं, दिमाग में होती है अहीर की बुद्धि

  1. प्रणाम ,
    क्या गजब का हेडिंग है । hahaha
    हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया,
    हम जनता की इस दुख की घड़ी में हर कदम उसके साथ हैं सर ।

  2. सरकार की इस हीला-हवाली का खामियाजा आज आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है।
    देश की केन्द्र सहित अन्य अधिकांश राज्य सरकारें कोरोना की आड़ में थाली-ताली दिया-दियाली शंख-पटाखे जलवा-बजवा-दगवा कर अपनी चुनावी नींव मजबूत करने से बाज नहीं आ रही है। ऐसे में सुनील यादव जी ,मनोज कुमार यादव सरीखे तमाम समाजसेवियों की आवाजें इन भ्रष्टाचारी-घोटालेबाज सफेदपोशों-नौकरशाहों सरीखों के कानों में भला कैसे सुनाई देंगी???
    सौ बात की एक बात…सत्ता की चाबी इन कलयुगी सफेदपोशों के हाथों में रहनी चाहिए बाकी जनता जनार्दन जाए चूल्हे भाड़ में इन भ्रष्टाचारी-घोटालेबाज सफेदपोशों-नौकरशाहों की बला से…

  3. सरकार फिसड्डी साबित हुई है।पहले हवाई जहाज से लोगों को आने दिया फिर धीरे धीरे लोगों को घर।lockdown का तमाशा बनाया फर्जी पढ़े लिखे नेताओं ने।फिलहाल यादव द्वय भाइयों के लिए तालियां, खबर के लेखक सौवीर सर को भी बधाई👏👏👏

  4. सरकार फिसड्डी साबित हुई है।ट्रम्प की आगवानी में लगे थे, जबकि घुस गया कुछ और ही। पहले हवाई जहाज से लोगों को आने दिया फिर धीरे धीरे लोग गाँव पहुँचे।घरबन्दी का तमाशा बनाया ।फर्जी पढ़े लिखे नेताओं ने।फिलहाल यादव द्वय भाइयों के लिए तालियां, खबर के लेखक सौवीर सर को भी बधाई👏👏👏

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