कोरोना से भूखों मर रहे हैं वकील, कुछ चिल्‍हर ही दे दो

दोलत्ती

: इलाहाबाद बार एसोसियेशन के नये अध्‍यक्ष ने सरकार से मांगा पचास करोड़ रूपया : गरीब तबका रोटी देने को तैयार, वकील छीनने पर आमादा : याचिका पर हाईकोर्ट का ठेंगा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : निर्ममता और निष्‍ठुरता एक बहुआयामी शब्‍द होता है, और उसके क्रियान्‍वयन के कम से कम दो भाव होते हैं। एक निर्ममता और निष्‍ठुरता तो कोई अपराधी निजी स्‍वार्थ के आधार पर करता है, जबकि दूसरी प्रवृत्ति की निर्ममता और निष्‍ठुरता का प्रदर्शन सत्‍ता का सुरक्षा संगठन मसलन पुलिस और सेना ही नहीं, बल्कि आम तौर पर मां करती है।
लेकिन जब किसी आपात काल या आपदा के चलते पूरे समाज और राष्‍ट्र ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर मौत का साया मंडरा रहा हो, और ऐसी हालत में वकीलों जैसा समाज का जिम्‍मेदार संगठन उस समस्‍या के समाधान में अपनी सहभागिता निभाने के बजाय अपनी रोटी जुटाने ही नहीं, बल्कि रोटी को भविष्‍य के लोगों से रोटी मांगने का जुगाड़ कर रहा हो और उसके लिए बाकायदा भीख मांगने लगा हो, तो उसे तो निर्ममता और निष्‍ठुरता की पराकाष्‍ठा वाले शब्‍दों से भी परे समझा जा सकता है।
ऐसी ही निर्ममता और निष्‍ठुरता का प्रदर्शन कर लिया है इलाहाबाद के बार एसोसियेशन के नवनिर्वाचित अध्‍यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने। उन्‍होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि कोरोना वायरस से वकीलों की रोजी-रोटी का भारी संकट आ गया है और वे भुखमरी की हालत तक पहुंच चुके है। वे चाहते हैं कि यूपी की गम्‍भीरतम और जन-कल्‍याणकारी सरकार कोरोना वायरस की गम्‍भीरता से उपजी इस गम्‍भीरतम बदहाली की गंभीरता को पूरी गम्‍भीरता के साथ गम्‍भीरपूर्ण तरीके से समझने की गम्‍भीरतम कोशिश करे। मकसद यह है कि इस गम्‍भीर मामले में ऐसी गम्‍भीरता का प्रदर्शन किया जाए जिससे गम्‍भीर समाज और गम्‍भीर सरकार को इस गम्‍भीर समस्‍या का गम्‍भीर समाधान करे। मकसद यह है कि मामले की गम्‍भीरता को पूरी गम्‍भीरता के साथ गम्‍भीर ढंग से पेश कर गम्‍भीर भुखमरी से जूझ रहे गम्‍भीर वकीलों की रोजी-रोटी का गम्‍भीर आर्थिक इलाज किया जा सके।
इलाहाबाद बार एसोसियेशन के अध्‍यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने यह पत्र यूपी सरकार तक नहीं पहुंचा है। इतना ही नहीं, सरकार के साथ ही साथ यूपी बार कौंसिल, भारतीय बार कौंसिल और एडवोकेट कोष को भी भेज दिया है। हालांकि सच बात यह है कि यह पत्र अब तक न तो यूपी बार कौंसिल तक पहुंचा है और न ही इंडियन बार कौंसिल या एडवोकेट कोष तक पहुंचा है। न जाने क्‍यों। लेकिन इस विलम्‍ब का कारण तो शायद यही हो सकता है कि इस पत्र के प्रति जिम्‍मेदार संगठन अपनी गम्‍भीरता का प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।

ज्ञातव्‍य है कि लखनऊ हाईकोर्ट की पिछली अवध बार एसोसियेशन भी अपने फैसलों को लेकर काफी चर्चित और आरोपों में घिरी रह चुकी है। हैरत की बात है कि पिछली बार एसोसियेशन के अध्‍यक्ष रहे आनंद मणि त्रिपाठी और महासचिव रहे बालकेश्‍वर पर बार एसोसियेशन के खजाने को गैरकानूनी ढंग से निकालने के आरोप लगा चुके है। इतना ही नहीं, कई अन्‍य गम्‍भीर आरोपों के अलावा एक आरोप तो यह तक लग चुका है कि इस बार एसोसियेशन के पदाधिकारियों ने एक सदस्‍य को बार कार्यालय में जबरन बुला कर उसे दफ्तर में जमकर उसकी पिटाई भी करा दी थी।
बहरहाल, कानपुर के एक वकील पवन कुमार तिवारी ने भी कोरोना से भुखमरी से बेहाल और त्रस्‍त कानपुरी वकीलों की आवाज उठायी है। भुखमरी और अभाव से बिलबिला रहे वकीलों की आंखों से भलभला कर निकल बाकायदा गंगा-जमुना की तरह धारा बना रहे आंसुओं से द्रवित होकर इस पवन तिवारी ने अपनी याचिका में लिखा है कि जब अदालत खुली रहती है तो वकील लोग अपनी हल्‍की-फुल्‍की रोजी-रोटी का जुगाड़ कर ही लेते हैं। लेकिन कोरोना के चलते बंद अदालतों से इन वकीलों की तो बाकायदा पुंगी ही बज गयी है। उनको फौरन आर्थिक देना समाज, राष्‍ट्र और मानवता के लिए अनिवार्य दायित्‍व है।
लेकिन पवन की इस अश्रुपूरित और झारोझार आंसुओं से सराबोर इस याचिका को पोंछने से हाईकोर्ट ने मना कर दिया है।
लेकिन इस याचिका पर जो बकवास हिन्‍दुस्‍तान और दैनिक जागरण अखबार ने छापी है वह अपने आप में निहायत शर्मनाक और बेहूदी है। जागरण और हिन्‍दुस्‍तान ने यह बकवास दो कॉलम जैसे भारी स्‍पेस में यह मूर्खताओं का प्रदर्शन करते हुए प्रकाशित की हैं। ऐसे वक्‍त में समाज का निर्बलतम आम आदमी इलाज और भोजन के लिए बेहाल है, वकीलों के सबसे बड़े संगठन यानी इलाहाबाद बार एसोसियेशन के अध्‍यक्ष के तौर पर एलीट और बेहद गम्‍भीर माने जाने वाले अधिवक्‍ताओं की यह मांग अपने आप में बेहद अमानवीय और शर्मनाक है। उधर वर्तमान हालातों में पूरी तरह अमानवीय बन चुकी इस याचिका को खबर बना कर छापने वाले विधि संवाददाता ने सारी बकवासें तो ठूंस कर भर डाली हैं, लेकिन यह तक जिक्र करने की जरूरत नहीं समझी कि इस याचिका की मांग किस संस्‍था से मांगा जाना है।

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