: है ना कितने शर्म की बात, धर्म है शिक्षक का और करतूतें घिनौनी : महान शिक्षालयों में बड़े सामाजिक शोध केंद्र के चेहरे पर कालिख पोत रहे हैं बड़े शिक्षक : मामला दबाने के लिए बड़े-बड़े अधिकारी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, स्त्री सुरक्षा और मानवाधिकार के ठेकेदार ही नहीं बड़े-बड़े राजदूत और राजनयिक जैसे कद्दावर लोग पैरवी में जुटे :
कुमार सौवीर
लखनऊ :( गतांक से आगे) यह मामला है भारत सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त उपक्रम से संचालित हो रहे एक बड़े महान शोध संस्थान का, जो सामाजिक विषयों के पेंचीदा मसलों को सुलझाने के लिए शोध करने के लिए स्थापित किया गया है। नाम है गिरी इंस्टिच्यूट ऑफ सोशल साइंसेज। लेकिन आज यह संस्थान अपने इस दायित्व को लेकर शोहरत नहीं कमा रहा है, बल्कि उसके नाम का डंका तो यहां के निदेशक के क्रियाकलापों को लेकर बज रहा है, जिसमें एक बच्ची के साथ निदेशक के दुराचरण का मामला है।
जी हां, गिरि इंस्टीच्यूट के निदेशक प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने करीब साढ़े चार बरस तक अपनी एक नाबालिग बच्ची के साथ दुराचरण किया। इस बच्ची के पिता इसी संस्थान में संविदा के तहत मात्र दस हजार रूपया मासिक पारिश्रमिक पर यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। इस बच्ची की मां लम्बे समय से गम्भीर रूप से बीमार है। घर की हालत को सुधारने की कोशिश के तहत इस बच्ची ने निदेशक प्रोफेसर सुरेंद्र शर्मा के घर नौकरानी का काम सम्भाला था। लेकिन अब इन दोनों के बीच रिश्ता इतना खट्टा हो गया कि पहले तो पुलिस में शिकायत हुई, लेकिन उसके बाद प्रोफेसर सुरेंद्र ने एक सुलहनामा तैयार कर पूरे मामले को ही पलट डाला।
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प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम ने जब इस मामले पर खबरें प्रकाशित करने की शुरू कीं, तो हड़कम्प मच गया। मामला दबाने के लिए बड़े-बड़े अधिकारी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, स्त्री सुरक्षा और मानवाधिकार के ठेकेदार ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े राजदूत और राजनयिक जैसे कद्दावर लोग भी प्रोफेसर सुरेंद्र शर्मा के पक्ष में जुट गए।
सूत्र बताते हैं कि प्रो शर्मा ने अपने घर काम करने वाली एक बच्ची के साथ नाजायज और आपराधिक सेक्सुअल एक्टिविटी की शुरूआत तब की, जब वह करीब 17 बरस की थी। हरियाणा के रहने वाले हैं प्रो सुरेंद्र, और हरियाणा विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान के हेड तथा प्रोफेसर भी रह चुके हैं। प्रो शर्मा द्वारा इस नौकरानी बच्ची से दुराचरण का मामला जब खुलने लगा तो, बड़े-बड़े महान सामाजिक और दिग्गज शिक्षक तक पूरा मामला घोंटने में जुट गये।
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