मुम्बई में शराबियों में फिर ठुमका लगायेंगी बार-गर्ल्स

बिटिया खबर

सर्वोच्च‍ न्यायालय  का फैसला, महाराष्ट्र में गुलजार होंगे बार

: सन-05 में महाराष्ट्र  सरकार ने लगायी थी बार पर पाबंदी : फैसले पर कड़ी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गयीं : अपराध का बड़ा अड्डा बन चुके थे डांस बार :

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट पूरे महाराष्ट्र में डांस बार को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए डांस बार को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि साल 2005 में महाराष्ट्र सरकार ने डांस बार पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर से डांस बार खुलने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डांस बार खोलने वालों को अब नए सिरे लाइसेंस लेना होगा।

हालांकि सर्वोच्चक न्यालयालय के इस आदेश पर कड़ी प्रतिक्रियाएं शुरू हो गयी हैं। नैतिक तौर पर ऐसे गर्ल्सु-बार को महिला सशक्तिकरण की दिशा में कलंक माना जा रहा था। इतना ही नहीं, यहां होने वाली अवैध और अनैतिक गतिविधियों को समाज ने पूरी तरह से खारिज कर रखा था। कारण यह कि ऐसे बार माफियों और अपराधिक गतिविधियों के केंद्र बनते जा चुके थे।

लेकिन आपको बता दें कि महाराष्ट्र के तात्कालीन उप मुख्यमंत्री आरआर पाटिल ने राज्य के सभी डांस बारों पर पाबंदी लगा दी थी। 2006 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री आर.आर. पाटिल ने राज्य के सभी होटेलों, बीयर बार और अन्य छोटे रेस्त्ररां में डांस पर पाबंदी लगा दी थी। इस आदेश से डांस बार में काम करने वाली हजारों लड़कियां और कर्मचारी बेरोजगार हो गए थे। पाटिल ने राज्य के सभी होटलों, बीयर बार और परमिट रूम में डांस पर पाबंदी लगा दी थी। एक अनुमान के मुताबिक इस पाबंदी के बाद करीब 75,000 बार गर्ल्स बेरोजगार हो गई थीं। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सरकारी पाबंदी को निरस्त कर दिया था, लेकिन उस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर आज फैसला सुप्रीम कोर्ट सुनाया।

इसके पहले पाटिल की दलील थी कि डांस बार के लिए लड़कियों की तस्करी की जाती है। डांस बार के मालिक लड़कियों का आर्थिक और शारीरिक शोषण करते हैं। इससे देह व्यापार को बढ़ावा मिलता है। डांस बार पर पाबंदी लगाने के राज्य सरकार के फैसले के बाद डांस बार में काम करने वाली हजारों महिलाएं और कर्मचारी बेरोजगार हो गए थे। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। 12 अप्रैल 2006 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बार डांसरों के हक में फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले को गैरकानूनी ठहराते हुए कहा कि इस फैसले से संविधान के अनुच्छेद 14 और 19-1 (G) का उल्लंघन होता है। इस तरह की पाबंदी, होटल मालिकों और डांसरों के व्यवसाय करने की आजादी को रोकता है जो कि उनका मूलभूत अधिकार है।

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