किराये की गोद पर कड़े कानून का मसौदा तैयार

बिटिया खबर

दुनिया में नि:संतान दम्पत्तियों की संख्या 15 फीसदी से ज्यादा

नई दिल्ली : किराए की कोख के जरिए भारतीय महिलाओं का शोषण रोकने के लिए केंद्र सरकार एक सख्त कानून बनाने जा रही है। इस कानून के बन जाने के बाद भारत में महिलाएं अपने बच्चों सहित तीन संतानों के सफल जन्म के बाद सरोगेट मां नहीं बन सकेंगी। ऐसी माताओं का स्वास्थ ठीक रहे इसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि दो बच्चों के जन्म में कम से कम दो साल का अंतर रहे। इस कानून के प्रावधानों के किसी भी तरह के उल्लंधन पर भारी जुर्माना लगेगा।

सरोगेसी पर नियंत्रण के लिए ये प्रावधान प्रस्तावित असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीज [एआरटी] विधेयक के मसौदे में किए गए हैं। इस विधेयक के अनुसार 21 साल से कम और 35 साल से अधिक उम्र की कोई महिला सरोगेट मां नहीं बन सकेगी। इस विधेयक में उन शर्तो का भी उल्लेख है जिनके तहत विदेशी दंपती भारत में सरोगेट किराए पर ले सकेंगे।

संसद में पेश करने से पहले सरकार इसे कैबिनेट के समक्ष रखने की योजना बना रही है। भारत के इतिहास में यह पहला विधेयक होगा जिसमें बगैर नियंत्रण वाले एआरटी क्लीनिकों पर सरकार निगरानी रखेगी। ये क्लीनिक बगैर बच्चे वाले दंपती से भारी कीमत वसूल करके सरोगेसी के जरिए उन्हें बच्चा पैदा करने की सुविधा देते हैं। किसी और दंपती के भ्रूण को अपने पेट में पालने को सरोगेसी [स्थानापन्न मातृत्व] के नाम से जाना जाता है। हाल में अभिनेता आमिर खान और शाहरुख खान सरोगेसी से ही पिता बने हैं।

इस कानून में सरोगेसी का व्यावसायिक उपयोग रोकने और सरोगेट मां और सरोगेसी से जन्म लिए बच्चे के अधिकारों की रक्षा के भी प्रावधान रहेंगे। एक आकलन के मुताबिक दुनिया के 15 फीसदी दंपती बगैर औलाद के हैं। इस विधेयक के मसौदे में सरोगेसी से जुड़े नैतिक व कानूनी मुद्दों के अलावा एआरटी के जरिए जन्म लेने वाले बच्चे की राष्ट्रीयता से जुड़े मुद्दे का भी समाधान है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि इस विधेयक के मसौदे को प्रतिक्रिया के लिए मंत्रालयों में भेजा गया है और पांच अगस्त तक जवाब मिलने की उम्मीद है। उसी के बाद इस विधेयक का अंतिम मसौदा तैयार किया जाएगा। यह विधेयक इस वजह से भी महत्वपूर्ण है कि अभी देश में नि:संतान दंपतियों को संतान सुख देने वाले एआरटी क्लीनिकों पर निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं है। नए कानून के मसौदे के अनुसार, सरोगेसी वह व्यवस्था है जिसमें कोई महिला एआरटी के माध्यम से एक ऐसा गर्भ धारण करने को तैयार होती है जिसमें उसका अंडाणु या उसके पति का शुक्राणु नहीं होता है। इस गर्भ को धारण करने का मकसद होने वाले बच्चे को उस दंपति को सौंपना होता है जिसके लिए वह गर्भ धारण करती है।

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