: 23 बच्चों को अगवा करने में मारे गये सुभाष का मामला : अनाथ बच्ची को आईपीएस बनाने का ऐलान था, अब पलटी मारी आईजी ने :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बोले थे कि अनाथ बच्ची को हम गोद लेंगे, अब कहते हैं कि हम गोद लेने वालों को खोजने में जुटे हैं। पहले तो कहा था कि बच्ची पर आने वाला पूरा खर्चा हम करेंगे, अब बोलते हैं कि इसके लिए कानूनी प्रक्रिया खोज रहे हैं। पहले कहा था कि उसे अपनी तरह आईपीएस या आईएएस बनाएंगे, अब बोले कि यह जिम्मा पुलिस विभाग का है। पहले कहा था हम पूरी जिम्मेदारी उठाएंगे, आप कहते हैं कि बच्ची के परिवारीजनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पहले बोले थे कि बच्ची की जिम्मेदारी हम सब की है और मैं उसे संभाल लूंगा, अब बोलते हैं कि दूसरे लोगों को गोद दिलाएंगे।
यह हालत है यूपी पुलिस के अफसरों का, और क्या है पुलिस के आला अफसरों की जुबान और संकल्पों का मूल्य। गजब बयान जारी कर रहे है पुलिस और उसके आला अफसर, पता ही नहीं चल पा रहा है। एक दिन एक बयान आता है, जबकि अगले दूसरे दिन उसका स्पष्टीकरण या फिर उसका खंडन अथवा उसका एक नया पैंतरा दिखाने में जुट जाती है पुलिस। और इस मामले में सबसे बड़े संदेहजनक हालत में दिखने लगे हैं कानपुर परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल। आपको बता दें कि फर्रूखाबाद के मोहम्मदाबाद करथिया गांव में सुभाष बाथम नामक एक व्यक्ति ने अपनी बेटी का जन्मदिन मनाने के दौरान गांव के कुल 23 बच्चों को अगवा कर लिया था। इस मामले में पुलिस ने 11 घंटों की कवायद के बाद अभियुक्त सुभाष को मार डाला, जबकि उसकी पत्नी रूबी को गांववालों ने पुलिसवालों की मौजूदगी में पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया।
आपको बता दें कि फर्रुखाबाद की घटना के दौरान पुलिस-कार्रवाई को लेकर गांववाले और डीजीपी ओपी सिंह से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमित शाह व नरेंद्र मोदी तक ने पुलिस को तारीफ करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। अपने पक्ष में गर्म तवा देखकर मौका ताड़ चुके पुलिस के आईजी मोहित अग्रवाल ने अपनी पीठ खुद ही ठोंक ली। इसके लिए खुद ही सारे इंतजाम कर डाले, ताकि उस तैयारी में कहीं कोई कोर-कसर न छूट जाए। इसमें फर्रूखाबाद के जिलाधिकारी और कानपुर के मंडलायुक्त भी आगे-आगे बोलने में एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ में थे। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा डींगें मारी थी आईजी मोहित अग्रवाल ने।
23 बच्चों को अगवा करने वाले व्यक्ति सुभाष बाथम और उसकी पत्नी की मौत का श्रेय लूटने के साथ ही साथ अभियुक्त की इकलौती बच्ची को गोद लेने का ऐलान करके घटना के तत्काल बाद ही कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने अपनी पींठ ठोंकने और डींगें हांकने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। लगातार मीडिया वालों से बातचीत करते हुए मोहित अग्रवाल रोज-ब-रोज नई-नई रणनीतियां और योजनाएं के साथ ही साथ अपने दायित्वों की दुहाई देते हुए अपने स्वर्णिम संकल्पों का खुलासा करते रहे। उनका कहना था कि पूरी तरह अनाथ हो चुकी 2 वर्षीय बच्ची को मैं खुद पाल लूंगा, और उसे कभी भी एहसास नहीं कराएंगे कि वह किसी दुर्दांत हादसे के अभियुक्त की बेटी है।
इतना ही नहीं, मोहित अग्रवाल ने बार-बार यह संकल्प लिया कि इस अनाथ बच्ची को वह खुद गोद लेंगे। उनका कहना था कि वह इस बच्ची को अपनी ही तरह आईपीएस या आईएस बनवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे। बोले कि वे इस बारे में कानूनी प्रक्रियाओं को खोज रहे हैं और जल्दी ही उसे गोद ले लेंगे। उनका कहना था कि इस बच्ची के पूरे जीवन के दौरान सारा का सारा जिम्मा वे खुद उठाएंगे। इतना ही नहीं, उनका कहना था कि वे इस तरह अपने पुलिस दायित्वों के साथ ही साथ अपने इंसानी दायित्वों का भी निर्वहन करेंगे। और ऐसा करके जीवन भर हर्ष का अनुभूति करते रहेंगे।
लेकिन उस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे के तीन दिन बाद ही मोहित अग्रवाल ने अपने दावों पर पलटी मार डाली। फिर वे बोले कि सुभाष बाथम और रूबी की अनाथ बच्ची गौरी को पुलिस विभाग ने गोद लिया है। उसकी सारी पढ़ाई-लिखाई और उसके जीवन भर का खर्च भी विभाग ही उठाएगा। उनका कहना है कि इस बच्ची को फिलहाल एक महिला कांस्टेबल के पास रखा गया है।
आईजी मोहित अग्रवाल ने पत्रकारों को बताया कि गौरी के सर से उसके मां-बाप का साया उठने से समाज का हर व्यक्ति पूरी तरह व्यथित और परेशान था। उन्होंने बताया कि अभी तक सुभाष और रूबी के परिवारीजन लोग गौरी को सम्भालने के लिए सामने नहीं आए हैं। इसलिए फैसला किया गया है कि गौरी की देखभाल का जिम्मा पुलिस विभाग लेगा और अगर कुछ समय तक उसके परिजन नहीं आए तो पुलिस में तैनात ऐसे दंपति जिनके बच्चे नहीं है, गौरी को कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद ले सकेंगे।
यानी जो बयान, संकल्प और दुहाइयां बड़े दरोगा ने की थीं, वे अब पूरी तरह मुंह के बल जमीन पर धड़ाम हो चुके हैं। वैसे भी इस पूरे कांड में पुलिस की करतूतें, झूठ, मिथ्या वचन, अतिश्योक्तियुक्त बयान आदि पर हम दोलत्ती वाले लोगों की कड़ी नजर है। हम लगातार आपको सिलसिलेवार दिखाते रहेंगे कि इस पूरे कांड की असलियत क्या थी और पुलिस ने यह बड़ा हादसा किस तरह आम आदमी के सामने पेश किया। दोलत्ती की ओर से यह भी खोजा जाएगा कि कैसे इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे को पुलिस द्वारा निपटाया गया। इस पूरे मामले में पुलिस की और राजनीतिक व सरकारी लापरवाही का भी खुलासा दोलत्ती करने जा रहा है। इस धारावाहिक रिपोर्ट के अगले अंक में हम आपको बताएंगे कि एक लंबे समय तक उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सेवा के अधिकारी देवेंद्र नाथ दुबे ने इस पूरे मामले को किस तरह देखा है। इलाहाबाद के मंडलायुक्त पद से रिटायर्ड देवेंद्र दुबे ने इस पूरे मसले पर कई गहरे और जमीनी सवाल उठाए हैं, जिससे साबित होता है यह वितंडा खुद ही पुलिस का खड़ा किया हुआ था, और उसे किसी क्रूर कृत्य का ठीकरा जनता पर फेंक कर, और उसमें छिपे झूठ-दर-झूठ को बेहद शर्मनाक तरीके से पुलिस ने अपने माथे पर किसी सेहरे की तरह बांध लिया है।
ऐसे ips भी तो है जो फ़्लाप इनकाउंटर पे भी अपनी बेशर्मी छुपाते हुए पीठ भी खुद ही ठोंक लेते हैं 😀😀😀
और तो और
अपना नम्बर भी पब्लिकली लोगो मे बांटते फिरते हैं किसी महिला को नोट करने के वास्ते एक बार ही नही बल्कि कई कई बार दुहरा कर बताते हैं