तरुण तेजपाल को लोग आईएसआई एजेंट कहते हैं

दोलत्ती

: सत्‍ता के झूठ, फरेब, और साजिशों को बेनकाब करने वाले तरुण तेजपाल की वेब-सिरीज है पाताललोक: तरुणतेजपाल की किताब का नाम है नाम है द स्‍टोरी ऑफ असेसिनेशन :
राहुल मिश्र
लखनऊ : तरुण तेजपाल को तो आप जानते ही होंगे। अरे नहीं भई, नहीं। वह तरुण तेजपाल नहीं, जो एक अपनी एक ट्रेनी पत्रकार के साथ दफ्तर की लिफ्ट में अश्‍लील हरकत करने के मामले में जेल जा चुका है, और आजकल जमानत पर बाहर है। बल्कि हम तो उस तरुण तेजपाल की बात कर रहे हैं जो साहसी, खोजी और अध्‍ययनशील ही नहीं, बल्कि रचनात्‍मक पत्रकारिता का सबसे बड़ा अलम्‍बरदार माना जाता है। वह तरुण तेजपाल, जो तहलका नामक की पत्रिका का संस्‍थापक संपादक और मालिक भी है। सत्‍ता के झूठ, फरेब, और साजिशों को बेनकाब करने वाला तरुण तेजपाल।
दरअसल, तरुण तेजपाल ने तहलका पत्रिका ही नहीं प्रकाशित की थी, बल्कि एक किताब भी लिखी है। आत्‍मकथा शैली में। नाम है द स्‍टोरी ऑफ असेसिनेशन। इसी आत्‍मकथा के कथानक पर एक फिल्‍म भी तैयार की गयी है। यह फिल्‍म वेब में मौजूद है। इस फिल्‍म का नाम रखा गया है पाताललोक। यकीनन दिलचस्‍प फिल्‍म है यह पाताललोक, और आप उसे वेब पर देख सकते हैं।
चेकोस्‍लोविकिया में वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहे हैं राहुल मिश्र। इस युवा वैज्ञानिक का कहना है कि पाताललोक वेबसीरीज़ में रचनात्मक स्वतंत्रता ली गयी है और उसे दूसरा रुख दे दिया गया है। वो मूलतः भाड़े के हत्यारों के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है। असल मास्टरमाइंड पर नही जाती। तकनीकी रूप से सॉलिड है, अभिनय भी मंझा हुआ है। कुछ पुराने और कुछ उभरते कलाकारों ने बहुत बढ़िया काम किया है। मोहित अहलावत की आँखों में एक अधेड़ पुलिस वाला दिखता है जो अपने कैरियर में एक स्मरणीय केस के लिए तरस रहा हो लेकिन वो केस भी राजनीति खा गई।
बाक़ी यह सब जो मैंने लिखा है वो नीरज कुमार के संस्मरणों पर आधारित है। उन्होंने ख़ुद बताया है असल पाताललोक क्या था।
एक इस मामले पर एक नया पहलू भी देख दीजिए। इस बारे में कही जा रही चर्चाओं की सचाई के मुताबिक यह आईएसआई नामक एकखतरनाक पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी के कारकूनों की करतूतों का अंजाम है। कुछ लोग कहते हैं कि तरुण तेजपाल ख़ुद isi के इशारे पर काम करता था । isi के लिए वो जीते जी काम आया ही, मर जाता तो भी काम आता।
उसी आत्मकथा पर आधारित सीरीज़ है पाताललोक। इस सीरीज को राहुल मिश्र ने संजोया है। आप भी उसे चखिये न और परखिये भी कि अपराधियों और आतंकवादियों के साथ भारत के नेताओं का क्‍या-क्‍या हाथ रह चुका है। ( क्रमश:)

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