फर्रुखाबाद कांड: घटिया, बचकानी पटकथा है पुलिस की

दोलत्ती

: इस कांड की कहानी में हैं बेहिसाब झोल ही झोल : पुलिस ने बुनी कहानी, पत्रकारों ने जयजयकारा लगाया :
कुमार सौवीर
फर्रूखाबाद : 31 जनवरी को हुए फर्रुखाबाद कांड में बहुत बाजारू, घटिया और बचपनापूर्ण पटकथा लिखी है पुलिस ने। बताते हैं कि पुलिस की इस कहानी में सिर्फ झोल ही झोल उलझे हैं। कांड में पुलिस अपने चरित्र के मुताबिक ही बयान-वीरत्‍व का प्रदर्शन करती रही। आईजी मोहित अग्रवाल भी बात-बात पर बदलते रहे अपनी गणित, तर्क और बयान। लेकिन पुलिस तो पुलिस, शर्मनाक हालत तो यह रही कि इस कांड की रिपोर्टिंग में जुटने का नाटक कर रहे पत्रकारों ने तो पुलिस के खरीदे गए गुलाम की तरह अपनी कलम रगड़नी शुरू कर दीं। पुलिस का जयजयकारा लगाने की हालत आज भी जारी है।
आपको बता दें कि पुलिस द्वारा बुनी गयी कहानी के मुताबिक फर्रुखाबाद के मोहम्मदाबाद कोतवाली वाले गांव करथिया में अपनी पुत्री के जन्मदिन के बहाने सुभाष बाथम एक सजायाफ्ता अपराधी ने 23 बच्चों को गुरुवार को घर में बंधक बना लिया था। पुलिस ने नौ घंटे की कड़ी मशक्कत कर सुभाष को रात एक बजे मार गिराया और बच्चों को 11 घंटे बाद मुक्त करा लिया। पुलिस ने सुभाष की पुत्री को कब्जे में लिया तो गांव के लोगों ने उसकी पत्नी रूबी को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। सैफई ले जाते समय रूबी ने भी दम तोड़ दिया था।
लेकिन दोलत्‍ती की छानबीन में कई चौंकाने सवाल मिले हैं। कहानी सिर्फ यहीं तक नहीं है। यहां के 23 बच्‍चों को कथित रूप से अगवा कर उनके घरवालों से प्रति बच्‍चा एक-एक करोड़ रूपयों की फिरौती मांगे जाने वाले तथाकथित हादसे में पसरे-बुने गये तार और तारतम्‍यता ठीक ऐसे ही नहीं हैं, जिसे पुलिस ने फैलाया ही नहीं, बल्कि तथ्‍यों को बुनने, धोने, छीपने, पसराने और सुखाने की तोड़फोड़नुमा कोशिशें भी की हैं। सच तो यही है कि इस पूरे मामले में पुलिस ने जो कहानी का दोशाला बुना है, उसमें अधिकांश तथ्‍य पूरी तरह झूठ पर ही सिले गये हैं। चाहे इस हादसे में मारे गये सुभाष बाथम और उसकी पत्‍नी के किरदार का मामला हो, बच्‍चों को जन्‍मदिन पार्टी आयोजित करने के लिए बच्‍चों को बुलाने का मामला हो, बेहाल बच्‍चों के घरवालों से फिरौती मांगने का मामला हो, मुफ्त में बंटने वाले सरकारी आवास की मांग को करोड़ों की फिरौती में तब्‍दील करने की बात हो, सुभाष पत्‍नी को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की बात हो, या फिर इस घटना में सुभाष के मकान को 12 घंटों तक पुलिस द्वारा की गयी घेराबंदी का मामला हो, सब की सब कहानी में सिर्फ झोल ही झोल है।
पुलिस और प्रशासन ने इस हादसे में जो भी तथ्‍य प्रस्‍तुत किये हैं, वह अपने आप में निहायत बचकाना और घटिया भी हैं। मसलन, फर्रूखाबाद के सुतली बम को बम के तौर पर पेश कर सुभाष बाथम को अनपढ़ वैज्ञानिक करार देना। बयान देना कि वहां असलहों का जखीरा था, जो एक पखवाड़े तक युद्ध की हालत तक बना सकता था। पत्रकार तो बढ़-चढ़ कर पुलिसिया कहानी को ही सच का मुलम्‍मा चढ़ाने में जुटे रहे। पुलिसवाले और डीएम बोले 23 करोड़ मांगा। फिर पुलिस बोली कि सरकारी आवास मांगा था। लेकिन फिर बोले कि नहीं, सुभाष बाथम की साजिश तो वहां एक भयावह नजारा पैदा करना ही था।
फर्रुखाबाद में करथिया गांव में एक ऐसा हादसा हो गया, जिसकी याद में अब इस गांव, जवांर और पूरे इलाके में पुश्‍तें सहमती रहेंगी। यहां के एक बेवड़े-शराबी ने यहां जो करतूत कर डाली, जिसका अंजाम उसकी और उसकी पत्नी की भी मौत के रूप में सामने आया। इसके साथ ही नए-नए किस्‍से बुने गये, जिसे मनचाही धार दे डाली पत्रकारों ने। पुलिस की जुबानी हर झूठ कहानी को पत्रकारों ने ब्रह्म-वाक्‍य मान कर उसे पाठकों-दर्शकों तक को पेश कर दिया। यह समझे बिना ही, कि उसमें कोई सच है भी या नहीं। झूठी पुलिसिया कहानियों को यहां के पत्रकारों ने ईश-प्रार्थना की तरह कैच किया और अखबार का सादा कागज गंदा करना शुरू कर दिया। यही तो वे पत्रकार हैं, जो समाज में छीछालेदर करते हैं, और लोक-विश्वास को खुर्द-बुर्द करते रहते हैं। मकसद सिर्फ इतना कि वे पुलिसवालों का कृपापात्र बने रहें। इसके लिए यह पत्रकार लोग एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मचाते रहते हैं।
फर्रुखाबाद में भी तो यही हुआ। सुभाष बाथम के घर जो कुछ भी हुआ वह पुलिस कागजों में भले ही पुलिस प्रशासन और सरकार की ठाकुर-सुहाती बनी रहे, लेकिन सच बात यही है कि इस पूरी घटना में पुलिस ने जो हरकतें की हैं वह अविश्वसनीय होने के साथ ही साथ बेहद शर्मनाक भी हैं। इसके साथ ही साथ आने वाले वक्त में ऐसी हरकतें ही समाज के खिलाफ एक डरावना तूफान लेकर आएंगी ऐसी करतूतें।
दोलत्‍ती परिवार ने इस पूरे मामले को जानने की कोशिश की है। उसकी गहन छानबीन की है। हम लगातार इस पूरे मामले को खोदने- छानने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि आपको बताएं कि फर्रुखाबाद में सिर्फ वही नहीं हुआ था जो पुलिस बता रही है! बल्कि उसके पीछे भी बहुत ढेर सारे झूठ किसी साजिश की तरह पुलिस ने इस कांड की आड़ में दफ्न कर रखा था।
हम दोलत्‍ती परिवार इस मसले पर धारावाहिक खबरें आप तक लेकर आयेंगे। इसके लिए www.dolatti.com पर विजिट करते रहियेगा। (क्रमश:)

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