दूसरों का रेंगना हमारे अहम को सन्तुष्ट करता है

दोलत्ती

: पूरा देश में पलायन की भगदड़ है, केरल शांत है : हर ओर भयावह अनिश्चितता है, केरल स्थिर है : केरल में संवेदनाओं का समंदर है, बाकी जगह भावुक चीत्कार :

रति सक्सेना

मैं पूरे देश से सड़कों पर चलते मजदूरों को देख रही हूँ, भूख को देख रही हूँ गरीबी को भी, यह भी देख रही हूँ कि मीलों चल कर जब लोग गांव पहुंचते हैं तो उन्हे गांव के बाहर किसी स्कूल में पटक दिया जाता है, बिना खाना पानी के, गांव वालों की दया से कुछ मिल जाता है,

लेकिन केरल में क्यों नहीं हो रहा है?

यहां कोई भी प्रवासी भूखा नहीं मरा, यही नहीं अनेक विदेशी दो महिनों से वर्कला आदि में फंसे हैं, लेकिन वे भूखे नहीं है, क्यों कि उन्हे पुलिस के लोग ही खाना दे जाते हैं, किसी के पास होम स्टे या होटल का किराया नहीं बचा, तो वे उधारी में रह रहे हैं….

क्या फर्क है, इस प्रान्त और पूरे देश में?

बस यही ना, कि यहां पर जब साम्यवाद आया, उसने मजदूरी का सम्मान करना सिखाया, उसने यहभी सिखाया कि चाहे मेहनत करो, लेकिन अखबार जरूर पढ़ो, उसने सिखाया कि सरकार से सवाल करो
उसने सिखाया कि अपना हक मांगों

बस केरल ही ऐसा प्रान्त होगा, जहां पर हमारे घर यदि वर्कर्स काम के लिए आते हैं तो उनके लिए चाय नाश्ता डाइनिंग टेबिल पर दिया जाता है, जहां ड्राइवर अफसर के साथ बैठ कर खाना खा सकता है। जहां सहायिका जी के नाश्ते खाने का ध्यान अपने नाश्ते से बेहतर किया जाता है।

फिर सरकार कोई भी रहे, हर सरकार को श्रम की इज्जत करना आ जाता है, और वह एक कदम भी नहीं चल सकती इनके बिना।
यही तो कारण है कि जब यहां अतिथि वर्कर्स के शिविर बनाये तो उनके लिए चौकी दार पलंग थे, जमीन पर दरियां नहीं. उनके लिए कच्चा खाना था, उनकी प्रान्त के स्वाद के अनुसार
उनके मोबाइल्स के लिए दो सौ रुपये का टाप टाइम मुफ्त था।
उनके खेलने के लिए कैरम बोर्ड थे…..

फिर जब लौटने का वक्त आया तो उन्हे हांका नहीं गया, बल्कि प्रेम से समझाया गया।

पूछिये अपने आप से, क्या आपने अपनी सहायिका को अपने साथ बैठा कर खाना खिलाया है, क्या ड्राइवर के आने पर उसे पहले चाय नाश्ता करवाया है, क्या पुताई करने वालों को चाय बिस्कुट के साथ काम समाप्ति पर खीर बना कर खिलाई है?

यदि नहीं,,, तो समझ लीजिये, जड़ यहां भी है,
हमने उन्हे सिर उठा कर जीना नहीं सिखाया, वे सिर नहीं उठा पाये और रेंगने लगे

दूसरों का रेंगना हमारे अहम को सन्तुष्ट करता है

अब भी समझ जाये,,,,यह हमारा इण्डिया…. तो हमारी उपलब्धि ही होगी.

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