: पूरी तरह निर्वस्त्र होने लगा है जौनपुर में ऐसा ही अखबारी-आतंक : गली, मोहल्ले, गांव, चौपाल, और नुक्कड़ तक पसरे “पत्रकारनुमा” लुटेरों की नयी पौध बन चुके : लुटेरे पत्रकार – एक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : सुदूर क्षेत्र में रहने वाले एक बंगाली डॉक्टर के यहां छापा मारा गया। बंगाली डॉक्टर को धमकी दी कि अवैध प्रैक्टिस की धाराओं में आम आदमी को मौत के घाट उतारने के अपराध में उसे जेल भेज देंगे। छापा मारने के बाद यह खबर पत्रकारों के एक गिरोह को लीक कर दी गयी। पत्रकारों के इस गिरोह के मुखिया ने तत्काल उस बंगाली डॉक्टर से सम्पर्क किया। उसे बताया कि वह उस के क्लीनिक पर चल रही अवैधानिक मेडिकल प्रैक्टिस को लेकर अब ऐसा मोटी हेडिंग में बड़ी-बडी हर्फों में खबर छाप देगा, कि सीधे योगी आदित्यनाथ तक सिर के बल पर पुलिस-दलबल के साथ धमक पड़ेंगे। और फिर उस बंगाली डॉक्टर को तो जेल जाना ही पड़ेगा, उसकी औलादें और सात पुश्तें भी प्राइवेट प्रैक्टिस से कांपने लगेंगे।
कहने की जरूरत नहीं कि यह धमकी मिलते ही लोगों के होश फाख्ता हो जाते हैं। अब कौन भिड़े इन पत्रकारों से। खबर छप गयी, तो सियार की तरह अफसर लोग मामला ही कैच कर लेंगे। वहां से भी निपटे तो पुलिस थाने और डीएम से लेकर अदालत-कचेहरी की भागादौड़ी की नौबत आ गयी, तो परिवार चला पाना ही नामुमकिन हो जाएगा। यह सोच कर ही लोग सहम जाते हैं, थरथर कांपने लगते हैं। थोड़ा मोलभाव हुआ और फिर रकम पत्रकार की जेब की हरियाली का सबब बन जाती है।
जी हां, यह रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है पत्रकारों की जिन्दगी में ऐश-ओ-आराम और ऐयाशी के लिए। तनख्वाह की व्यवस्था ही नहीं है। सुरक्षा कवच की गुंजाइश नहीं। जेब-टेंट ढीला करने की मंशा नहीं है। विज्ञापन के नाम पर अधिकतम लूटने का लालच है। इज्जत-आबरू तक की चिन्ता नहीं है। बेशर्मी का आलम पसरा है। बेगार करने वालों की भीड़ चील-कौवों और सियारों की तरह हुक्का-हुआं करने को तत्पर हैं। ऐसी हालत में समाचार पत्रों में गली, मोहल्ले, गांव, चौपाल, और नुक्कड़ तक भीड़ जुटाये “पत्रकारनुमा” लोग अगर बाजार में लोगों को मुर्गा समझ कर उन्हें नहीं फंसायेंगे, उनको हलाल नहीं करेंगे, और लूट-पाट पर आमादा नहीं होंगे तो आप खुद ही सोचिये न कि वे आखिर तब क्या करेंगे ?
ऐसा नहीं है कि यह हालत किसी खास अखबार में है। सच बात तो यही है कि यह लूट-पाट का यह आलम हर अखबार में पसरा पड़ा है। हां यह जरूर है कि दैनिक जागरण में लूट-पाट वाले कोरोना-संक्रमण की हालत कुछ ज्यादा ही बेहाल होती जा रही है। मगर जौनपुर के केराकत में ऐसा अखबारी-आतंक आजकल पूरी तरह निर्वस्त्र होने लगा है। सरकारी अफसर, नेता और अखबार के बड़े अधिकारियों के प्रश्रय में चल रहा यह बेशर्म धंधा अब कब किसको कितना लूट ले, अब कोई कल्पना तक नहीं कर सकता है।
ऐसे ही बंगाली डॉक्टरों के लिए यमदूत बनते जा रहे हैं जौनपुर में केराकत के पत्रकार। इनमें भी दैनिक जागरण के पत्रकारों के बारे में तो लोगों का मानना है कि वे पत्रकार तो कत्तई नहीं हैं, लेकिन पत्रकारिता के नाम पर कलंक जरूर बन चुके हैं। (क्रमश:)