“दुर्घटना में 3 रिपोर्टरों की मौत, ब्‍यूरोचीफ घायल, संपादक विक्षिप्‍त”

बिटिया खबर

: लखनऊ-वाराणसी मार्ग पर स्थित बदलापुर में परखचे उड़ गये हिन्‍दी पत्रकारिता के, मचा कोहराम : अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्‍दुस्‍तान अखबार में वेतन नहीं मिलता, रिपोर्टर पैदा करते हैं समाज में केवल अफवाहें : एक जैसी खबर को सारे अखबारों में एकसुर में छापा। जिस बच्‍ची को मृत बताया, उसका इलाज जारी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जरा कल्‍पना कीजिए कि किसी भयावह दुर्घटना में तीन अखबारों के तीनों रिपोर्टरों की दर्दनाक हो जाए, इस हादसे में तीनों अखबारों के ब्‍यूरो चीफ बुरी तरह घायल होकर मनणासन्‍न हो चुके हैं और इसके चलते उन अखबारों के संपादक पगला गये हैं, तो यह खबर सुन कर इन अखबारों के कर्मचारियों और उनके क्षत-विक्षत रिपोर्टरों की लाशें, और घायलों व संपादकों के परिवारीजन ही नहीं, बल्कि उन अखबारों के स्‍टाफ हताहतों के परिवारीजनों के घरवालों पर क्‍या बीत रही होगी ?
लेकिन हिन्‍दी-पत्रकारिता में यही दारुण घटना हो गयी। घटना के अनुसार इस हादसे में पत्रकारिता का गला घोंट दिया गया। इस घटना ने साबित कर दिया है कि केवल पूर्वांचल के अलावा यूपी ही नहीं, बल्कि पूरी हिन्‍दी-पत्रकारिता कितने दर्दनाक संत्रास वाले दौर से गुजर रहा है। और अखबारों के मालिक और संपादक किस तरह पत्रकारिता का कत्‍ल कर रहे हैं, बल्कि उनके रिपोर्टर और ब्‍यूरोचीफ भी अपना दायित्‍व निभाने के बजाय, केवल उगाही में जुटे हुए हैं। गनीमत है कि हाल ही अमर उजाला अखबार ने दलाली करने की सूचना पुष्‍ट होने के बाद अपने ब्‍यूरोचीफ को एक पड़ोसी जिले के दफ्तर से अटैच कर दिया।
तो ताजा खबर है जौनपुर से, जहां हिन्‍दुस्‍तान, दैनिक जागरण और अमर उजाला की एक खबर को लेकर हंगामा खड़ा हो गया है। पता चला है कि इन तीनों अखबारों में एक सड़क दुर्घटना में एक मासूम की मौत की खबर प्रकाशित कर दी है। यह खबर है जिले के बदलापुर का, जहां के निहायत गैर-जिम्‍मेदार, बेशर्म और दो-कौड़ी के रिपोर्टरों ने यह खबर लिखी। रिपोर्टरों ने लिखा कि घटना के बाद घायल मासूम को अस्‍पताल ले जाते वक्‍त ही उसकी मौत हो गयी।

लेकिन इनमें से किसी भी अखबार के ब्‍यूरोचीफ ने इस खबर की पुष्टि की जरूरत ही नहीं समझी। जबकि सच तो यह है कि ऐसा हुआ ही नहीं है। मासूम आज भी जिन्‍दा है, और जिला अस्‍पताल में भर्ती यह मासूम बाकायदा होश में है। और हैरत की बात है कि यह मासूम दरअसल एक बच्‍ची है, लेकिन सभी अखबारों ने उसे बच्‍चा लिख डाला।
लखनऊ-वाराणसी मार्ग पर स्थित बदलापुर एक बड़ा कस्‍बा माना जाता है। यहां बाकायदा एक नगर पालिका और तहसील भी है। यहां अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्‍दुस्‍तान अखबारों का आलीशान दफ्तर है। यहां हिन्‍दुस्‍तान के रिपोर्टर हैं महेंद्र दुबे, अमर उजाला के रिपोर्टर हैं अर्जुन शर्मा और दैनिक जागरण के सुनीत चतुर्वेदी। अखबार के दफ्तर के लिए न तो यह अखबार कोई किराया, बिजली या पानी का भुगतान करते हैं और न ही कोई अन्‍य व्‍यय वहन करते हैं। इतना ही नहीं, इन अखबारों ने यहां जो रिपोर्टर यहां तैनात किये हैं, उसके लिए न तो दैनिक जागरण, न अमर उजाला और न ही हिन्‍दुस्‍तान अखबार वेतन अथवा किसी अन्‍य व्‍यय के लिए एक धेला भी खर्च करता है।

अब जाहिर है कि यह लोग सामाजिक सेवा में तो लिप्‍त हैं नहीं। इनके पास भी मकान हैं, सुविधाजनक रहन-सहन है और बैठने के लिए कुर्सी और वाहन भी है। ऐसी हालत में विज्ञापन और उगाही के लिए ही इन मूल धंधा होता है। सिपाही से लेकर दारोगा, लेखपाल, तहसीलदार और एसडीएम तक को तेल-मालिश करना उनका पेशा है।
ऐसी हालत में खबरों पर ध्‍यान दे पाना उनके लिए मुमकिन होता ही नहीं है। खबर की सत्‍यता जांचने की कोई जरूरत ही नहीं समझता। वैसे भी यह लोग किसी गिरोह की तरह अपना धंधा चलाते बताये जाते हैं। इसका खुलासा तो तब हुआ, जब 16 अक्‍तूबर-22 की दोपहर को प्रतापगढ़ के राहुल मौर्या अपनी पांच बेटी नित्‍या के साथ बदलापुर गये थे। अचानक एक बोलोरा से टक्‍कर हो जाने से वह बच्‍ची घायल हो गयी। स्‍थानीय पीएचसी ने बच्‍ची को जिला अस्‍पताल रेफर कर दिया। लेकिन इन तीनों अखबारों ने अपनी खबर में लिख डाला कि घायल बच्‍ची को जिला मुख्‍यालय जाते वक्‍त रास्‍ते में ही बच्‍ची ने दम तोड़ दिया। जबकि खबर है कि जौनपुर मुख्‍यालय के एक स्‍थानीय निजी अस्‍पताल में वह बच्‍ची का इलाज चल रहा है। बच्‍ची नित्‍या के पिता राहुल मौर्या ने दोलत्‍ती डॉट कॉम से बात करते वक्‍त स्‍वीकार किया, कि बच्‍ची इस समय अस्‍पताल में भर्ती है।

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